धन्यवाद... किसी के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का एक छोटा-सा शब्द हैं। कहने को तो यह मात्र एक छोटा-सा शब्द हैं, किन्तु इसका अर्थ व्यापक हैं।
धन्यवाद दिल से किया जाना चाहिए। बहुत-से व्यक्ति इस बात को भली-भाँति समझते हैं कि यदि किसी ने उनके प्रति कुछ कार्य किया हैं, कुछ उपहार दिया हैं, अथवा ऐसे मौके पर काम आए हैं, जब सब ने साथ छोड़ दिया, तब धन्यवाद देना उनका फर्ज बनता हैं।
धन्यवाद जितनी जल्दी दिया जाए, उतना ही अच्छा होता हैं। बहुत-से व्यक्ति आमने-सामने धन्यवाद दे देते हैं, कुछ पत्रों के माध्यम से धन्यवाद व्यक्त करते हैं।
ऐसे ही धन्यवाद सम्बन्धी कुछ पत्रों के उदाहरण यहाँ दिए गए हैं-
(1) आपकी खोई हुई पुस्तक किसी अपरिचित द्वारा लौटाए जाने पर आभार व्यक्त करते हुए पत्र लिखिए।
21, जी.टी.बी.नगर,
दिल्ली।
दिनांक 23 अप्रैल, 20XX
आदरणीय कैलाश मिश्रा जी,
नमस्कार !
कल मुझे डाक से एक पार्सल मिला। पार्सल खोलने पर मुझे यह देखकर अत्यन्त आश्चर्य हुआ साथ ही प्रसन्नता भी हुई कि उसमें मेरी खोई हुई वही पुस्तक मौजूद थी, जिसके लिए मैं काफी परेशान था। पहले तो मैं विश्वास ही नहीं कर पाया कि वर्तमान युग में भी कोई व्यक्ति इतना भला हो सकता हैं, जो डाक-व्यय स्वयं देकर दूसरों की खोई वस्तु लौटाने का कष्ट करे। मैं आपका हार्दिक धन्यवाद करता हूँ। यह पुस्तक बाजार में आसानी से उपलब्ध नहीं होती तथा मेरे लिए यह एक अमूल्य वस्तु हैं। आपने पुस्तक लौटाकर मुझ पर बहुत बड़ा उपकार किया हैं। इसके लिए मैं हमेशा आपका आभारी रहूँगा।
एक बार पुनः मैं आपको धन्यवाद करता हूँ।
आपका शुभाकांक्षी,
इन्द्र मोहन
(2) आपकी खोई हुई वस्तु लौटाए जाने हेतु उस व्यक्ति को धन्यवाद करते हुए पत्र लिखिए।
15, संजय एन्क्लेव,
जहाँगीरपुरी,
दिल्ली।
दिनांक 21 मई, 20XX
आदरणीय विनोद जी,
सादर नमस्कार।
आपको पत्र लिखकर मैं स्वयं को धन्य मान रहा हूँ। आप जैसे ईमानदार व्यक्ति आज के युग में बहुत ही कम देखने को मिलते हैं। आपने मेरी खोई हुई अटैची लौटाकर मुझ पर बहुत बड़ा उपकार किया हैं। जब से मेरी अटैची गुम हुई थी, मेरी दिनचर्या ही अस्त-व्यस्त हो गयी थी। मानसिक तनाव अत्यधिक बढ़ गया था; क्योंकि उसमें कार्यालय के पचास हजार रुपये के साथ-साथ कुछ महत्त्वपूर्ण फाइलें भी थीं।
रेलवे स्टेशन पर खोई इस अटैची के वापस मिलने की मैं उम्मीद ही खो चुका था। किन्तु उस रोज जब मैं रुपयों का प्रबन्ध करने घर से निकलने ही वाला था कि वह अटैची हाथ में लिए आपका छोटा भाई मेरे पास आया। मुझे लगा मानो यह कोई स्वप्न हो और अटैची हाथ में लिए कोई देवदूत आया हो। अपने सामान के मिल जाने पर जो ख़ुशी मुझे हुई उसे शब्दों में बयाँ करना असम्भव हैं। वास्तव में, आप जैसे लोगों के बल पर ही इस दुनिया में ईमानदारी शेष हैं।
मैंने अटैची देख ली हैं। सभी चीजें यथावत हैं। मैं आप जैसे ईमानदार व्यक्ति का तहेदिल से शुक्रिया अदा करता हूँ। आपकी ईमानदारी ने मेरे बुझे मन में एक नवीन उत्साह का संचार किया हैं। आपका आभार व्यक्त करने के लिए मुझे शब्द नहीं मिल पा रहे हैं। हृदय से मैं आपकी मंगल कामना करता हूँ।
धन्यवाद।
भवदीय
के.के.वर्मा
(3) धन की आवश्यकता होने पर जरूरत के समय धन उधार देने वाले मित्र को धन्यवाद देते हुए पत्र लिखिए।
252, किशनगंज,
दिल्ली।
दिनांक 21 मई, 20XX
प्रिय मित्र सुशील,
नमस्कार!
कल आपने मुझे तीन हजार रुपये उधार देकर मुझ पर बड़ा उपकार किया हैं। आप जानते ही हैं कि इन दिनों मैं किन विषम परिस्थितियों से गुजर रहा हूँ। मेरी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं हैं। पत्नी का स्वास्थ्य भी खराब हैं। वह कई दिनों से अस्पताल में भर्ती हैं। उसके इलाज के लिए मुझे पाँच हजार रुपयों की आवश्यकता थी।
दो हजार रुपयों का इन्तजाम तो मैं कर चुका था, किन्तु मुझे तीन हजार रुपयों की आवश्यकता और थी। मैंने रुपयों के लिए अपने सगे-सम्बन्धियों से बात की, किन्तु सभी ने मना कर दिया। मैं परेशान हो गया था। समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ। ऐसे मुश्किल समय में आपने मुझे रुपये देकर मुझ पर बड़ा अहसान किया हैं।
मैं जल्दी ही आपके रुपये लौटा दूँगा। आपके द्वारा जरूरत के समय मुझे दिए गए ऋण के लिए मैं पुनः दिल से आपको धन्यवाद देता हूँ।
आपका मित्र,
विवेक अवस्थी
(4) आपके पिता ने आपके जन्म-दिन के अवसर पर आपको 3000 रुपए का उपहार भेजा है। उपहार के लिए धन्यवाद देते हुए उनको पत्र लिखिए जिसमें उनको बतलाइए कि आप रुपए को कैसे खर्च करना चाहते हैं।
कलमबाग रोड,
मुजफ्फरपुर,
17 जनवरी, 1998
पूज्यवर पिताजी,
मेरे जन्म-दिन के अवसर पर मुझे उपहार में 3000 रुपए भेजने के लिए आपको धन्यवाद। आपका अच्छा उपहार पाकर मुझे बहुत ख़ुशी हुई।
आप जानना चाहेंगे कि मैं आपके द्वारा भेजे गए रुपए को कैसे खर्च करना चाहता हूँ। आप जानते है कि मुझे फोटोग्राफी में रूचि है। गत वर्ष मैंने आपसे एक कैमरा के लिए अनुरोध किया था, लेकिन आपने मेरे अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। अब मैं कैमरा खरीद सकूँगा। मुझे कुछ दिनों से कैमरा की बहुत चाह रही है। मैं जब फोटो खींचना चाहता था, तब मुझे अपने मित्र का कैमरा माँगना पड़ता था। मैं बहुत दिनों से कैमरा रखना चाहता हूँ, लेकिन मैं उसे खरीद नहीं सकता था।
अच्छे कैमरे की कीमत बहुत होती है। मैं 3000 रुपए में एक साधारण कैमरा खरीद सकूँगा। मैं सोचता हूँ कि सस्ते कैमरे से भी मेरा काम चल जाएगा।
क्या आप मेरे विचार को पसंद करते है ? मेरा विश्र्वास है कि आप मुझे अपना उपहार मेरी इच्छा के अनुसार खर्च करने देंगे। यदि मेरे पास एक कैमरा रहे तो मैं फोटोग्राफी की कला सीख सकता हूँ। आप मुझसे सहमत होंगे कि फोटोग्राफी एक आनंददायक शौक है।
आपके प्रति अत्यंत आदर और माताजी के प्रति प्रेम के साथ,
आपका प्रिय पुत्र,
संजय
पता- श्री अरुण कुमार सिंह,
चर्च रोड,
राँची
(5) जन्म दिन पर मामा जी द्वारा भेजे गए उपहार के लिए धन्यवाद देते हुए पत्र लिखिए।
राजीव नगर,
भलस्वा गाँव,
दिल्ली।
दिनांक 21 जुलाई, 20XX
आदरणीय मामा जी,
सादर चरण-स्पर्श।
आज सुबह आपके द्वारा भेजी गई सुन्दर-सी घड़ी पाकर मुझे अत्यन्त ख़ुशी हुई। आपने सदैव मुझे समय का सदुपयोग करने और आगे बढ़ने की प्रेरणा दी हैं। मामा जी, यह उपकार मेरे वर्तमान और भविष्य दोनों के लिए ही सुखकर हैं, क्योंकि जो निश्चित समय-तालिका बनाकर उस पर दृढ़ता से चलते हैं, वे ही जीवन में सफलता प्राप्त करते हैं। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं हर कार्य समय पर करूँगा।
घड़ी इतनी आकर्षक और सुन्दर हैं कि घर में सब ने इसकी सराहना की हैं। हालाँकि जन्म-दिन पर आपकी अनुपस्थिति मुझे बहुत खल रही थी, परन्तु अब घड़ी के साथ मिला आपका पत्र पढ़कर मैं आपकी परेशानी से अवगत हो गया हूँ।
अब आपका स्वास्थ्य कैसा हैं, माताजी को आपके स्वास्थ्य की बहुत चिन्ता हैं। ईश्वर आपको शीघ्र स्वास्थ्य लाभ प्रदान करे। इतने सुन्दर और आकर्षक उपहार के लिए एक बार पुनः मैं आपका हार्दिक धन्यवाद करता हूँ।
आपका भांजा,
जितेन्द्र
(6) आपको जन्मदिन पर अपनी माताजी की ओर से मिले उपहार की उपयोगिता बताते हुए तथा धन्यवाद देते हुए पत्र लिखिए।
रामानुजम छात्रावास,
वाराणसी।
दिनांक 8 जून, 20XX
पूज्य माताजी,
सादर प्रणाम।
मैं यहाँ कुशलता से हूँ तथा आशा करती हूँ कि आप भी सभी सकुशल होंगे। आपके द्वारा भेजा गया अनमोल उपहार 'हिन्दी शब्दकोश' मुझे प्राप्त हुआ। मेरे जन्मदिन का यह सर्वश्रेष्ठ उपहार हैं। यह मेरे लिए अत्यन्त उपयोगी हैं। मुझे इसकी अत्यन्त आवश्यकता थी। अब मैं किसी भी शब्द का अर्थ आसानी से व शीघ्रातिशीघ्र जान सकती हूँ तथा इससे मेरी हिन्दी भाषा में भी सुधार होगा। इसके द्वारा मुझे मेरे हिन्दी के पाठ के भावार्थ लिखने में मदद मिलेगी।
मेरी पढ़ाई ठीक चल रही हैं। पिताजी को मेरा प्रणाम कहिएगा।
आपकी पुत्री,
श्वेता
किसी अधिकारी को लिखा जाने वाला पत्र 'आवेदन-पत्र' कहलाता हैं। आवेदन-पत्र में अपनी स्थिति से अधिकारी को अवगत कराते हुए अपेक्षित सहायता अथवा अनुकूल कार्यवाही हेतु प्रार्थना की जाती हैं। आवेदन-पत्र पूरी तरह से औपचारिक होता हैं, अतः इसे लिखते समय कुछ मुख्य बातों का ध्यान रखना चाहिए। जैसे- आवेदन-पत्र लिखते समय सबसे पहले ध्यान देने वाली जो बात हैं, वह यह हैं कि इसमें विनम्रता एवं अधिकारी के सम्मान का निर्वाह आवश्यक होता हैं। इसके अतिरिक्त इसकी शब्द-योजना एवं वाक्य-रचना सरल तथा बोधगम्य होनी चाहिए।
चूँकि एक अधिकारी के पास इतना समय नहीं होता कि वह आपके आवेदन-पत्र के सभी विवरण को पढ़ सके, अतः आपको पत्र के द्वारा जो कुछ कहना हो, उसे संक्षेप में कहें। साथ ही जो बात आप कह रहे हैं, वह विश्वसनीय और प्रमाण पुष्ट भी होनी चाहिए।
(1) प्रेषक का पता- आवेदन पत्र लिखते समय सबसे ऊपर बायीं ओर पत्र भेजने वाले का पता लिखा जाता हैं।
(2) तिथि/दिनांक- प्रेषक के पते ठीक नीचे बायीं ओर जिस दिन पत्र लिखा जा रहा हैं उस दिन की दिनांक लिखी जाती हैं।
(3) पत्र प्राप्त करने वाले का पता- दिनांक अंकित करने के पश्चात् 'सेवा में' लिखकर जिसे पत्र भेजा जा रहा हैं उस अधिकारी का पद, कार्यालय का नाम, विभाग तथा स्थान लिखा जाता हैं।
(4) विषय- पता लिखने के पश्चात् विषय लिखकर इसके अन्तर्गत पत्र के मूल विषय को संक्षिप्त में लिखा जाता हैं।
(5) सम्बोधन- विषय के बाद में महोदय, आदरणीय, मान्यवर, माननीय आदि सम्बोधन का प्रयोग किया जाता हैं।
(6) विषय-वस्तु- सम्बोधन के बाद 'सविनय निवेदन यह हैं कि...... अथवा 'सादर निवेदन हैं कि .....' जैसे वाक्य से पत्र प्रारम्भ किया जाता। पत्र के इस मूल भाग में यदि कई बातों का उल्लेख किया जाता हैं, तो उसे अलग-अलग अनुच्छेद में लिखना चाहिए। मूल भाग अथवा विषय वस्तु का अन्त आभार सूचक वाक्य से किया जाता हैं; जैसे- 'मैं सदा आपका आभारी रहूँगा' आदि।
(7) अभिवादन के साथ समाप्ति- पत्र के मूल-विषय को लिखने के पश्चात् धन्यवाद लिखकर पत्र को समाप्त किया जाता हैं।
(8) अभिनिवेदन- आवेदन-पत्र के अन्त में बायीं ओर भवदीय, प्रार्थी, आपका आज्ञाकारी जैसे शिष्टतासूचक शब्द लिखकर तथा अपना नाम आदि लिखकर पत्र की समाप्ति की जाती हैं।
आवेदन-पत्रों में किसी विषय अथवा समस्या को लेकर प्रार्थना की गई होती हैं। यह प्रार्थना; अवकाश प्राप्त करने से लेकर, मोहल्ले आदि की सफाई को लेकर स्वास्थ्य अधिकारी, क्षेत्र डाक-व्यवस्था सुधारने के लिए डाकपाल तक से की जा सकती हैं। अतः प्रार्थना सम्बन्धी आवेदन-पत्र लिखते समय इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि इसमें किसी भी प्रकार की असत्य बातों का उल्लेख न हों। आवेदन-पत्र कई प्रकार के हो सकते हैं, किन्तु जो पत्र-व्यवहार में लाए जाते हैं, वे मुख्यतः चार प्रकार के हैं-
(1) विद्यार्थियों के प्रार्थना सम्बन्धी आवेदन-पत्र- सामान्यतः स्कूल एवं कॉलेज के छात्र-छात्राओं द्वारा अपने अधिकारियों को लिखे जाने वाले पत्र इसी श्रेणी में आते हैं। छात्र-छात्राएँ अपने महाविद्यालय के प्राचार्य, विश्वविद्यालय के कुलपति, कुलसचिव, परीक्षा नियन्त्रक, शिक्षा सचिव, शिक्षा मन्त्री को पत्र के माध्यम से अपनी सामूहिक समस्याओं से अवगत कराते हैं।
इसी प्रकार छात्र-छात्राएँ विषय-परिवर्तन, समय-सारणी में परिवर्तन, चरित्र प्रमाण-पत्र, पहचान प्रमाण-पत्र प्राप्त करने, किसी प्रकार के दण्ड से मुक्ति के लिए, विकलांग होने पर लिपिक की व्यवस्था के लिए, मूल प्रमाण- पत्र खो जाने पर नए अथवा डुप्लीकेट प्रमाण-पत्र जारी करने के लिए सम्बन्धित अधिकारियों को आवेदन-पत्र लिखते हैं।
(2) कर्मचारियों के आवेदन-पत्र- आवेदन-पत्र से तात्पर्य ऐसे आवेदन-पत्रों से हैं जिन्हें एक कर्मचारी अपने अवकाश की स्वीकृति के लिए, स्थानान्तरण के लिए, किसी राशि का भुगतान करने के लिए, क्षमा-याचना के लिए, वेतन-वृद्धि के लिए, अनापत्ति प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के लिए अथवा आवास सुविधा के लिए सम्बन्धित अधिकारी को लिखता हैं।
(3) नौकरी के लिए आवेदन-पत्र- नौकरी सम्बन्धी आवेदन-पत्र किसी विज्ञापन के सन्दर्भ में या ऐसे संस्थान अथवा कार्यालय जिनका आवेदन-प्रारूप पूर्व निर्धारित नहीं होता, उनमें आवेदन के लिए लिखे जाते हैं। इस लैटर अथवा पत्र में यह बताते हुए, कि मुझे ज्ञात हुआ हैं कि आपके संस्थान में ...... का पद रिक्त हैं, अथवा आपके द्वारा दिए हुए विज्ञापन के सन्दर्भ में मैं .....के पद हेतु आवेदन कर रहा हूँ। मेरी शैक्षिक योग्यता एवं कार्यानुभवों का विवरण इस पत्र के साथ संलग्न मेरे जीवन-वृत्त में उल्लिखित हैं।
(4) जन-साधारण के आवेदन-पत्र- जन-साधारण को सामन्य जीवन में अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं। इन समस्याओं का सम्बन्ध पृथक्-पृथक् विभागों या कार्यालयों से हो सकता हैं। ऐसी समस्याओं के निवारण अथवा निराकरण के लिए सम्बन्धित अधिकारी को आवेदन-पत्र के माध्यम से प्रार्थना की जाती हैं। ऐसे पत्रों का सम्बन्ध व्यक्तिगत समस्या से भी हो सकता हैं एवं सार्वजनिक समस्या से भी। अतः हम कह सकते हैं कि ऐसे आवेदन-पत्रों की विषय-सीमा व्यापक होती हैं। बिजली, फोन, पानी, डाक-तार, स्वास्थ्य, बीमा आदि अनेक विषय ऐसे पत्रों का आधार हो सकते हैं।
विद्यार्थियों के प्रार्थना सम्बन्धी आवेदन-पत्र
विद्यार्थियों के प्रार्थना सम्बन्धी आवेदन-पत्र मुख्य रूप से अवकाश प्राप्त करने से लेकर, समय-सारणी में परिवर्तन, विषय-परिवर्तन, चरित्र प्रमाण-पत्र, दण्ड से मुक्ति आदि के लिए लिखे जाते हैं। प्रार्थना-पत्र लिखते समय विद्यार्थी को इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि इसमें किसी प्रकार की असत्य बातों का उल्लेख न हो। यदि ऐसा हो जाता हैं, तो सम्बन्धित अधिकारी का आप पर से विश्वास तो उठता ही हैं, भविष्य में आप को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता हैं।
अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को पत्र लिखिए, जिसमें बीमारी के कारण अवकाश लेने के लिए प्रार्थना की गई हो।
243, प्रताप नगर, ...............................(पत्र भेजने वाले का पता)
दिल्ली।
दिनांक 25 मई, 20XX...............................(दिनांक)
सेवा में,
श्रीमान प्रधानाचार्य जी,
सर्वोदय विद्यालय,
सी.सी.कालोनी,
दिल्ली।....................................... (पत्र प्राप्त करने वाले का पता)
विषय बीमारी के कारण छुट्टी के लिए प्रार्थना-पत्र।.................. (विषय)
महोदय,............................... (सम्बोधन)
सविनय निवेदन यह हैं कि मैं आपके विद्यालय की कक्षा दसवीं 'ब' का छात्र हूँ। मुझे कल रात से बहुत तेज ज्वर हैं। डॉक्टर ने मुझे दो दिन आराम करने की सलाह दी हैं। इस कारण मैं आज विद्यालय में उपस्थित नहीं हो सकता। कृपया, मुझे दो दिन (25 मई से 26 मई 20XX) का अवकाश प्रदान करने की कृपा करें।...............(विषय वस्तु)
धन्यवाद। ...............................(अभिवादन की समाप्ति)
आपका आज्ञाकारी शिष्य
नरेश कुमार
कक्षा-दसवीं 'ब'
अनुक्रमांक-15............................... (अभिनिवेदन)
(1) अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को विषय परिवर्तन के लिए प्रार्थना-पत्र लिखिए।
457, शालीमार बाग,
दिल्ली।
दिनांक 8 जून, 20XX
सेवा में,
श्रीमान प्रधानाचार्य जी,
राजकीय इण्टर कॉलिज,
मोदीनगर,
गाजियाबाद।
विषय- विषय परिवर्तन हेतु।
महोदय,
सादर निवेदन यह हैं कि मैं आपके विद्यालय की ग्यारहवीं कक्षा का छात्र हूँ। मैंने इसी विद्यालय से
दसवीं कक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की हैं। परीक्षा पास करने के बाद मैं असमंजसता की स्थिति में
यह निर्णय नहीं कर पाया था कि मेरे लिए कला, विज्ञान अथवा गणित वर्ग में से कौन-सा वर्ग ठीक रहेगा।
मैंने अपने साथियों के आग्रह और अनुकरण से कला वर्ग चुन लिया हैं।
लेकिन पिछले सप्ताह से मुझे यह अनुभव हो रहा हैं कि मैंने अपनी योग्यता के अनुकूल विषय का चयन नहीं किया हैं। मुझे गणित विषय में 98 अंक प्राप्त हुए हैं। अतः गणित वर्ग विषय होना मेरी प्रतिभा के विकास के लिए अधिक उपयुक्त रहेगा।
आशा हैं आप मेरी कला संकाय से गणित संकाय में स्थानान्तरण की प्रार्थना स्वीकार करेंगे। मैं इसके लिए सदा आपका आभारी रहूँगा।
धन्यवाद।
आपका आज्ञाकारी शिष्य
उमाशंकर
कक्षा- ग्यारहवीं 'अ'
अनुक्रमांक-26
(2) अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को छात्रवृत्ति प्राप्त कराने का आग्रह करते हुए प्रार्थना-पत्र लिखिए।
424, शालीमार बाग,
दिल्ली।
दिनांक 18 जुलाई, 20XX
सेवा में,
श्रीमान प्रधानाचार्य,
आदर्श माध्यमिक विद्यालय,
सिद्धार्थ नगर,
आगरा।
विषय- छात्रवृत्ति प्राप्त करने के लिए प्रार्थना-पत्र।
मान्यवर,
सविनय निवेदन यह हैं कि मैं दसवीं कक्षा का छात्र हूँ। मैं सदा विद्यालय में अच्छे अंकों के साथ उत्तीर्ण होता हूँ।
पिछले कई वर्षों से मैं लगातार प्रथम आ रहा हूँ। इसके अतिरिक्त मैं भाषण-प्रतियोगिताओं,
वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में कई बार विद्यालय के लिए जोनल एवं राष्ट्रीय स्तर पर इनाम जीत कर लाया हूँ।
खेल-कूद में भी मेरी गहन रुचि हैं। मैं स्कूल की क्रिकेट टीम का कप्तान भी हूँ। सभी अध्यापक मेरी प्रशंसा करते हैं।
मुझे अत्यन्त दुःख के साथ आपको बताना पड़ रहा हैं कि मेरे पिताजी को एक असाध्य रोग ने आ घेरा हैं जिसके कारण घर की आर्थिक दशा डगमगा गई हैं। पिताजी स्कूल से मेरा नाम कटवाना चाहते हैं। वे मेरा मासिक-शुल्क देने में असमर्थ हैं। मैंने अपनी पाठ्य-पुस्तकें तो जैसे-तैसे खरीद ली हैं, लेकिन शेष व्यय के लिए आपसे नम्र निवेदन हैं कि मुझे तीन सौ रुपये मासिक की छात्रवृत्ति देने की कृपा करें, ताकि मैं अपनी पढ़ाई सुचारू रूप से चला सकूँ। यह छात्रवृत्ति आपकी मेरे प्रति विशेष कृपा होगी। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं खूब मेहनत से पढ़ूँगा और इस स्कूल का नाम रोशन करूँगा।
धन्यवाद।
आपका आज्ञाकारी शिष्य
विशाल
कक्षा-दसवीं
अनुक्रमांक-15
(3) अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को पत्र लिखिए, जिसमें कम्प्यूटर शिक्षा की व्यवस्था करने के लिए प्रार्थना की गई हो।
642, मुखर्जी नगर,
दिल्ली।
दिनांक 21 जुलाई, 20XX
सेवा में,
श्रीमान प्रधानाचार्य,
रा.उ.मा. बाल विद्यालय,
गणेशपुर,
रुड़की।
विषय- कम्प्यूटर शिक्षा की व्यवस्था हेतु प्रार्थना-पत्र।
महोदय,
सविनय निवेदन हैं कि हम दसवीं कक्षा के छात्र यह अनुभव करते हैं कि आज के कम्प्यूटर युग में प्रत्येक
व्यक्ति को कम्प्यूटर की जानकारी होनी चाहिए। हम देख भी रहे हैं कि दिनोंदिन कम्प्यूटर शिक्षा की माँग
बढ़ती जा रही हैं। ऐसे में हमारे उज्ज्वल भविष्य के लिए भी कम्प्यूटर का ज्ञान होना अपरिहार्य हैं।
अतः आपसे प्रार्थना हैं कि कृपा करके हमारे विद्यालय में कम्प्यूटर शिक्षा आरम्भ करें। हम आपके प्रति कृतज्ञ होंगे। आशा हैं, आप हमारे अनुरोध को स्वीकार करेंगे।
धन्यवाद।
प्रार्थी
क.ख.ग.
कक्षा- दसवीं 'अ'
(4) अपने विश्वविद्यालय के प्रधानाचार्य को चरित्र प्रमाण-पत्र लेने के लिए आवेदन-पत्र लिखिए।
424, कीर्ति नगर
दिल्ली।
दिनांक 26 अप्रैल, 20XX
सेवा में,
श्रीमान प्रधानाचार्य,
रामजस कॉलेज,
दिल्ली विश्वविद्यालय,
नई दिल्ली।
विषय- चरित्र प्रमाण-पत्र लेने हेतु आवेदन-पत्र।
महोदय,
सविनय निवेदन हैं कि मैंने आपके विश्वविद्यालय से वर्ष 20XX में बी.ए.हिन्दी (ऑनर्स) की परीक्षा
उत्तीर्ण की हैं। अब मैं महर्षि दयानन्द विश्वविद्यालय, रोहतक, हरियाणा से बी.एड. करने जा रहा हूँ।
चूँकि मेरी काउन्सलिंग हो गई हैं, मुझे मेरे पसन्दीदा कॉलेज में प्रवेश के लिए पंजीकरण पर्ची भी दे दी गई हैं।
मैंने सम्बन्धित कॉलेज से सम्पर्क किया, तो पता चला कि मुझे यहाँ स्नातक तक के प्रमाण-पत्रों सहित
चरित्र-प्रमाण-पत्र भी जमा कराना होगा।
अतः आप से निवेदन हैं कि आप मुझे जल्द से जल्द मेरा चरित्र प्रमाण-पत्र प्रदान करने की कृपा करें, ताकि मैं समय रहते बी.एड में प्रवेश ले सकूँ।
धन्यवाद।
भवदीय
हस्ताक्षर......
भवेश कुमार
........................दिनांक 28 अप्रैल, 20XX
दिल्ली विश्वविद्यालय
प्रमाणित किया जाता हैं कि श्री सुनील कुमार सुपुत्र श्री विवेकानन्द, जो कि वर्ष 20XX से इस विश्वविद्यालय में बी.ए.हिन्दी (ऑनर्स) में अध्ययनरत् हैं, का अपने अध्यापकों, सहपाठियों एवं अन्य के प्रति व्यवहार अच्छा रहा हैं। उनके चरित्र में किसी प्रकार का दोष नहीं हैं।
हम उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं।
हस्ताक्षर......
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
(प्रधानाचार्य)
(5) शिष्य द्वारा अपने पुराने अध्यापक को अपनी पदोन्नति के विषय में व उनका कुशल मंगल पूछने के सम्बन्ध में पत्र लिखिए।
129 वजीरपुर,
नई दिल्ली।
दिनांक 5 जुलाई, 20XX
आदरणीय गुरु जी,
सादर प्रणाम।
आपको पत्र लिखकर मैं स्वयं को धन्य मान रहा हूँ। लम्बे समय बाद मैंने आपको पत्र लिखा हैं।
इस पत्र के माध्यम से मैं आपको कुछ अच्छी खबर देना चाहता हूँ और आपका आशीर्वाद भी प्राप्त करना चाहता हूँ।
आपको यह जानकर अत्यन्त प्रसन्नता होगी कि मेरी पदोन्नति सेल्स मैनेजर (बिक्री प्रबन्धक) के पद पर हो गई हैं। मैंने अपने जीवन में जो कुछ हासिल किया हैं, उसमें आपका महत्त्वपूर्ण योगदान हैं। विद्यार्थी जीवन में आपके द्वारा प्रदान की गई शिक्षा आज मेरे जीवन में अत्यन्त लाभकारी सिद्ध हो रही हैं। शीघ्र ही किसी विशेष अवसर पर मैं आपसे मिलने व आपका आशीर्वाद पाने के लिए आऊँगा।
आशा हैं आप सकुशल होंगे। क्या आपने अपने मोतियाबिंद का इलाज करवा लिया हैं? अगर मैं आपके लिए कुछ करने योग्य हूँ, तो आप मुझे अवश्य बताएँ।
आदर सहित,
आपका शिष्य,
दिनेश