Muhavare(Idioms)(मुहावरे)


(16) (अंक पर मुहावरे)

अंक भरना (गोद भर लेना)- माँ ने दौड़कर युद्ध से लौटे अपने इकलौते बेटे को अंक में भर लिया।

अंक लगाना (आलिंगन करना)- ज्योंही मोहन परीक्षा में प्रथम हुआ, उसे उसके मित्र सोहन ने अंक लगा लिया।

(17) (अंग पर मुहावरे)

अंग उभरना (यौवन के लक्षण दिखाई पड़ना)- तेरहवाँ वर्ष लगते ही कुंती के अंग उभरने लगे।

अंग टूटना (थकान की पीड़ा)- काम करते-करते अंग टूटने लगे।

अंग मोड़ना (शरीर के अंगों को लज्जावश छिपाना)- नाटक में उतरना है, तो अंग मोड़ने से काम नहीं चलेगा।

(18) (कमर पर मुहावरे)

कमर कसना (दृढ़ निश्र्चय करना)- विजय चाहते हो, तो युद्ध के लिए कमर कस लो।

कमर सीधी करना (परिश्रम के बाद विश्राम)- अभी तो टेस्ट परीक्षा समाप्त हुई है; जरा कमर सीधी करने दो, फिर पढ़ाई चलेगी।

कमर टूटना (निरुत्साह होना)- परीक्षा में कई बार फेल होने से उसकी कमर ही टूट गयी।

(19) (गला पर मुहावरे)

गले मढ़ना (इच्छा के विरुद्ध कुछ मत्थे थोप देना)- उसने अच्छा कहकर पूरे छह सौ लिये और अपना रद्दी रेडियो मेरे गले मढ़ दिया।

गले पर छुरी फेरना (अपनों का ही बहुत नुकसान करना)- इन दिनों भाई ही भाई के गले पर छुरी फेर रहा है।

(20) (घुटना पर मुहावरे)

घुटना टेकना (हार मानना)- वीर बराबर बात पर हथियार टेक सकते है, घुटने नहीं।

(21) (गाल पर मुहावरे)

गाल फुलाना (रूठना)- कैकेयी ने गाल फुला लिया, तो दशरथ परेशान हो गये।

गाल बजाना (डींग हाँकना)- किसके आगे गाल बजा रहे हो ? आखिर मैं तुम्हारा बड़ा भाई हूँ, बीस वर्ष बड़ा। मुझसे तुम्हारा कुछ छुपा भी है क्या ?

(22) (चेहरा पर मुहावरे)

चेहरा उतरना (चेहरे पर रौनक न रहना)- जाली सर्टिफिकेट का भेद खुलते ही बेचारे डॉक्टर का चेहरा उतर गया।

चेहरा बिगाड़ना (बहुत पीटना)- फिर बदमाशी की, तो चेहरा बिगाड़ दूँगा।

चेहरे पर हवाई उड़ना (घबरा जाना)- आप सफ़र में जिसके चेहरे पर हवाई उड़ते देखें, समझ लें कि वह बेटिकट नया शोहदा है।

(23) (जबान पर मुहावरे)

जबान देना (वचन देना)- मैंने उसे जबान दी है, अतः होस्टल छोड़ने पर अपनी चौकी उसे ही दूँगा।

जबान खींचना (उद्दंड बोली के लिए दंड देना)- बकवास किया, तो जबान खींच लूँगा।

जबान पर लगाम न होना (किसके आगे क्या कहना चाहिए, इसकी तमीज न होना)- जिसकी जबान पर लगाम नहीं, उससे मुँह लगाना ठीक नहीं।

जबान चलाना (अनुचित शब्द निकालना)- यदि जबान चलाओगे, तो जबान खींच लूँगा।

(24) (जान पर मुहावरे)

जान छुड़ाना, पिंड छुड़ाना (पीछा छुड़ाना)- उसने किसी तरह उन गुंडों से जान छुड़ायी।

जान पर खेलना, जान को जान न समझना, जान लड़ाना (वीरता का काम करना)- पाकिस्तान के साथ लड़ाई में पठानिया जान पर खेल गये, उन्होंने जान को जान न समझा, वे जान लड़ा गये।

जान का जंजाल होना (अप्रिय होना)- यह गाड़ी तो मेरे लिए जान का जंजाल हो गयी।

जान खाना (तंग करना)- देखो भाई, जान मत खाओ, मौका मिलते ही तुम्हारा काम कर दूँगा।

(25) (जी पर मुहावरे)

जी खट्टा होना (पहले जिससे रुचि, उससे अरुचि होना)- किसी काम के न होकर खुशामद पर निर्वाह खोजनेवालों से एक-न-एक दिन जी खट्टा तो होता ही है।

जी छोटा करना (मन उदास करना)- इस नुकसान पर जी छोटा करने से काम नहीं चलेगा, परिश्रम करते चलो, काम बनेगा ही।

जी जलना (क्रोध आना)- बेलगाम लाउडस्पीकरों की अठपहरा भौं-भौं से किसका जी न जलेगा।

जी-जान लड़ाना (अंतिम परिश्रम करना)- विद्या सीखनी हो तो विद्यासागर की तरह शुरू से जी-जान लड़ाकर सीखो।

जी धकधक करना (आतंकित रहना)- बचपन में भूत का नाम सुनते ही मेरा जी धकधक करने लगता था।

जी भर आना (ह्रदय द्रवित होना)- अरविंद की 'सावित्री' पढ़ो। स्त्री-धर्म के उस चरम पुरुषार्थ पर तुम्हारा जी न भर आए, तो कहना।

(26) (छाती पर मुहावरे)

छाती (जी) जुड़ाना (परम तृप्ति)- मित्र की उन्नति देखकर मेरी छाती जुड़ा गयी (मेरा जी जुड़ा गया)।

छाती (जी) जलना (डाह होना)- किसी की छाती जले, परवाह नहीं, मुझे तो आगे बढ़ते जाना है।

छाती फुलाना (अभिमान करना)- रमेंद्र पुलिस-अफसर क्या हुआ, हमेशा छाती फुलाये चलता है।

छाती पीटना (विलाप करना)- बेटे के मरते ही माँ छाती पीटने लगी।

छाती पर साँप लोटना (ईर्ष्या करना)- राम की सफलता देख श्याम की छाती पर साँप लोट गया।

छाती पर कोदो दलना (प्रतिशोधात्मक कष्ट पहुँचाना)- अपना धर्म मानना सांप्रदायिकता नहीं है, सांप्रदायिकता है दूसरे धर्मवालों की छाती पर कोदो दलना।

(27) (टाँग पर मुहावरे)

टाँग अड़ाना (फिजूल दखल देना)- गद्य आता है न ? नहीं आता ? तो फिर पद्य में क्या टाँग अड़ाने लगे ? जाओ, पहले गद्य दुरुस्त करो।

टाँग पसारकर सोना (निश्चिंत सोना)- सिकंदर उमड़ती वितस्ता को बहत्तर मील उत्तर बढ़कर अँधेरी रात में जबकि सेना समेत तैरकर पार कर रहा था, उस समय सराय जेहलम के भलेमानुस राजा पुरु रनिवास में टाँग पसारकर सोये हुए थे।

(28) (दम पर मुहावरे)

दम मारना (लेना)- आराम करना, सुस्ताना। दम लेने दो, फिर आगे बढ़ेंगे।

दम में दम आना (स्थिर होना)- चोर जब भागकर झाड़ी में छिपा तब उसके दम में दम आया।

दम घुटना (अटकना)- (साँस बंद होना)- इस कुप्प कमरे में तो मेरा दम घुटता है।

दम बाँधना (हिम्मत करना)- जबतक दम नहीं बाँधोगे, तबतक दुनिया में ठीक से जी नहीं पाओगे।

दम भरना (दावा करना)- अपनी तारीफ करना। दम भरते थे कि दो कोस तो चल ही लूँगा। अब डेढ़ मील पर ही बाप-बाप करने लगे।

(29) (दिमाग पर मुहावरे)

दिमाग खाना या चाटना (अपनी गर्ज व्यर्थ बके जाना)- आजकल अधिकांश लोग दिमाग चाटनेवाले होते हैं। न खुद कुछ समझने को तैयार और न किसी को कुछ समझने देने को तैयार।

दिमाग चढ़ना या आसमान पर होना (बहुत अधिक घमंड होना)- रावण ने शिव को साधा क्या, उसका दिमाग आसमान पर हो गया।

दिमाग आसमान से उतरना (अभिमान दूर होना)- रामदूत हनुमान ने जब अकेले अशोकवन उजाड़ डाला, लंका राख कर दी, तो पहले-पहल रावण का दिमाग आसमान से उतरा।

(30) (दिल पर मुहावरेे)

दिल कड़ा करना (हिम्मत बाँधना, साहस करना)- भाई। विपत्ति किसपर नहीं आती है। दिल कड़ा करो।

दिल का गवाही देना (मन में किसी बात की संभावना या औचित्य का निश्र्चय होना)- जब दिल गवाही न दे, तो औरों की सलाह पर न चलो।

दिल जमना (चित्त लगना)- इन दिनों किसी काम में मेरा दिल जमता ही नहीं।

दिल ठिकाने होना (मन में शांति, संतोष या धैर्य होना)- जबतक दिल ठिकाने न हो तबतक किसी काम में हाथ न लगाओ।

दिल बुझना (चित्त में किसी प्रकार की उत्साह या उमंग न रह जाना)- जिन्दगी में उसकी इतनी हार हुई कि उसका दिल ही बुझ गया।

दिल से दूर करना (भुला देना, विस्मरण)- वे तुम्हारी नजरों से दूर क्या हुए, दिल से दूर कर दिये गये।

दिल की कली खिलना (अत्यानंद की प्राप्ति)- जब जहाँगीर ने अनारकली को देखा, तो उसके दिल की कली खिल उठी।

दिल चुराना (मन मोह लेना)- पहली मुलाकात ही में मेहरुत्रिसा ने सलीम का दिल चुरा लिया।

दिल देना (प्रेम करना)- जिसने दिल दिया, उसने दर्द लिया।

दिल दरिया होना (उदार होना)- जो कोई उनके दरवाजे पर आता है खाली हाथ नहीं लौटता। क्यों न ऐसा हो, उनका दिल दरिया जो ठहरा।

दिल की गाँठ खोलना (मनमुटाव दूर होना)- जब तक तुम दिल की गाँठ नहीं खोलोगे, तबतक वह खुलेगा कैसे ?

(31) (नजर पर मुहावरेे)

नजर आना (दिखाई देना)- क्या बात है कि हजरत नजर ही नहीं आते ?

नजर रखना (ध्यान रखना)- भाई ! इस गरीब लड़के पर नजर रखा करो।

नजर लड़ाना (साक्षात् प्रेम में पड़ना)- अपने समय में अर्जुन इतने सुंदर थे कि जिन सुंदरियों से उनकी नजर लड़ी, वे उनके लिए हाय-हाय ही करती रहीं।

नजर चुराना (आँख बचाना)- आखिर आप हमसे नजर चुराकर कहाँ जाएँगे ?

नजर लगना (कुदृष्टि, सुदृष्टि। इस बन-ठन पर कहीं नजर न लग जाय। नजर लागी राजा तोरे बँगले पै।

नजर दौड़ाना (सर्वत्र देखना)- नजर दौड़ाओगे तो कोई-न-कोई काम मिल ही जाएगा।

नजर करना (भेंट करना)- उसने हाकिम को एक दुशाला नजर किया।

नजर से गिरना (ह्रदय से दूर होना)- बेईमान आदमी तो नजर से गिर ही जाता है।

नजर पर चढ़ना (पसंद आ जाना)- यह घड़ी मेरी नजर पर चढ़ गयी है।

(32) (पलक पर मुहावरेे)

पलक लगना (सो जाना)- आदमी जो ठहरा, सारे दिन और सारी रात कैसे जागता; तीन बजे सुबह तो पलक लग ही गयी।

पलक-पाँवड़े बिछाना (अत्यंत आदर से स्वागत करना)- शबरी राम के लिए न मालूम कब से पलक-पाँवड़े बिछाये थी।

(33) (पसीना पर मुहावरेे)

पसीने-पसीने होना (लज्जित होना)- जबसे मैंने उसकी यह चोरी पकड़ी तबसे वह चोरी करता हो या नहीं, किन्तु मुझे देखकर पसीने-पसीने हो जाता है।

पसीने की जगह खून बहाना (कम के बदले अधिक कुर्बानी देना) मैं वैसा आदमी हूँ, जो अपने मित्रों के लिए पसीने की जगह खून बहाने को तैयार रहता है।

(34) (पाँव पर मुहावरेे)

पाँव उखड़ जाना (पराजित होना)- थानेश्र्वर की लड़ाई में पृथ्वीराज की सेना के पाँव उखड़ गये।

पाँव चूमना (पूजा करना, खुशामद करना)- आज यदि परमवीर अब्दुल हमीद यहाँ होते, तो हम सभी उनके पाँव चूमते।

पाँव भारी होना (गर्भवती होना)- जब राजा ने सुना कि रानी के पाँव भारी हुए तो उनकी ख़ुशी का ठिकाना न रहा।

पाँव तले की मिट्टी (धरती) खिसकना (स्तब्ध हो जाना)- जब सट्टे में उसे एक लाख रुपये का घाटा लगा तो उसके पाँव तले की मिट्टी खिसक गयी।

पाँव खींचना (रुकावट डालना)- आजकल पाँव बढ़ानेवाले दो-चार होते हैं, तो पाँव खींचनेवाले दस-बीस।

पाँव फिसलना (गलती होना)- जवानी में तो बहुतों के पाँव फिसल जाते हैं।

पाँवों में पर लगना (बहुत तेज चलना)- मोहन की वंशी सुनकर गोपियों के पाँवों में पर लग गये।

(35) (पीठ पर मुहावरेे)

पीठ दिखाना (हारकर भाग जाना)- बहादुर मैदाने-जंग में पीठ नहीं दिखाते।

पीठ ठोकना (प्रोत्साहन देना)- छात्रों की बराबर पीठ ठोकें, वे कमाल कर दिखाएँगे।

पीठ पर होना (सहायक होना)- जब आप मेरी पीठ पर हैं तो फिर डर किस बात का ?

पीठ फेरना (मुँह मोड़ना)- गाढ़े समय में तुमने भी पीठ फेर ली।

(36) (प्राण पर मुहावरेे)

प्राण-पखेरू का उड़ना (मृत्यु हो जाना)- एक-न-एक दिन सभी के प्राण-पखेरू उड़ ही जायेंगे।

प्राण सूख जाना (भयभीत हो जाना)- यम का नाम लेते ही कितनों के प्राण सूख जाते हैं।

प्राण डालना (सजीव-सा कर देना)- कलाकार जिस मूर्ति की रचना करता है उसके प्राण पहले अपने में डाल लेता है, तभी वह मूर्ति में प्राण डाल पाता है।

प्राण कंठगत होना (मृत्यु निकट होना)- प्राण कंठगत होने पर भी धीर विचलित नहीं होते।

(37) (बाँह पर मुहावरेे)

बाँह गहना या पकड़ना (अपनाना)- निबाहो बाँह गहे की लाज।

बाँह देना (सहारा देना)- निःसहायों को सदा बाँह दो।

बाँह टूटना (आश्रयहीन होना)- मालिक क्या गये, मेरी बाँह ही टूट गयी।

(38) (बाल पर मुहावरेे)

बाल-बाल बचना (साफ बच जाना)- इस रेल-दुर्घटना में वह बाल-बाल बच गया।

बाल की खाल निकालना (व्यर्थ टीका-टिप्पणी करना)- कुछ लोग कुछ करते हैं, तो कुछ लोग केवल बाल की खाल ही निकालते रहते हैं।

बाल बाँका न करना (हानि न पहुँचा पाना)- बाल न बाँका करि सकै, जो जग बैरी होय।

(39) (मन पर मुहावरेे)

मन हरा होना (प्रसन्न होना)- तुम्हारी बात सुनकर मन हरा हो गया।

मन से उतरना (अप्रिय हो जाना)- अँगूठी भूलते ही शकुंतला दुष्यंत के मन से उत्तर गयी।

मन डोलना (लालच होना)- मेनका को देखकर विश्र्वामित्र का भी मन डोल गया था।

मन खट्टा होना (मन फिर जाना)- इन दिनों तुमसे मेरा मन खट्टा हो गया।

मन टूटना (साहस नष्ट होना)- जिसका मन टूट गया, उसका जीना बेकार है।

मन की आँखें खोलना (उचित दृष्टि)- बाबा, मन की आँखें खोल।

मन टटोलना (किसी के विचारों से अवगत होने के लिए प्रयत्न करना)- वे तुम्हारा मन टटोलते थे कि तुम अभी विवाह करोगे या पढ़ाई समाप्त करने के बाद।

मन बढ़ना (अनुचित शह)- तुम्हारे लाड़-प्यार ने लड़के का मन बढ़ा दिया है। तभी तो वह इतना तुनुकमिजाज है।

मन चलना (इच्छा होना)- आज खिचड़ी खाने को मन चल गया।

मन मारकर बैठ जाना (निराश होना)- वीर अपनी पराजय पर मन मारकर बैठते नहीं।

मन की मन में रहना (इच्छा पूरी न होना)- पंडितजी भी सेठजी के साथ नैनीताल जाना चाहते थे। पर, सेठ-सेठानी उन्हें बिना पूछे चल दिये तो उनकी मन की मन में ही रह गयी।

मन के लड्डू (फोड़ना, तोड़ना) खाना- काल्पनिक प्रसन्नता से प्रसन्न होना। व्यावहारिक लोग मन के लड्डू नहीं फोड़ते।

मन बहलाना (मनोरंजन करना)- सिनेमा देखना क्या है, मन बहलाना है।

मन भारी करना (मन से अप्रसन्न होना)- लड़का तुम्हारी बैदकी न चलाकर खुद डॉक्टर बनेगा, यह तो और अच्छी बात है। इसमें मन क्या भारी किये हुए हो ?

मन फटना (विरक्त होना)- उससे मेरा मन ही फट गया।

मन मिलना (प्रेम या मित्रता होना)- जिससे मन नहीं मिला, उससे संबंध कैसा ?

मन में बसना (प्रिय लगना)- अच्छी सूरत मन में बस ही जाती है।

मन मैला करना (मन में किसी के प्रति कुछ कटुता रखना)- अपनों से मन मैला करना कैसा ?

मन रखना (प्रसन्न करना)- मैं वहाँ जाना नहीं चाहता था किंतु तुम्हारा मन रखने के लिए वहाँ जाना पड़ा।

मन लगाना (प्रवृत्त होना)- पढ़ने में मन लगाओ।

(40) (मुट्ठी पर मुहावरेे)

मुट्ठी में करना (वश में करना)- उसने तो साहब को मुट्ठी में कर लिया है।

मुट्ठी गरम करना (रिश्र्वत देना)- कचहरी में मुट्ठी गरम करो, फिर तो काम चाँदी।

मुट्ठी में रखना (काबू में रखना)- इंद्रियों को मुट्ठी में रखो।

(41) (मूँछ पर मुहावरेे)

मूँछें उखाड़ना (घमंड चूर कर देना)- छोटे से लड़के ने ऐसा ताना कसा कि उस अधेड़ की मूँछें उखाड़ ली।

मूँछों पर ताव देना (अभिमान प्रदर्शित करना, चिंतामुक्त होना)- कुश्ती में बाजी मारकर पहलवान मूँछों पर ताव दे रहा है।