Anuchchhed-Lekhan (Paragraph Writing) अनुच्छेद-लेखन


यहाँ महत्वपूर्ण अनुच्छेद दिया जा रहा है जो Class 10th CBSE और Bihar Board दोनों विद्यार्थियों के काम आयेंगे।

(25) स्वच्छ्ता आंदोलन पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

संकेत बिंदु

  • क्यों
  • बदलाव
  • हमारा उत्तरदायित्व
  • स्वच्छ्ता सिर्फ सौंदर्य या सुरुचि का विषय नहीं, बल्कि हमारे जीवन-मरण से गहराई से जुड़ा गंभीर मुद्दा है। भारत सरकार द्वारा 2 अक्टूबर 2014 को प्रारंभ किया गया 'स्वच्छ भारत अभियान' वस्तुतः संक्रामक महामरियों के नियंत्रण, पेयजल सुरक्षा, शहरी आबादी एवं उद्योगों के कामकाज से उत्पन्न कचरे के निपटान जैसी विकट चुनौतियों का सामना करने का आह्वान है। स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से स्वच्छ्ता आंदोलन आवश्यक है, क्योंकि एक अस्वस्थ व्यक्ति क्षमता रहने के बावजूद चाहकर भी न तो स्वयं और न ही समाज के विकास में उल्लेखनीय योगदान दे सकता है। लोगों को इस अभियान में शामिल होने का आह्वान करके स्वच्छ्ता अभियान एक राष्ट्रीय आंदोलन का रूप ले चुका है।

    स्वच्छ्ता आंदोलन से देश की सोच तथा व्यवहार बदला है। यह आचरण में बदलाव का मिशन बन चुका है। समाज के प्रत्येक वर्ग के लोगों और संस्थाओं ने स्वच्छ्ता अभियान में अपनी भागीदारी दिखाई है। लोग स्वच्छ्ता 'एप' का इस्तेमाल कर रहे हैं और शिकायतें दर्ज कराकर भारत को स्वच्छ बनाने के मिशन में योगदान दे रहे हैं। इस प्रकार इस देशव्यापी अभियान के बहाने से ही हमें अच्छी आदतें अपनाने की कोशिश करना चाहिए, क्योंकि जब तक सफाई हमारी आदत का हिस्सा नहीं बन जाती, तब तक गंदगी पुनः लौटती रहेगी। इसलिए हमारा उत्तरदायित्व बनता है कि देश को स्वच्छ बनाने में हम अपना महत्त्वपूर्ण योगदान करें, अपने घर व आस-पड़ोस को साफ रखें, न गंदगी फैलाएँ न ही किसी अन्य को फैलाने दें। अतः स्वच्छ्ता को अपने जीवन का अभिन्न अंग बनाना अनिवार्य है।

    (26) मन के हारे हार है मन के जीते जीत पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

    संकेत बिंदु

  • निराशा अभिशाप
  • दृष्टिकोण परिवर्तन
  • सकारात्मक सोच
  • ''मन के हारे हार है मन के जीते जीत'' सूक्ति का अभिप्राय है कि जिसका मन हार जाता है वह बहुत शक्तिशाली होने पर भी पराजित हो जाता है तथा जिसका मन जीत जाता है वह शक्क्ति न होते हुए भी जीत जाता है। व्यक्ति के जीवन में निराशा अभिशाप के समान है। असफलताएँ जीवन प्रक्रिया का स्वाभाविक अंग होती हैं। यदि व्यक्ति असफलताओं से निराश होकर प्रयत्न करना छोड़ दें तो उसे असफलता ही मिलती है। इसलिए व्यक्ति को निराश नहीं होना चाहिए और प्रयत्न करते रहना चाहिए। मन अनंत शक्ति का स्रोत है, उसे हीन भावना से बचाए रखना अत्यंत आवश्यक है। मन की अपरिमित शक्ति को भूले बिना अपनी क्षमताओं में विश्वास रखना ही सफलता की मूल कुंजी है। ऐसा करने से हमारे दृष्टिकोण में परिवर्तन होता है तथा मनुष्य कार्य करने के लिए प्रेरित होता है।

    प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में आशा-निराशा, उतार-चढ़ाव और सुख-दुःख चक्र की भाँति ऊपर-नीचे होते रहते हैं। व्यक्ति की हार-जीत उसकी मानसिक शक्ति पर निर्भर करती है, जो व्यक्ति परिस्थिति का सामना हँसी-ख़ुशी करता है वह सफलता अवश्य प्राप्त करता है। इसमें सकारात्मक सोच महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सकारात्मक सोच से व्यक्ति का मनोबल बढ़ता है और वह दुगुने उत्साह से अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का प्रयास करता है। निष्कर्ष रूप से हम कह सकते हैं कि जिस कार्य को पूरे दृढ़ संकल्प के साथ करेंगे, वह कार्य जरूर पूरा होता है। इसलिए मनुष्य को अपने मन को सुदृढ़ बनाकर जीवन में आगे बढ़ना चाहिए।

    (27) प्लास्टिक की दुनिया पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

    संकेत बिंदु

  • प्लास्टिक का अविष्कार और इसका उपयोग
  • प्लास्टिक के गुण एवं दोष
  • प्लास्टिक का पर्यावरण पर प्रभाव
  • प्लास्टिक का अविष्कार ड्यू बोयस एवं जॉन द्वारा किया गया था। प्लास्टिक का उपयोग मशीन के कल-पुर्जों, पानी की टंकियों, दरवाजों, खिड़कियों, चप्पल-जूतों, रेडियों, टेलीविजन, वाहनों के हिस्सों, आदि में किया जाता है, क्योंकि प्लास्टिक से बनी वस्तुएँ आसानी से खराब नहीं होतीं। यदि किसी कारण ये टूट-फूट जाएँ, तो इन्हें फिर से बनाकर पुनः उपयोग में लाया जा सकता है।

    इनमें मनचाहा रंग मिलाकर इन्हें अधिक आकर्षक भी बनाया जा सकता है। यही कारण है कि प्लास्टिक से बने आकर्षक रंग-बिरंगे फूल असली फूलों से अधिक लोकप्रिय हो रहे हैं। आज लोगों को बाजार से सामान प्लास्टिक से बने आकर्षक थैलों में पैक करके मिलता है।

    इसके अनेक उपयोग के बावजूद प्लास्टिक से बनी वस्तुओं से पर्यावरण बुरी तरह दुष्प्रभावित हो रहा है। प्लास्टिक कभी न गलने-सड़ने वाला पदार्थ है, जिसके कारण भूमि, जल, पर्यावरण आदि अत्यधिक प्रदूषित होते जा रहे हैं। अतः हमें प्लास्टिक का कम से कम उपयोग करना चाहिए, तकि पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया जा सके।

    (28) भारत में बाल मजदूरी की समस्या पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

    संकेत बिंदु

  • बाल मजदूरी का अर्थ
  • बाल मजदूरी के कारण
  • बाल मजदूरी को दूर करने का उपाय
  • 'बाल मजदूरी' से तात्पर्य ऐसी मजदूरी से है, जिसके अंतर्गत 5 वर्ष से 14 वर्ष तक के बच्चे किसी संस्थान में कार्य करते हैं। जिस आयु में उन बच्चों को शिक्षा मिलनी चाहिए, उस आयु में वे किसी दुकान, रेस्टोरेंट पटाखे की फैक्टरी, हीरे तराशने की फैक्टरी, शीशे का सामान बनाने वाली फैक्टरी अदि में काम करते है।

    भारत जैसे विकासशील देश में बाल मजदूरी के अनेक कारण हैं। अशिक्षित व्यक्ति शिक्षा का महत्त्व न समझ पाने के कारण अपने बच्चों को मजदूरी करने के लिए भेज देते हैं। जनसंख्या वृद्धि बाल मजदूरी का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। निर्धन परिवार के सदस्य पेट भरने के लिए छोटे-छोटे बच्चों को काम भेज देते हैं।

    भारत में बाल मजदूरी को गंभीरता से नहीं लिए जाने के कारण इसे प्रोत्साहन मिलता है। देश में कार्य कर रही सरकारी, गैर-सरकारी और निजी संस्थाओं की इस समस्या के प्रति गंभीरता दिखाई नहीं देती।

    बाल मजदूरी की समस्या का समाधान करने के लिए सरकार कड़े कानून बना सकती है। समाज के निर्धन वर्ग को शिक्षा प्रदान करके बाल मजदूरी को प्रतिबंधित किया जा सकता है। जनसंख्या वृद्धि पर नियंत्रण कर भी बाल मजदूरी को नियंत्रित किया जा सकता है। ऐसी संस्थाओं को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए, जो बाल मजदूरी का विरोध करती हैं या बाल मजदूरी करने वाले बच्चों के लिए शिक्षा से जुड़े कार्यक्रम चलाती हैं।

    (29) प्रातःकालीन भ्रमण पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

    संकेत बिंदु

  • प्रकृति से संपर्क
  • शारीरिक व्यायाम
  • सेहत के लिए उपयोगी व लाभदायक
  • प्रातःकालीन भ्रमण शरीर को स्वस्थ और निरोगी रखने की शारीरिक क्रियाओं में से एक है। प्रातःकालीन के भ्रमण से मनुष्य को स्वच्छ वायु प्राप्त होती है, जिससे मनुष्य में एक नवस्फूर्ति और नवजीवन का संचार होता है। मनुष्य प्रकृति के संपर्क में आकर आनंद का अनुभव करता है। प्रकृति के मनोरम दृश्यों को देखकर उसका मन प्रफुल्लित ही उठता है। प्रातःकालीन भ्रमण करने से हमारी शारीरिक शक्ति के साथ-साथ मानसिक शक्ति का भी विकास होता है। हमारे मन से विकार दूर हो जाते हैं। प्रातःकालीन मन प्रसन्न होने के कारण मनुष्य का संध्या तक का समय बड़ी प्रसन्नता से व्यतीत होता है।

    सुबह की ठंडी वायु प्रत्येक प्राणी के लिए लाभदायक होती है। प्रातःकालीन भ्रमण से व्यक्ति के शरीर तथा मन मस्तिष्क में तरोताजगी का संचार होता है। प्रातःकालीन भ्रमण व्यक्ति की सेहत के लिए भी बहुत उपयोगी एवं लाभदायक है। हमें प्रातःकालीन नियमित रूप से भ्रमण करना चाहिए, जिससे हमारा मन, बुद्धि और शरीर शांत, प्रसन्न एवं दृढ़ रह सके। अतः स्वस्थ, निरोगी,प्रसन्नचित्त एवं दीर्घजीवी बनने के लिए प्रातःकाल का भ्रमण सर्वोत्तम साधन है। वर्तमान युग में तो यह एक वरदान के समान है।

    (30) आलस्य : मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

    संकेत बिंदु

  • आलस्य और मनुष्य जीवन
  • आलस्य के नुकसान
  • सफलता पाने के लिए आलस्य को त्यागना आवश्यक
  • आलस्य दुःख, दरिद्रता, रोग परतंत्रता, अवनति आदि का जनक है। आलस्य के रहते हुए मनुष्य को विकास और उसके ज्ञान में वृद्धि का प्रश्न ही नहीं उठता। आलस्य को राक्षसी प्रवृत्ति की पहचान कहा जाता है। स्वास्थ्य की दृष्टि से प्रातःकाल की शुद्ध वायु अत्यंत आवश्यक है। आलसी व्यक्ति इस हवा का आनंद भी नहीं उठा पाते और प्रातःकालीन भ्रमण एवं व्यायाम के अभाव में उनका शरीर रोगग्रस्त हो जाता है। आलसी विद्यार्थी पूरा वर्ष सोकर गुजारता है। और परिणाम आने पर सबसे आँखें चुराता है।

    आलस्य मनुष्य की इच्छाशक्ति को कमजोर बनाकर उसे असफलता के गर्त में धकेल देता है। आलसी को छोटे-से-छोटा काम भी पहाड़ के समान कठिन लगने लगता है और वह इससे छुटकारा पाने के लिए तरह-तरह के बहाने तलाशने लगता है।

    आलस्य का त्याग करने से मनुष्य को अपने लक्ष्य को निश्चित समय में प्राप्त करने में सफलता मिलती है। जीवन में वही व्यक्ति सफलता प्राप्त कर सकता है, जो आलस्य को पूरी तरह त्यागकर कर्म के सिद्धांत को अपना ले। इस प्रकार मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु आलस्य ही है। यह मनुष्य को पतन के मार्ग पर ले जाता है और कुछ ही समय में मनुष्य का नाश कर देता है। अतः इसका त्याग करने में ही मनुष्य का कल्याण निहित है।

    (31) शारीरिक शिक्षा और योग पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

    शारीरिक शिक्षा का तात्पर्य ऐसी शिक्षा से है, जिसमें शारीरिक गतिविधियों के द्वारा शरीर को स्वस्थ रखने की कला सिखाई जाती है। शारीरिक विकास के साथ-साथ इससे व्यक्ति का मानसिक, सामाजिक एवं भावनात्मक विकास भी होता है।

    शारीरिक शिक्षा में योग का स्थान बहुत महत्त्वपूर्ण है। इसका उद्देश्य शरीर, मन एवं आत्मा के बीच संतुलन स्थापित करना होता है। यह मन शांत एवं स्थिर रखता है, तनाव को दूर कर सोचने की क्षमता, आत्मविश्वास एवं एकाग्रता को बढ़ाता है। नियमित रूप से योग करने से शरीर स्वस्थ तो रहता ही है, साथ ही यदि कोई रोग है तो इसके द्वारा उसका उपचार भी किया जा सकता है।

    कुछ रोगों में तो दवा से अधिक लाभ योग करने से होता है। तमाम शोधों से यह प्रमाणित हो चुका है कि योग संपूर्ण जीवन की चिकित्सा पद्धति है। पश्चिमी देशों में भी योग के प्रति लोगों का आकर्षण बढ़ रहा है और लोग तेजी से इसे अपना रहे हैं। योग की बढ़ती लोकप्रियता एवं महत्त्व का ही प्रमाण है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी योग का समर्थन करते हुए 21 जून को योग दिवस घोषित कर दिया है।

    वर्तमान परिवेश में योग न सिर्फ हमारे लिए लाभदायक है, बल्कि विश्व के बढ़ते प्रदूषण एवं मानवीय व्यस्तताओं से उपजी समस्याओं के निवारण में इसकी सार्थकता और भी बढ़ गई है। यही कारण है कि धीरे-धीरे ही सही, आज पूरी दुनिया योग की शरण ले रही है।

    (32) पुस्तकें पढ़ने की आदत पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

    संकेत बिंदु

  • पढ़ने की घटती प्रवृत्ति
  • कारण और हानि
  • पढ़ने की आदत से लाभ
  • पुस्तकें हमारे जीवन का एक महत्त्वपूर्ण अंश है। पुस्तकों के अध्ययन से हम भिन्न-भिन्न प्रकार के ज्ञान अर्जित करने में सक्षम होते हैं। पुस्तकें विद्यालयी विद्यार्थियों से लेकर बुजुर्गों तक सभी के लिए एक उपयोगी साधन है। विधार्थियों का ज्ञानार्जन पुस्तकों द्वारा संभव होता है, वहीं बुजुर्गों के लिए समय व्यतीत एवं मनोरंजन के साधन रूप में पुस्तकें कार्य करती हैं। वर्तमान दौर में तकनीकों का प्रसार इस हद तक हो चुका है कि आज पुस्तकों का स्थान मोबाइल फोन, लैपटॉप, आईपैड, टैबलेट आदि ने ले लिया है।

    इनका आकर्षण इतना अधिक हो गया है कि लोगों ने पुस्तकों को पढ़ना बहुत कम कर दिया है। आज पुस्तकें न पढ़ने का कारण विविध प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण हैं। इन उपकरणों के कारण लोग भले ही कुछ ज्ञान अर्जित कर लेते हैं, परंतु समय का जो दुरुपयोग आज का युवा वर्ग कर रहा है उसको भर पाना असंभव प्रतीत होने लगा है। पुस्तक पढ़ने की आदत से हम नित दिन अध्ययनशील रहते हैं। इससे पढ़ने में नियमितता बनी रहती है तथा हम मानसिक रूप से भी स्वस्थ बने रहते है। अतः हमें सदैव पुस्तक पढ़ने की आदत बनानी चाहिए।

    (33) वन एवं वन्य संपदा पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

    संकेत बिंदु

  • वन एवं वन्य संपदा क्या है?
  • इनका महत्त्व
  • वन एवं वन संपदा पर खतरा
  • सामान्यतः एक ऐसा विस्तृत भू-भाग जो पेड़-पौधों से आच्छादित हो, 'वन' कहलाता है। वन मनुष्य के लिए प्रकृति का सबसे बड़ा वरदान है। वनों से हमें अनेक लाभ होते हैं। इन से हमें प्राणवायु ऑक्सीजन मिलती है, जो हमारे जीवन का आधार है। इसके अतिरिक्त, वनों से हमें फर्नीचर के लिए लकड़ी, फल-फूल, जड़ी-बूटियाँ, औषधियों आदि वस्तुएँ प्राप्त होती हैं। वन मृदा अपरदन रोकने व वर्षा करवाने में भी सहायक होते हैं।

    वनों का एक लाभ और भी है। इनके कारण ही वन्य-जीवन फलता-फूलता है। वन्य का अर्थ है- वन में उत्पन्न होने वाला। इस प्रकार वन्य-जीवन का तात्पर्य उन जीवों से है जो वन में पैदा होते हैं और वन ही उनका आवास-स्थल बनता है। एक अनुमान के अनुसार, भारत में लगभग 75000 प्रकार की जीव-प्रजातियाँ पाई जाती है, जिनमें से अधिकांश वनों में पाई जाती है। इनमें सिंह, चीता, लोमड़ी, गीदड़, लकड़बग्घा, हिरण, जिराफ, नीलगाय, साँप, मगरमच्छ आदि प्रमुख हैं।

    यदि वन न हों तो इन सभी जीवों का अस्तित्व ही मिट जाएगा, जबकि मनुष्य के साथ इन जीवों का सह-अस्तित्व आवश्यक है क्योंकि इससे प्रकृति में संतुलन बना रहता है। हालाँकि पिछले कुछ समय से वन एवं वन्य संपदा पर खतरा मँडरा रहा है। वनों से ढके हुए क्षेत्रों में कमी हो रही है, जिससे वन्य-जीवन भी विलुप्त होता जा रहा है। राष्ट्रीय वन नीति के अनुसार, देश के 33% भू-भाग पर वन होने चाहिए, परंतु इस नीति पर ठीक से अमल नहीं किया जा रहा है। प्रशासन तंत्र को शीघ्र ही विषय पर संज्ञान लेना चाहिए और वन एवं वन्य संपदा के संरक्षण हेतु उचित कदम उठाने चाहिए।

    (34) पहला सुख- निरोगी काया पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

    संकेत बिंदु

  • आशय
  • व्यायाम और स्वास्थ्य
  • समाज को लाभ
  • एक सुखमय जीवन को जीने के लिए 7 सुखों की आवश्यकता होती है जिसमें सबसे पहला व प्रमुख सुख निरोगी काया है। अगर हम इस पहले सुख से ही वंचित रहेंगे तो दुनिया का कोई भी सुख हमें आनंद नहीं दे पाएगा।
    इसलिए कहा जाता है
    पहला सुख निरोगी काया
    दूजा सुख घर में हो माया
    तीजा सुख सुलक्षणा नारी
    चौथा सुख हो पुत्र आज्ञाकारी
    पाँचवा सुख हो सुन्दर वास
    छठा सुख हो अच्छा पास
    सातवाँ सुख हो मित्र घनेरे
    और नहीं जगत में दुःख बहुतेरे।

    निरोगी काया के लिए सबसे पहले व्यायाम जरूरी है। प्रातः कालीन उठकर व्यायाम करना निरोगी काया का पहला गुण है यदि व्यायाम सही है तो स्वास्थ्य अपने आप ठीक रहता है। एक अस्वस्थ व्यक्ति का मन मस्तिष्क स्वभाव सभी अस्त-व्यस्त रहते हैं। एक निरोगी व्यक्ति अपने जीवन को सुचारू रूप से चलाने के लिए रोटी कमाने से लेकर विद्या अर्जित करने और कला कौशल क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकता है। इसलिए निरोगी काया जीवन की प्रथम आवश्यकता है यदि व्यक्ति निरोग है तो वह अपनी प्रसन्नता बनाये रह सकता है और दूसरों को भी बाँट सकता है। वो समाज, वो देश विकास कर सकता है जिसका निवासी स्वस्थ हो। स्वस्थ व्यक्ति एक स्वस्थ समाज का व देश का निर्माण कर सकता है। जहाँ समाज को लाभ मिलेगा वहाँ समाज सुन्दर व स्वस्थ होगा। इसलिए कहा गया है कि व्यक्ति को स्वस्थ रहना चाहिए।

    (35) मोबाइल फोन पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

    संकेत बिंदु

  • लोकप्रियता
  • सूचना क्रांति
  • लाभ हानि
  • पिछले कुछ दशकों से हमारे रोजाना जीवन में बहुत तबदीली हुई है। रोज बाजार में नए-नए उत्पादन सामने आ रहे हैं जो हमारी जीवन शैली को तब्तदील कर रहे हैं नए उत्पादों में एक है मोबाइल। यह बिना तार के नैटवर्क से जुड़ा होता है। मोबाइल सीधा किसी भी व्यक्ति से जुड़ सकता है जिसके पास मोबाइल है। इससे सारा संसार जैसे सुकुड़ सा गया है। अब यह बात सोचने की है कि मोबाइल फैशन का हिस्सा है या एक जरूरत है। आज संसार में इसकी लोकप्रियता दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। इसने तो लैपटॉप को भी पीछे छोड़ दिया है इसमें ऐसी ऐसी सुविधाएँ मिलने लगी हैं। यह बात सही है इस मोबाइल ने सूचना संचार के क्षेत्र में बहुत बड़ी क्रांति ला दी है।

    विज्ञान की इस तरक्की से हम कहाँ से कहाँ तक पहुँच चुके हैं। बच्चों से बुजुर्गों तक के जीवन में एक रचनात्मक परिवर्तन ला दिया है। जो कुछ बचा था वो मोबाइल कम्पनियों ने पूरा कर दिया है। कुछ प्राइवेट कंपनियों के आगमन से प्रतिस्पर्धा की बाढ़ सी आ गई है। आज के स्मार्ट फोन का प्रयोग करके हमें ऑनलाइन बैंकिंग सुविधा प्राप्त हुई है। रेलवे टिकट, दवा, भोजन आदि सभी मोबाइल से घर बैठे मँगवा सकते हैं। विद्यार्थी वर्ग में यू-ट्यूब, व्हाट्सएप से शिक्षा के क्षेत्र में सबसे अधिक परिवर्तन लाकर इस क्षेत्र में लगातार परिवर्तन आ रहे हैं। दूसरा शौपिंग के क्षेत्र में भी परिवर्तन आए हैं। फ्लिपकार्ट, अमेज़न जैसी कम्पनियों ने भयंकर परिवर्तन ला दिया है।

    नौकरियों के लिए भी मोबाइल महत्वपूर्ण साबित हो रहा है। जिससे मोबाइल इन्टरनेट वरदान साबित हुआ है। लाभ के साथ-साथ इसकी हानियाँ भी उतनी अधिक हैं। समाज में आतंकवादी भी इससे हानि पहुँचा रहे हैं। विद्यार्थी भी अपना अधिक समय इस पर बिताते हैं इससे उनको शारीरिक हानियाँ बहुत अधिक बढ़ गयी हैं। मोबाइल बैंकिंग, क्रेडिट कार्ड से चोरी भी अधिक बढ़ गई है। आतंकी फोन पर वायरस व स्पामिंग आदि भेजकर गोपनीय जानकारी चोरी करके आपराधिक कार्यों को अंजाम दे रहे हैं। निष्कर्ष रूप से हम कह सकते है कि मोबाइल के लाभ-हानि दोनों है।

    (36) एक ठंडी सुबह पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

    संकेत बिंदु

  • कब, कहाँ
  • क्यों है याद
  • क्या मिली सीख
  • 25 दिसम्बर का दिन था। प्रात:काल सात बजे सोकर उठने पर मैंने महसूस किया आज की सुबह पहले से ठंडी है। खिड़की के बाहर देखा तो दूर-दूर तक कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। चारों ओर कुहरा छाया हुआ था। मन न होते हुए भी मुझे बिस्तर से उठना पड़ा। नित्यकर्म से निपट कर गर्म कपड़े पहनकर घर से बाहर निकला। बाहर बर्फीली हवा चल रही थी। सड़क पर बर्फ भी जमी हुई थी। यह सब दिसम्बर के समय था हिमाचल प्रदेश के कुल्लु का यह दृश्य था। इस ठंडी सुबह में बहुत ही बहुत कम लोग नजर आ रहे थे।

    पास की नहर भी जम गई थी पेड़ों के पत्तों पर बर्फ चमक रही थी। बर्फ के छोटे-छोटे कण सूरज के हल्की किरणों से जगमगा रहे थे। चारों ओर निस्तब्धता छाई हुई थी। मेरा शरीर एक दम सुन्न सा पड़ गया था और काँपने भी लगा था। सामान्य सर्दी में रहने वाले हम इतनी बर्फ वाली ठंड में जो कभी न देखी न ही सही अब तक केवल सपनों आशाओं में कल्पना करते थे आज प्रत्यक्ष देखने व सहने से जीवन का आनन्द मिल रहा था तो आज का दिन याद तो रहेगा ही। इस प्रकार के मौसम से सीख मिलती है कि जीवन के अनेक रंग हैं जिसका आनन्द भी उठाना चाहिए पर अपने स्वाथ्य को ध्यान में रखकर।