Patra-lekhan(Letter-writing)-(पत्र-लेखन)


(5) व्यापारिक पत्र

व्यापारिक पत्र वैयक्तिक पत्रों की तुलना में काफी भिन्न होते हैं। व्यापारिक पत्रों की भाषा औपचारिक होती है। इनमें द्विअर्थी एवं संदिग्ध बातों का स्थान नहीं होता। ये पत्र किसी भी व्यापारिक संस्थान के लिए आवश्यक होते हैं। व्यापारिक पत्र किन्हीं दो व्यापारियों के बीच व्यापारिक कार्य हेतु लिखे जाते हैं।

एक व्यवसायी तभी सफल हो सकता है, जब वह दूसरे व्यवसायी के साथ मधुर सम्बन्ध बनाए। सम्बन्धों को मधुर बनाए रखने एवं व्यापार को कुशलतापूर्वक बढ़ाने के लिए पत्रों को लिखने की आवश्यकता होती है।

व्यापारिक पत्र माल का मूल्य पूछने सम्बन्धी जानकारी लेने, बिल का भुगतान करने, बिल की शिकायत करने, साख बनाने, समस्या बताने, सन्दर्भ लेने आदि के विषय में लिखे जाते हैं।

व्यापारिक पत्रों की उपयोगिता

व्यापारिक पत्र एक व्यवसायी के दृष्टिकोण से बहुत उपयोगी होते हैं। इन पत्रों से समय की बचत तो होती ही है, धन भी कम खर्च होता है। ये पत्र व्यापार का प्रचार एवं विज्ञापन का कार्य भी करते हैं।

व्यवसायिक पत्राचार के द्वारा व्यापार के सभी कार्यों के आधार पर भेजे गए पत्रों का रिकॉर्ड तैयार कर दिया जाता है। व्यापार की बातों को यदि व्यापारी कुछ समय के बाद भूलने लगता है, तब यही व्यावसायिक पत्रों के मूल्यवान रिकॉर्ड उनकी सहायता करते हैं।

इस प्रकार व्यापारिक पत्र व्यापारिक साख को बढ़ाने के साथ-साथ विवाद और भ्रम की स्थिति में इसके सहज निवारण में भी काम आते हैं।

व्यापारिक पत्रों की विशेषताएँ

व्यापारिक पत्र की निम्नलिखित विशेषताएँ होती हैं-

(1)स्पष्टता- व्यापारिक पत्र जिस विषय में लिखा गया हो, वह पूर्णतः स्पष्ट होना चाहिए। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि बातों को ज्यादा घुमा-फिराकर न कहा गया हो।

(2)सरलता- व्यापारिक पत्रों की भाषा अत्यन्त सरल होनी चाहिए ताकि उसे पढ़ने वाला आसानी से मूल विषय को समझ सके। ऐसे पत्रों में मुहावरों का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

(3)संक्षिप्तता- एक व्यापारी के पास समय का अभाव होता हैं। वह मुख्य बात को जानने का इच्छुक होता है। अतः व्यापारिक पत्रों में संक्षिप्तता होनी चाहिए।

(4)सम्पूर्णता- व्यापारिक पत्र में सम्पूर्णता का अत्यधिक महत्त्व होता है। पत्र में आधी-अधूरी बातें नहीं होनी चाहिए। यदि पत्र में कोई सूचना दी जा रही है, तो वह सभी तथ्यों, आँकड़ों आदि से युक्त होनी चाहिए।

(5)त्रुटिहीनता- व्यापारिक पत्र चूँकि दो व्यवसायियों के मध्य संवाद का माध्यम होते हैं, अतः इनमें किसी भी प्रकार की त्रुटि नहीं होनी चाहिए। यदि ऐसा होता है, तो इससे संगठन/व्यक्ति की साख में कमी आ सकती है। यह बात सदैव स्मरण रखें कि छोटी-सी त्रुटि से व्यापार में भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

(6)नम्रता- व्यापारिक पत्र की शैली नम्रतापूर्ण होनी चाहिए। नम्रता से कटुता दूर होती है और मित्र भाव उत्पन्न होता है। सदैव दूसरों की भावनाओं का सम्मान करना चाहिए और शिष्ट भाषा के प्रयोग द्वारा रूठे हुए लोगों को मनाने का प्रयास करना चाहिए, यही व्यावसायिक सफलता की कुंजी है।

(7)क्रमबद्धता- व्यापारिक पत्र लिखते समय क्रमबद्धता का ध्यान रखना अत्यन्त आवश्यक है। पत्र में प्राथमिकता के आधार पर विभिन्न वाक्यों का क्रम रखा जाना चाहिए। जो बात महत्त्वपूर्ण हो, उसे पहले लिखना चाहिए। वाक्य इस प्रकार क्रमबद्ध रूप से लिखे जाएँ कि पत्र प्राप्तकर्ता पत्र पढ़ते ही उसके मूल भाव को समझ जाए और तत्सम्बन्धी निर्णय हेतु विचार कर सके।

व्यापारिक पत्र के भाग

व्यापारिक पत्र को क्रमबद्ध एवं व्यवस्थित रूप से लिखने के लिए इसके कलेवर को वैयक्तिक पत्रों की भाँति कई भागों में बाँटा गया है।

व्यापारिक पत्र के मुख्य भाग अग्रलिखित हैं-

(1)शीर्षक- शीर्षक में पत्र लेखक/संस्था का नाम, डाक का पता, टेलीफोन नं., ई-मेल का पता आदि होता है। शीर्षक पृष्ठ के ऊपरी भाग में बायीं ओर छपा रहता है।

(2)पत्रांक/पत्र संख्या एवं दिनांक- व्यापारिक पत्रों में पत्रांक एवं दिनांक का अत्यधिक महत्त्व होता है। पत्र-व्यवहार में पिछले सन्दर्भ देने और वैधानिक आवश्यकता के समय पत्रांक एवं दिनांक का उल्लेख किया जाता है। पत्रांक और दिनांक पत्र के बायीं ओर शीर्षक के नीचे लिखनी चाहिए।

(3)सन्दर्भ संख्या- व्यापारिक पत्र में यदि सम्भव हो, तो सन्दर्भ संख्या का उल्लेख अवश्य करना चाहिए। सन्दर्भ संख्या द्वारा संस्था को पुराने पत्रों से विषय के सम्बन्ध में सम्पूर्ण ब्यौरा उपलब्ध हो जाता है।

,p> (6)अन्दर लिखा जाने वाला पता- जिस व्यक्ति या संस्था को पत्र लिखा जा रहा है, उसका नाम व पता पत्र में बायीं ओर दिनांक के नीचे और अभिवादन के ऊपर लिखना चाहिए।

(7)विषय- विषय की जानकारी एक पंक्ति में 'महोदय' से पूर्व दी जाती है।

(8)सम्बोधन- व्यापारिक पत्र में सम्बोधन के लिए सामान्यतः 'महोदय/महोदया' लिखते हैं। सम्बोधन पत्र के बायीं ओर लिखते हैं।

(9)पत्र का मुख्य भाग- यह व्यापारिक पत्र का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भाग होता है। पत्र द्वारा दी जाने वाली सूचना इसी भाग में लिखी जाती है। पत्र का यह भाग सामान्यतः तीन भागों में विभाजित होता है-

(1) प्रथम भाग- जिसमें विषय का परिचय होता है अथवा प्रेषिती (Addressee) द्वारा अब तक भेजे गए पत्रों का सन्दर्भ दिया जाता है। पत्र का यह भाग या अनुच्छेद छोटा होता है।

(2) द्वितीय भाग- जिसमें तथ्यों एवं सूचनाओं का विवरण होता है। यह कई छोटे-छोटे अनुच्छेदों में भी बँटा हो सकता है। ,/p>

(3) तृतीय भाग- जिसमें आगामी कार्य-व्यापार पर बल दिया जाता है। यह मुख्य भाग का अन्तिम भाग होता है।

समाप्ति हेतु अन्तिम आदरसूचक शब्द व्यापारिक पत्रों में शिष्टाचारपूर्ण अन्त, पत्र के नीचे बायीं ओर हस्ताक्षर के ऊपर सामान्यतः 'भवदीय' लिखकर किया जाता है।

पत्र लेखक के हस्ताक्षर पत्र के अन्त में सबसे नीचे 'भवदीय' आदि के बाद अपने हस्ताक्षर करने चाहिए। यदि व्यापारिक पत्र किसी संस्था/संगठन द्वारा लिखा गया है, तो संस्था का कोई भागीदार भी संस्था की ओर से हस्ताक्षर कर सकता है।

सूचना सम्बन्धी पत्र

ऐसे व्यापारिक पत्र जिनका उद्देश्य सूचना प्राप्त करना अथवा सूचना देना होता है, 'सूचना सम्बन्धी पत्र' कहलाते हैं। सूचना सम्बन्धी पत्रों के माध्यम से एक कम्पनी अपनी वर्तमान स्थितियों की जानकारी देती है। इसके अलावा एक व्यक्ति अथवा फर्म किसी दूसरी फर्म/संस्था से सूचना पत्र के माध्यम से जानकारी लेता एवं देता है।

जानकारी लेने, कोटेशन मँगवाने, पत्रों के उत्तर देने, ग्राहकों को नई बातें बताने आदि के लिए सूचना सम्बन्धी पत्रों का प्रयोग किया जाता है।

कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं-

(1) डाकघर के डाकपल महोदय को पते में हुए परिवर्तन की सूचना देते हुए पत्र लिखिए।

लाला हरदयाल एन्ड सन्स,
पंजाब।

दिनांक 26 अप्रैल, 20XX

सेवा में,
डाकपाल महोदय,
जगराँव डाकघर,
पंजाब।

विषय- पते में हुए परिवर्तन की सूचना देने हेतु।

महोदय,
हम इस पत्र के माध्यम से अपने डाक के पते में हुए परिवर्तन से सम्बन्धी सूचना दे रहे हैं। अब हमारा मुख्य कार्यालय जालन्धर रोड से जगराँव स्थानान्तरित हो गया है। अतः आपसे अनुरोध है कि कृपया सम्बन्धित क्षेत्र के डाकिए को निर्देशित करें कि अब वह हमारे पत्र, पार्सल, धनादेश व डाक से आने वाली अन्य चीजे हमारे नए पते पर ही पहुँचाए।
आपसे सहयोग की अपेक्षा में।

धन्यवाद।

भवदीय,
हस्ताक्षर.......
(कुलदीप सिंह)
लाला हरदयाल एन्ड सन्स

(2) बुक कराए गए पार्सल की बुकिंग निरस्त कराने की सूचना देते हुए पत्र लिखिए।

सरस्वती हाउस प्रा. लि.
नई दिल्ली।

दिनांक 10 अप्रैल, 20XX

सेवा में,
मुख्य पार्सल लिपिक,
उत्तरी रेलवे,
नई दिल्ली।

विषय- पार्सल की बुकिंग निरस्त कराने हेतु।

महोदय,
अपने पार्सल की बुकिंग निरस्त कराने के सम्बन्ध में सूचना देने के लिए हम आपको यह पत्र लिख रहे हैं। हमने अपने ग्राहक को पुस्तकें भेजने हेतु आपके यहाँ आज ही R/R संख्या 32241/69 से एक पार्सल बुक कराया है। अभी-अभी हमारे ग्राहक ने सूचना दी है कि उक्त ऑर्डर को निरस्त करते हुए माल न भेजा जाए। पत्र के साथ R/R की मूल प्रति संलग्न है।

जैसा कि माल भाड़ा अदा कर दिया है, तो आपसे प्रार्थना है कि माल भाड़े में से उपयुक्त निरस्तीकरण अधिभार की कटौती कर बाकी रकम वापस कर दी जाए।

धन्यवाद।

भवदीय,
हस्ताक्षर.......
(नीरज बंसल)
सरस्वती हाउस प्रा. लि.

(3) ग्राहकों को नकद खरीद पर छूट देने की सूचना देते हुए पत्र लिखिए।

जे. जे. एक्सपोर्ट्स,
9, इन्डस्ट्रियल एरिया,
कानपुर।

दिनांक 27 मई. 20XX

सेवा में,
सूरत क्लॉथ हाउस,
कमला नगर,
भोपाल।

विषय- नकद खरीद पर छूट देने के सन्दर्भ में।

महोदय,
आप हमारे उन प्रमुख ग्राहकों में से हैं, जो देय राशियों का समय पर शीघ्रता से भुगतान कर देते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए हम आपको दो सप्ताह के अन्दर भुगतान किए जाने पर 2% की विशेष छूट प्रदान करना चाहते हैं। आपको सूचित कर दें कि आपका अप्रैल माह का भुगतान अभी तक नहीं हुआ। आप चाहें तो शीघ्र भुगतान कर इस छूट का लाभ उठा सकते हैं।

आशा है आपको हमारा यह प्रस्ताव पसन्द आएगा और आप इसका अवश्य ही लाभ उठाएँगे।

धन्यवाद।

भवदीय,
हस्ताक्षर ....
(अजीत निगम)
जे. जे. एक्सपोर्ट्स

(4) बिजली के बल्बों के ऑर्डर के निरस्तीकरण की सूचना देते हुए पत्र लिखिए।

रामनिवास कॉन्ट्रेक्टर्स,
धौरीमन्न,
बाड़मेर।

दिनांक 25 मार्च, 20XX

सेवा में,
रोशनी इलैक्ट्रिकल सप्लायर्स,
नेहरू प्लेस,
नई दिल्ली।

विषय- ऑर्डर निरस्त करवाने हेतु।

महोदय,
हमने आपको 2500 बिजली के बल्बों का ऑर्डर दिया था, जिनकी आपूर्ति इस माह के अन्तिम सप्ताह में होनी है, परन्तु हमें खेद के साथ आपको यह कहना पड़ रहा है कि बल्बों का यह ऑर्डर निरस्त कर दिया जाए।

दरअसल, हमें इस आर्डर को निरस्त करवाने के लिए विवश होना पड़ रहा है, क्योंकि उक्त 100 वाट के 2500 बल्ब स्थानीय नगर निगम में आपूर्ति हेतु मँगवाए जा रहे थे। परन्तु नगर निगम ने आन्तरिक बजट की समस्या के चलते कुछ समय के लिए इस आपूर्ति पर रोक लगा दी है।

इस प्रकार इस ऑर्डर को निरस्त करवाना हमारी विवशता थी, परन्तु जैसे ही नगर निगम में बजट सम्बन्धी समस्या का समाधान हो जाएगा, हम आपसे इस माल की आपूर्ति हेतु पुनः निवेदन करेंगे।

आपको हुई असुविधा के लिए हमें खेद है।

धन्यवाद।

भवदीय,
हस्ताक्षर ......
(गणेश दत्त)

(5) व्यापारिक गतिविधियों में वृद्धि होने के कारण बैंक की नवीन शाखा के शुभारम्भ की सूचना ग्राहकों को देते हुए पत्र लिखिए।

पंजाब नेशनल बैंक,
मुखर्जी नगर,
दिल्ली।

दिनांक 21, अप्रैल, 20XX

विषय- बैंक की नवीन शाखा खुलने के सन्दर्भ में।

प्रिय ग्राहकों,
आपके शहर में व्यापारिक गतिविधियों में होने वाली लगातार वृद्धि के कारण हमारी निरंकारी कालोनी शाखा में कार्य का भार इतना हो गया था कि ग्राहकों को अपने खातों में लेन-देन करने तथा बैंक सम्बन्धित अन्य कार्यों के संचालन हेतु लम्बी लाइनों में खड़े रहकर घण्टों इन्तजार करना पड़ता था। इससे ग्राहकों का बहुमूल्य समय नष्ट हो जाता था। इस समस्या के समाधान के लिए हम लम्बे समय से प्रयासरत थे, जिसका फल अब मिला है। हम अपनी एक नवीन शाखा का शुभारम्भ 25 अप्रैल से मुखर्जी नगर में HDFC बैंक के नजदीक करने जा रहे हैं। हमारी यह शाखा पूर्णतः कम्प्यूटरीकृत तथा ए टी एम एवं लॉकर सुविधा से युक्त है।

कृपया हमारी इस शाखा द्वारा प्रदत्त सुविधाओं एवं सेवाओं का लाभ उठाएँ। हम सदैव आपकी सेवा में तत्पर हैं।

धन्यवाद।

भवदीय,
हस्ताक्षर ......
क्षेत्रीय प्रबन्धक

(6) चेक खो जाने के कारण बैंक को चेक का भुगतान न करने की सूचना देते हुए पत्र लिखिए।

24, नेहरू विहार,
दिल्ली।

दिनांक 20 मई, 20XX

सेवा में,
प्रबन्धक महोदय,
बैंक ऑफ महाराष्ट्र,
मुखर्जी नगर,
दिल्ली।

विषय- बैंक को चेक का भुगतान न करने हेतु।

महोदय,
मैंने 8 हजार का एक चेक संख्या 46451 श्री उमेश शर्मा को दिनांक 22 मई, 20XX का दिया है। मुझे आज ही उन्होंने सूचित किया है कि उक्त चेक उनसे खो गया है। अतः आपसे निवेदन है कि उस चेक का भुगतान किसी को भी, किसी भी दशा में न किया जाए। यदि भुगतान किया गया, तो मैं उत्तरदायी नहीं होऊँगा।

जवाब की अपेक्षा में।

धन्यवाद।

भवदीय,
रामसुमेर
खाता संख्या : 254645876451