संकेत बिंदु
साहित्य सोते हुए मनुष्य को भी जागृत करने का सामर्थ्य रखता है। साहित्य कमजोर एवं शोषितों को उत्साहित करने का कार्य करता है। यह साहित्य ही है, जिसने कई बार हारी हुई लड़ाइयों को भी जीतने में मदद की है। कहा भी गया है कि 'साहित्य समाज का दर्पण' होता है। साहित्य देश की वास्तविक स्थिति का सजीव चित्रण करता है, जिससे प्रभावित होकर समाज के जागरूक लोग सामाजिक बुराइयों को पहचानकर, उनका कारण समझकर तथा उन्हें मिटाने के तरीके ढूँढ़कर उन्हें समाप्त कर देते हैं। जिस समय भारतीय संस्कृति और सभ्यता को दुष्प्रभावित करने का षड्यंत्र किया जा रहा था, उस समय कबीरदास, तुलसीदास, भूषण, प्रेमचंद, रामधारी सिंह 'दिनकर' आदि साहित्यकारों ने जनता को अपनी रचनाओं के माध्यम से शिक्षित एवं संवेदनशील बनाने का कार्य किया। राष्ट्रीयता एवं मानवीय मूल्यों की रक्षा करने में अनेक साहित्यकारों का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा हैं। साहित्यकारों ने अपने राष्ट्रीय एवं नैतिक दायित्व को पहचाना तथा उसी के अनुसार कार्य किया। इस प्रकार कह सकते हैं कि साहित्यकार का सामाजिक उत्तरदायित्व होता है। समाज के हित की दृष्टि से लिखा गया साहित्य ही श्रेष्ठ साहित्य कहा जा सकता है।
संकेत बिंदु
मोबाइल आज विश्व में क्रांति का वाहक बन गया है। बिना तारों वाला मोबाइल फोन जगह-जगह लगे ऊँचे टॉवरों से तरंगों को ग्रहण करते हुए मनुष्य को दुनिया के प्रत्येक कोने से जोड़े रहता है।
मोबाइल फोन सेवा प्रदान करने के लिए विभिन्न टेलीफोन कंपनियाँ अपनी-अपनी सेवाएँ देती हैं। मोबाइल फोन बात करने, एसएमएस की सुविधा प्रदान करने के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के खेल, कैलकुलेटर, फोनबुक की सुविधा, समाचार, चुटकुले, इंटरनेट सेवा आदि भी उपलब्ध कराता है। अनेक मोबाइल फोनों में इंटरनेट की सुविधा भी होती है, जिससे ई-मेल भी किया जा सकता है। मोबाइल फोन सुविधाजनक होने के साथ ही नुकसानदायक भी है।
मोबाइल फोन का सबसे बड़ा दोष यह है कि यह समय-असमय बजता ही रहता है। लोग सुरक्षा और शिष्टाचार भूल जाते हैं। अकसर लोग गाड़ी चलाते समय भी फोन पर बात करते हैं, जो असुरक्षित ही नहीं, बल्कि कानूनन अपराध भी है। अपराधी एवं असामाजिक तत्त्व मोबाइल का गलत प्रयोग अनेक प्रकार के अवांछित कार्यों में करते हैं। इसके अधिक प्रयोग से कानों व हृदय पर बुरा प्रभाव पड़ता है। अतः इन खतरों से सावधान होना आवश्यक है।
संकेत बिंदु
ई-कचरा आधुनिक समय की एक गंभीर समस्या है। वर्तमान समय में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में काफी काम हो रहा है। इसके फ़लस्वरुप आज नित नए-नए उन्नत तकनीक वाले इलेक्ट्रॉनिक यंत्रों का उत्पादन हो रहा है। जैसे ही बाजार में उन्नत तकनीक वाला उत्पाद आता है, वैसे ही पुराने यंत्र बेकार पड़ जाते हैं। इसी का नतीजा है कि आज कंप्यूटर, लैपटॉप, मोबाइल फोन, टीवी, रेडियो, प्रिंटर, आई-पोड्स आदि के रूप में ई-कचरा बढ़ता जा रहा है। एक अनुमान के अनुसार एक वर्ष में पूरे विश्व में लगभग 50 मिलियन टन ई-कचरा उत्पन्न होता है। यह अत्यंत चिंता का विषय है कि ई-कचरे का निपटान उस दर से नहीं हो पा रहा है, जितनी तेजी से यह पैदा हो रहा है। ई-कचरे को डालने या खुले में जलाने से पर्यावरण के लिए गंभीर समस्याएँ उत्पन्न हो गई हैं। क्योंकि इलेक्ट्रॉनिक यंत्रों में आर्सेनिक, कोबाल्ट, मरकरी, बेरियम, लिथियम, कॉपर, क्रोम, लेड आदि हानिकारक अवयव होते हैं। इनसे कैंसर जैसी गंभीर बिमारियों का खतरा कई गुना बढ़ गया हैं।
अब समय आ गया है कि ई-कचरे के उचित निपटान और पुनः चक्रण पर ध्यान दिया जाए अन्यथा पूरी दुनिया शीघ्र ही ई-कचरे का ढेर बन जाएगी। इसके लिए विकसित देशों को आगे आना होगा और विकासशील देशों के साथ अपनी तकनीकों को साझा करना होगा, क्योंकि विकसित देशों में ही ई-कचरे का उत्पादन अधिक होता है और वे जब-तब चोरी-छिपे विकासशील देशों में उसे भेजते रहते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए पूरी दुनिया को एक होना होगा।
संकेत बिंदु
जीवन में निश्चित सफलता के लिए एक निश्चित लक्ष्य का होना भी अत्यंत आवश्यक है। जिस तरह निश्चित गंतव्य तय किए बिना, चलते रहने का कोई अर्थ नहीं रह जाता, उसी तरह लक्ष्य विहीन जीवन भी निरर्थक होता हैं।
एक व्यक्ति को अपनी योग्यता एवं रुचि के अनुरूप अपने लक्ष्य का चयन करना चाहिए। जहाँ तक मेरे जीवन के लक्ष्य की बात है, तो मुझे बचपन से ही पढ़ने-लिखने का शौक रहा है, इसलिए मैं एक शिक्षक बनना चाहता हूँ। शिक्षा मनुष्य के व्यक्तित्व का विकास करती है और इस प्रक्रिया में शिक्षक की भूमिका सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण होती है।
मैं शिक्षक बनकर समाज हित में ग्रामीण क्षेत्र में नियुक्ति प्राप्त करना चाहूँगा, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छे एवं समर्पित शिक्षकों का अभाव हैं। एक आदर्श शिक्षक के रूप में मैं धार्मिक कट्टरता, प्राइवेट ट्यूशन, नशाखोरी आदि से बचाने हेतु सभी छात्रों का उचित मार्गदर्शन करूँगा। मैं सही समय पर विद्यालय जाऊँगा और अपना कार्य पूर्ण ईमानदारी से करूँगा। शिक्षण को प्रभावी बनाने के लिए सहायक साम्रगियों का भरपूर प्रयोग करूँगा, साथ ही छात्रों को हमेशा अच्छे कार्य करने के लिए प्रेरित करूँगा। छात्रों पर नियंत्रण रखने के लिए शौक्षणिक मनोविज्ञान का अच्छा ज्ञान प्राप्त करूँगा। मुझे आज के समाज की आवश्यकताओं का ज्ञान है, इसलिए मैं इस उद्देश्य की पूर्ति हेतु छात्रों को उनके नैतिक कर्तव्यों का ज्ञान कराऊँगा। अतः मेरे जीवन का लक्ष्य होगा आदर्श शिक्षक बनकर समाज की सेवा करना तथा देश के विकास में योगदान देना।
संकेत बिंदु
महापुरुषों ने कहा है, ''समय बहुत मूलयवान है। एक बार निकल जाने पर यह कभी वापस नहीं आता।'' वास्तव में, समय ही जीवन है। इसकी गति को रोकना असंभव है। संसार में अनेक उदाहरण हैं, जो समय की महत्ता को प्रमाणित करते हैं। जिसने समय के मूल्य को नहीं पहचाना, वह हमेशा पछताया है। इसके महत्त्व को पहचानकर इसका सदुपयोग करने वाले व्यक्तियों ने अपने जीवन में लगातार सफलता प्राप्त की। जो व्यक्ति समय मिलने पर भी अपने जीवन में कुछ नहीं कर पाते, वे जीवन में असफल रहते हैं।
जो विद्यार्थी पूरे वर्ष पढ़ाई नहीं करते, वे फेल होने पर पछताते हैं। तब यह उक्ति कि 'अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत' चरितार्थ होती है। विद्यार्थी को समय का मूल्य पहचानते हुए हर पल का सदुपयोग करना चाहिए, क्योंकि जो समय को नष्ट करता है, एक दिन समय उसे नष्ट कर देता है। महान पुरुषों ने समय का सदुपयोग किया और अपने जीवन में सफल हुए। स्वामी दयानंद, महात्मा गाँधी, जवाहरलाल नेहरू, मदर टेरेसा आदि इसके ज्वलंत प्रमाण हैं। अतः हमें समय की महत्ता को समझते हुए इसका सदुपयोग करना चाहिए।
संकेत बिंदु
वर्तमान आय का वह हिस्सा, जो तत्काल व्यय (खर्च) नहीं किया गया और भविष्य के लिए सुरक्षित कर लिया गया 'बचत' कहलाता है। पैसा सब कुछ नहीं रहा, परंतु इसकी जरूरत हमेशा सबको रहती है। आज हर तरफ पैसों का बोलबाला है, क्योंकि पैसों के बिना कुछ भी नहीं।
आज जिंदगी और परिवार चलाने के लिए पैसे की ही अहम भूमिका होती है। आज के समय में पैसा कमाना जितना मुश्किल है, उससे कहीं अधिक कठिन है। पैसे को अपने भविष्य के लिए सुरक्षित बचाकर रखना, क्योंकि अनाप-शनाप खर्च और बढ़ती महँगाई के अनुपात में कमाई के स्रोतों में कमी होती जा रही है, इसलिए हमारी आज की बचत ही कल हमारे भविष्य को सुखी और समृद्ध बना सकने में अहम भूमिका निभाएगी।
जीवन में अनेक बार ऐसे अवसर आ जाते हैं, जैसे आकस्मिक दुर्घटनाएँ हो जाती हैं, रोग या अन्य शारीरिक पीड़ाएँ घेर लेती हैं, तब हमें पैसों की बहुत आवश्यकता होती है। यदि पहले से बचत न की गई तो विपत्ति के समय हमें दूसरों के आगे हाथ फैलाने पड़ सकते हैं।
हमारी आज की छोटी-छोटी बचत या धन निवेश ही हमें भविष्य में आने वाले तमाम खर्चों का मुफ़्त समाधान कर देती हैं। आज की थोड़ी-सी समझदारी आने वाले भविष्य को सुखद बना सकती है। बचत करना एक अच्छी आदत है, जो हमारे वर्तमान के साथ-साथ भविष्य के लिए भी लाभदायक सिद्ध होती है। किसी जरूरत या आकस्मिक समस्या के आ जाने पर बचाया गया पैसा ही हमारे काम आता है। संक्षेप में कह सकते हैं कि बचत करके हम अपने भविष्य को सँवार सकते हैं।
संकेत बिंदु
वर्तमान समय में प्रत्येक मनुष्य की जीवन-शैली इतनी भागदौड़ से भर गई है कि वे अपने स्वास्थ्य की रक्षा कर पाने में असमर्थ हो चुके हैं। जहाँ पहले के समय में व्यक्ति की औसत आयु 75 वर्ष थी, वह आज घटकर 60 वर्ष हो गई है। स्वास्थ्य की रक्षा बहुत ही आवश्यक है। खराब स्वास्थ्य के साथ व्यक्ति कोई भी कार्य उचित तौर-तरीके से नहीं कर पाता है। प्रत्येक व्यक्ति को आधारभूत वस्तुओं का संचय करने के लिए स्वस्थ रहने की आवश्यकता है। कहा जाता है स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन का वास होता है, इसलिए स्वास्थ्य की रक्षा हमारे लिए आवश्यक है। स्वास्थ्य की रक्षा के लिए पोषक भोजन लेना अति आवश्यक है।
हरी सब्जियाँ, दूध, दही, फल आदि का सेवन हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाते हुए हमारे स्वास्थ्य की रक्षा करता है। आजकल जंकफूड और फास्ट फूड का प्रचलन अपने चरम पर है। इसकी चपेट में लाखों लोग आ चुके हैं और इसी कारण वे अपना स्वास्थ्य खराब कर चुके हैं।
आजकल के बच्चों को मोटापा, सुस्ती व भिन्न-भिन्न प्रकार की बीमारियों ने जकड़ लिया है। हमें जंक फूड एवं फास्ट-फूड से दूरी बनाते हुए पौष्टिक आहार लेने चाहिए, जिससे हम अपने स्वास्थ्य की रक्षा करते हुए, अपने और दूसरों के जीवन को खुशियाँ प्रदान कर सकें।
संकेत बिंदु
(i)सुरक्षा से अभिप्राय- जंगल की सुरक्षा का अभिप्राय है, जंगल में निवास करने वाले जानवरों, पक्षियों, पेड़, पौधे, उनपर आर्थिक रूप से निर्भर रहने वाले प्राणियों की सुरक्षा। जंगल की सुरक्षा में जंगल में निवास करने वाले सभी प्राणी द्वारा स्थापित पारिस्थितिक तंत्र की सुरक्षा निहित है। जंगल की सुरक्षा के कारण ही विभिन प्रकार के जीवधारियों के बीच खाद्य शृंखला या भोजन शृंखला का निरंतर प्रवाह होता रहता है।
(ii)सुरक्षा से लाभ- मानव जाति के अस्तित्व के लिए जंगल की सुरक्षा अत्यंत आवश्यक हैं। वातावरण को शुद्ध करने, जलवायु नियंत्रण में सहायता, प्राकृतिक वाटरशेड के रूप में कार्य करने और कई लोगों के लिए आजीविका का एक स्रोत है। कई लाइलाज बीमारियों के ओषधियों के लिए हम प्राचीन समय से जंगलों पर निर्भर रहते आ रहे हैं।
(iii)जंगल के कटाई से हानि- जनसंख्या विस्फोट के कारण निवास के लिए भूमि कम पड़ रही है। इसलिए वनों की कटाई होती है। जंगलों की कमी होने से धरती पर कई नदियां सुख गई है और कई नदियों में पानी कम हो गया है। जल संकट की समस्या भीषण हो सकती है।ग्लोबल वार्मिंग का संकट और बढ़ सकता है। जंगलो की कमी से पर्यावरण का संतुलन बिगड़ने के खतरा रहता है।
(iv)हमारी भूमिका- जंगलों की सुरक्षा में ही हमारी सुरक्षा निहित है। जंगलों को पुनः स्थापित करने हेतु हम सबको मिलकर अधिक से अधिक पेड़ लगाना चाहिए। जंगलों को काटने से बचना चाहिए और उनके संरक्षण हेतु राष्ट्रीय नीतियों में अपनी सहभागिता सुनिश्चित करना चाहिए।