संकेत बिंदु
भारतवर्ष की पावन धरती का प्राकतिक सौंदर्य अत्यन्त अद्भुत है। हिमालय भारत के माथे का दिव्य मुकुट है। तथा हिंद महासागर भारत माता के चरणों को स्पर्श करे धन्य होता है। उत्तर में हिमालय तथा पूर्व-पश्चिम । एवं दक्षिण में सागर इस महान् देश की रक्षा करते हैं। यहाँ के पर्वत और उनसे निकलने वाले झरने तथा नदियाँ भारत की शोभा में चार चाँद लगाते हैं। भारत में कहीं पर्वत हैं, तो कहीं मरुभूमि है, कहीं मैदान हैं, तो कहीं पठारे । यहाँ के उपजाऊ खेतों में हरी-भरी फसलें लहलहाती हैं। यहाँ के समुद्रों की छटा देखते ही बनती है।
भारत हमारी जन्मभूमि एवं कर्मभूमि है। भारत सदियों से विश्व का मार्गदर्शक बना हुआ था। अब भारत की प्रतिष्ठा दिनप्रतिदिन धूमिल होती जा रही है। मैं अपने देश भारत को पुनः विश्व के अग्रणी राष्ट्र के रूप में विश्व पटल पर अंकित करना चाहता हूँ। यह तभी संभव हो सकेगा जब देश का हर नागरिक अपने दायित्वों का भली-भाँति निर्वाह करेगा। लोग अपनी जिम्मेदारी को समझेंगे और भ्रष्टाचार से देश को मुक्ति दिलाने का प्रयास करेंगे। हमारे देश का विकास अवरोधित हो चुका है इसका प्रमुख कारण देश में व्याप्त भ्रष्टाचार है। यह हमारे देश की बुनियाद को खोखला कर रहा है। अतः यदि हम अपने देश भारत को पुनः उसकी गरिमा दिलाना चाहते हैं, उसे वही ‘सोने की चिड़िया बनाना चाहते हैं, तो हमें अपने राष्ट्र में व्याप्त सभी बुराइयों को मिलकर मिटाना होगा तभी हमारा देश सुनियोजित रहकर अमन, चैन तथा खुशहाली की मिसाल बन सकेगा।’
संकेत बिंदु
प्रत्येक कार्य को नियोजित समय पर करना समय-नियोजन कहलाता है। समय का बहुत अधिक महत्व है। समय का सदुपयोग हमारे जीवन को खुशियों से भर सकता है और अमूल्य क्षण नष्ट होने से बच जाते हैं। यह सफलता का प्रथम सोपान है।
उपयुक्त समय पर उपयुक्त कार्य करना चाहिए। रोगी के मर जाने पर उसे औषधि प्रदान करने से कोई लाभ नहीं होता। फिर तो वही बात होती है-“अब पछताए होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गईं खेत ।” अर्थात् किसी भी कार्य को सम्पन्न करने का एक निश्चित समय होता है। उस समय के निकल जाने के बाद यदि कार्य हो भी जाए तो उसकी उपयोगिता समाप्त हो जाती है।
आग लगने पर कुआँ खोदने वाला व्यक्ति कभी भी, अपना घर नहीं बचा पाता। उसका सर्वनाश निश्चित ही होता है। जो विद्यार्थी परीक्षा के दिनों में भी अध्ययन नहीं करता वह परीक्षा परिणाम घोषित होने पर आँसू ही बहाता है। जो समय नष्ट करता है, समय उसे नष्ट . कर देता है। जो समय को बचाता है, समय का सम्मान करता है, तो समय भी उस व्यक्ति को बचाता है, तथा उसे सम्मान देता है।
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मित्रता एक अनमोल धन है। यह एक ऐसी धरोहर है जिसका मूल्य लगा पाना संभव नहीं है। इस धन व धरोहर के सहारे मनुष्य कठिन से कठिन समय से भी बाहर निकल आता है। भगवान के द्वारा मनुष्य को परिवार मिलता है और मित्र वह स्वयं बनाता है। जीवन के संघर्षपूर्ण मार्ग पर चलते हुए उसके साथ उसका मित्र कन्धे से कन्धा मिलाकर चलता है। हर व्यक्ति को मित्रता की आवश्यकता होती है। वह चाहे सुख के क्षण हों या दुःख के क्षण, मित्र उसके साथ रहता है। किसी विशेष गूढ़ बात पर मित्र ही उसे सही सलाह देकर उसका मार्गदर्शन करता है।
मित्र ही उसका सही अर्थों में सच्चा शुभचिंतक, मार्गदर्शक, शुभ इच्छा रखने वाला होता है। सच्ची मित्रता में प्रेम व त्याग का भाव होता है। मित्र की भलाई दूसरे मित्र का कर्त्तव्य होता है। सच्चा मित्र वही होता है जो विपत्ति के समय अपने मित्र के साथ दृढ़ निश्चय होकर खड़ा रहता है। हमें चाहिए कि जब भी किसी को अपना मित्र बनाएं तो सोच विचार कर बनाएं क्योंकि जहाँ एक सच्चा मित्र आपका साथ दे, आपको ऊँचाई तक पहुँचा सकता है, कपटी मित्र अपने स्वार्थ के लिए आपको पतन के रास्ते पर भी पहुँचा सकता है। जो आपके मुंह पर आपका सगा बने और पीठ पीछे आपकी बुराई करे ऐसे मित्र को दूर से नमस्कार कहने में ही भलाई है।
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दहेज प्रथा हिन्दू समाज की नवीनतम बुराईयों में से एक है। विगत बीस-पच्चीस वर्षों में यह बुराई इतनी बढ़कर सामने आई है कि इसका प्रभाव समाज की आर्थिक एवं नैतिक अवस्था की कमर तोड़ रहा है। इस प्रथा के पीछे लोभ की दुष्प्रवृत्ति है। दहेज प्रथा भारत के सभी क्षेत्रों और वर्गों में व्याप्त है। दहेज प्रथा को जीवित रखने वाले तो थोड़े से व्यक्ति हैं, परन्तु समाज पर इसका कुप्रभाव अत्यधिक पड़ रहा हैं। कितनी ही बार देखा जाता है कि पिता को अपनी सुंदर लड़की की शादी धन के अभाव के कारण किसी भी बिना पढ़े-लिखे, अवगुणों से भरपूर लड़के के साथ करनी पड़ती है। कई बार सुनने में आता है कि दहेज प्रथा के कारण या तो लड़की ने आत्महत्या कर ली या ससुराल में उसे प्रताड़ित करते हुए जलाकर अथवा किसी भी तरीके से मार दिया गया।
दहेज प्रथा की बीमारी पढ़े-लिखे लोगों में अनपढ़ लोगों की अपेक्षा अधिक फैली हुई है। सरकार ने दहेज प्रथा के विरुद्ध कानून बना दिया है, लेकिन दहेज प्रथा के विरुद्ध प्रताड़ित होने के बावजूद कोई वकील और कचहरी के चक्कर लगाना नहीं चाहता। अतः कानून को और सख्त बनाना पड़ेगा। लड़कियों को उच्च शिक्षा दिलवाना आवश्यक है ताकि वह स्वयं के अधिकारों के प्रति जागरूक हों। इस प्रथा को तो समाज का युवावर्ग ही तोड़ने में समर्थ हो सकता है। वह वर्तमान परम्पराओं का एक बार तिरस्कार कर दे, तो दहेज प्रथा धीरे-धीरे खत्म हो सकती है।
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कम्प्यूटर के लाभ हैं, तो इससे जुड़ी हानियाँ भी कम नहीं हैं। यदि कम्प्यूटर में वायरस आ जाए, तो समस्त जानकारियाँ, फाइल इत्यादि नष्ट हो जाती हैं। कुछ आपराधिक मानसिकता के लोगों द्वारा, तो कई बैंकों या देश की सुरक्षा संबंधी क्षेत्रों में कम्प्यूटर व इन्टरनेट के माध्यम से घुसपैठ की जाती है। साइबर क्राइम इसी से जुड़ा होता है जो अत्यधिक चिन्ता का विषय है। इसके अतिरिक्त कम्प्यूटर पर ज्यादा बैठने वाले लोगों को, सिर दर्द, पीठ दर्द, स्पोन्डोलाइटिस, आँखों संबंधी परेशानी जैसी कई बीमारियाँ हो जाती हैं।
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वर्तमान समय विज्ञान का है। विज्ञान ने हमें अनेक चमत्कारी वस्तुएँ प्रदान की है। विज्ञान के आधुनिक चमत्कार हैं- कम्प्यूटर, इंटरनेट और स्मार्ट मोबाइल फोन। इसके अलावा यातायात, चिकित्सा शिक्षा, जनसंचार, मुद्रण आदि क्षेत्रों में विज्ञान के चमत्कारों/आविष्कारों ने हमारा जीवन बहुत सुखद एवं सुविधाजनक बना दिया है। जब से कम्प्यूटर के साथ इंटरनेट को जोड़ दिया गया है, तब से विज्ञान के और नये-नये आविष्कारों में क्रांति सी आ गयी है। किस जगह पर कहाँ और क्या हो रहा है, हमें तुरन्त खबर मिल जाती है। आने वाले 8, 10 दिनों में मौसम कैसा रहेगा, उसका पूर्वानुमान लगा लिया जाता है। घर बैठे सारी सूचनाएँ उपलब्ध हो जाती हैं। सारे बिल घर बैठे जमा हो जाते हैं। बैंकिंग का काम हो जाता है।
हवाई, रेल अथवा बस की टिकट बुक हो जाती है। 5 मिनट के अन्दर टैक्सी सर्विस आपके घर पर मुहैया हो जाती है। मोबाइल फोन भी एक वरदान है। हम सभी के साथ चौबीस घंटे संपर्क में रहते हैं। फेसबुक और व्हाट्सएप सोशल मीडिया के जरिये हम जाने-अनजाने सभी व्यक्तियों से विचारों का आदान-प्रदान कर सकते है। यह फोन कैमरे और घड़ी का भी काम करता है। अब तो फोन पर भी इंटरनेट सुविधा उपलब्ध है।
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श्रम संसार में सफलता दिलाने का सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण साधन है। श्रम करके ही हम जीवन की इच्छा-आकांक्षाओं की पूर्ति कर सकते हैं। यह संसार कर्मक्षेत्र है। यहाँ कर्म करके ही सफलता पाई जा सकती है। काम में सफलता तभी मिलती है जब हम ईमानदारी से परिश्रम/मेहनत करते हैं। श्रम से जीवन को गति मिलती है। यदि हम मेहनत नहीं करना चाहते, दूसरे शब्दों में यदि हम श्रम की उपेक्षा करते है तो हमारे जीवन में एक ठहराव आने लगता है। हमारे सामने चींटी का उदाहरण है। चींटी को श्रमजीवी कहा गया है। वह श्रम करके एक-एक दाना जमा करती है ताकि वर्षाकाल में उसे भोजन का अभाव न हो। हम भी श्रम करके भावी कठिनाइयों और शारीरिक बीमारियों से जूझने की हिम्मत जुटा सकते है। श्रम न करने वाले लोग भाग्यवादी होते हैं, वास्तव में वे आलसी होते हैं। श्रम करने से कतराते हैं। उन्हें यह बात भली-भांति समझ लेनी चाहिए कि जीवन में श्रम के बलबूते पर ही सफलता पायी जा सकती है।
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ऑक्सफॉर्ड डिक्शनरी के अनुसार, ''कंप्यूटर एक स्वचालित इलेक्ट्रॉनिक मशीन है, जो अनेक प्रकार की तर्कपूर्ण गणनाओं के लिए प्रयोग किया जाता है।'' कंप्यूटर बिजली से चलने वाली मशीन है, जिसकी प्रक्रिया तीन चरणों में पूरी होती है- इनपुट, प्रोसेस, आउटपुट अर्थात जब हम कंप्यूटर में कोई डाटा इनपुट करते हैं, तो कंप्यूटर उस डाटा को प्रोसेस करके प्रयोगकर्ता को आउटपुट प्रदान करता है।
आज का युग कंम्प्यूटर का युग है। कंप्यूटर ने मानव जीवन को सरल बना दिया है। कंप्यूटर बड़े से बड़े काम को कुछ मिनटों में पूरा कर देता है। कंप्यूटर प्रत्येक वर्ग के जीवन का एक अनिवार्य अंग है। बच्चे हों या युवा, प्रौढ़ हों या बुजुर्ग कंप्यूटर ने सभी वर्गों में अपनी अनिवार्यता सिद्ध कर दी है। विद्यार्थियों के लिए कंप्यूटर वर्तमान समय में बहु उपयोगी साधन प्रतीत होता है। गणित, अंग्रेजी, विज्ञान, सामान्य ज्ञान आदि विषयों का अध्ययन विद्यार्थियों द्वारा कंप्यूटर के माध्यम से किया जा सकता है।
पढ़ाई-लिखाई से लेकर मनोरंजन आदि तक के लिए कंप्यूटर अपनी महत्ता को दर्शाता है। इन सभी के अतिरिक्त विद्यार्थियों द्वारा इसका गलत ढंग से प्रयोग किया जाता है, जिसके कारण वे अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं और जीवन को बर्बाद कर लेते हैं। अतः प्रत्येक विद्यार्थी को कंप्यूटर का प्रयोग अपने मित्र की भाँति करना चाहिए, जिससे वे अधिकाधिक लाभ अर्जित कर सकें। कंप्यूटर का गलत ढंग से उपयोग करने से विद्यार्थियों को बहुत-सी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। अतः प्रत्येक विद्यार्थी को कंप्यूटर का प्रयोग अच्छी चीजों को ढूँढने, अध्ययन आदि करने हेतु करना चाहिए।