फूलना-फलना (धनवान या कुलवान होना)- मेरा आशीर्वाद है; सदा फूलो-फलो।
फटे में पाँव देना (दूसरे की विपत्ति अपने ऊपर लेना)- शर्मा जी की फटे में पाँव देने की आदत है।
फल चखना (कुपरिणाम भुगतना)- वह जैसा कर्म करेगा, वैसा फल चखेगा।
फुलझड़ी छोड़ना (कटाक्ष करना)- गुप्ता जी तो कोई न कोई फुलझड़ी छोड़ते ही रहते हैं।
फूट डालना (मतभेद पैदा करना)- अंग्रेजों ने फूट डाल कर भारत पर राज किया था।
फूला न समाना (अत्यन्त आनन्दित होना)- जब रवि कक्षा 10 में पास हो गया तो वह फूला नहीं समाया।
फूँककर पहाड़ उड़ाना (असंभव कार्य करना)- धीरज फूँककर पहाड़ उड़ाना चाहता है।
फूंक-फूंक कर कदम रखना (सोच-समझकर काम करना)- एक बार नुकसान उठा लिया अब तो फूंक-फूंक कर कदम रखो।
फूटी आँखों न सुहाना (तनिक भी अच्छा न लगना)- झूठ बोलने वाले लोग मुझे फूटी आँख नहीं सुहाते।
फटे हाल होना (बहुत गरीब होना)- जो बेचारा खुद फटे हाल है वह दूसरों की क्या मदद करेगा।
फूँक निकल जाना (भयभीत होना)- बहुत बढ़-चढ़ कर बोल रहा था। जैसे ही प्रधानाचार्य आए उसकी फूँक निकल गई।
फूटी कौड़ी भी न होना (बहुत गरीब होना)- मेरे पास तो फूटी कौड़ी भी नहीं हैं, मैं तुम्हारी मदद नहीं कर सकता।
फूट-फूट कर रोना (बहुत रोना)- परीक्षा में अनुत्तीर्ण होने की खबर सुनकर वह फूट-फूट कर रोने लगी।
फूलकर कुप्पा हो जाना (बहुत खुश होना)- नौकरी लगने की खबर सुनते ही वह फूलकर कुप्पा हो गया।
फक हो जाना (घबड़ा जाना)- ज्योंही मैंने उससे एक हिसाब पूछा कि वह फ़क हो गया।
फंदे में फँसना (जाल में फँसना)- जब तुम किसी बदमाश के फंदे में फँसोगे, तो पता चलेगा।
फंदे में पड़ना (धोखे में पड़ना)- क्या तुम्हारे जैसा चतुर व्यक्ति भी किसी के फंदे में पड़ सकता है ?
फब्तियाँ कसना (व्यंग्य करना)- फब्तियाँ कसने की आदत छोड़ो।
फाख्ता उड़ाना (गुलछर्रे उड़ाना)- दूसरे की कमाई पर फाख्ता उड़ाए जाओ, जब स्वयं कमाने लगोगे तो आटे-दाल का भाव मालूम होगा।
फूल सूँघकर रहना (बहुत थोड़ा खाना)- क्या आप फूल सूँघकर रहते हैं, जो इतना दुर्बल हो गये हैं।
फ़ूलों से तौला जाना (अतीव कोमल होना)- रानी तो फूलों से तौली जाती है।
फफोले फोड़ना- (वैर साधना)
फूल झड़ना- (मधुर बोलना)
बीड़ा उठाना (दायित्व लेना)- गांधजी ने भारत को आजाद करने का बीड़ा उठाया था।
बाजी ले जाना या मारना (जीतना)- देखें, दौड़ में कौन बाजी ले जाता या मारता है।
बेसिर-पैर की बात करना(व्यर्थ की बात करना)- वह तो जब भी देखो, बेसिर-पैर की बात करता है।
बगलें झाँकना (उत्तर न दे सकना)- अध्यापक के सवाल पर राजू बगलें झाँकने लगा।
बगुला भगत (ढोंगी व्यक्ति)- वो साधु तो बगुलाभगत निकला, सबको लूट कर भाग गया।
बाग-बाग होना (बहुत खुश होना)- जब राम अपनी कक्षा में फर्स्ट आया तो उसके माता-पिता का दिल बाग-बाग हो गया।
बोलबाला होना (ख्याति होना)- शहर में सेठ रामचंदानी का बहुत बोलबाला है।
बखिया उधेड़ना (भेद या राज खोलना या पोल खोलना)- आज अजय ने रामू की बखिया उधेड़ दी।
बाँसों उछलना (बहुत खुश होना)- जब बेरोजगार राजू को नौकरी मिल गई तो वह बाँसों उछल रहा था।
बाट जोहना (इन्तजार अथवा प्रतीक्षा करना)- रामू की माँ परदेस गए बेटे की कब से बाट जोह रही है।
बात को गाँठ में बाँधना (स्मरण/याद रखना)- मित्र, मेरी बात को गाँठ में बाँध लो, तुम अवश्य सफल होओगे।
बात खुलना (रहस्य खुलना)- कल सबके सामने रमेश की बात खुल गई।
बात बनाना (झूठ बोलना)- मोहन अब बात बनाना भी सीख गया है।
बुद्धि पर पत्थर पड़ना (अक्ल काम न करना)- आज उसकी बुद्धि पर पत्थर पड़ गए तभी तो उसने 10 लाख का मकान 2 लाख में बेच दिया।
बेपेंदी का लौटा (किसी की तरफ न टिकने वाला)- वह नेता तो बेपेंदी का लौटा है- कभी इस पार्टी में तो कभी उस पार्टी में चला जाता है।
बछिया का ताऊ (मूर्ख व्यक्ति)- धीरू तो बछिया का ताऊ है।
बधिया बैठना (बहुत घाटा होना)- नए रोजगार में तो पवन की बधिया ही बैठ गई।
बहत्तर घाट का पानी पीना (अनेक प्रकार के अनुभव प्राप्त करना)- काका जी बहत्तर घाट का पानी पी चुके हैं, उनको कोई धोखा नहीं दे सकता।
बाएं हाथ का खेल (बहुत सुगम कार्य)- रामू ने कहा कि कबड्डी में जीतना तो उसके बाएं हाथ का खेल है।
बारह बाट करना (तितर-बितर करना)- भाई-भाई की लड़ाई ने राम और श्याम को बारह बाट कर दिया।
बाल की खाल निकालना (छोटी से छोटी बातों पर तर्क करना)- सूरज तो हमेशा बाल की खाल निकालता रहता है।
बाल बाँका न होना (जरा भी हानि न होना)- जिसकी रक्षा ईश्वर करता है उसका बाल भी बाँका नहीं हो सकता।
बुढ़ापे की लाठी (बुढ़ापे का सहारा)- रामदीन का बेटा उसके बुढ़ापे का लाठी था, वह भी विदेश चला गया।
बहती गंगा में हाथ धोना (समय का लाभ उठाना)- हर आदमी बहती गंगा में हाथ धोना चाहता है चाहें उसमें क्षमता हो या न हो।
बगलें झाँकना (उत्तर न दे सकना)- साक्षात्कार के समय प्रत्येक प्रश्न के उत्तर में वह बगलें झाँकने लगा था।
बट्टा लगाना (कलंकित होना, दाग लगना)- चोरी करके उसने अपने माँ-बाप के नाम पर बट्टा लगा दिया।
बदन में आग लग जाना (बहुत क्रोध आना)- राजेश की झूठी बातें सुनकर मेरे बदन में आग लग गई।
बधिया बैठना (बहुत घाटा होना)- आमदनी कम, खर्चे अधिक।बधिया तो बैठनी ही थी।
बना बनाया खेल बिगड़ जाना (सिद्ध हुआ काम खराब हो जाना)- तुम्हारी एक छोटी-सी गलती से सारा बना बनाया खेल ही बिगड़ गया।
बलि जाना (न्योछावर होना)- मीरा कृष्ण के हर रूप पर बलि जाती थी।
बरस पड़ना (क्रोधित होना)- मुझे देखते ही अध्यापक क्यों इतना बरस पड़े?
बाँछें खिल जाना (बहुत प्रसन्न होना)- बेटे को नौकरी मिलने की खबर सुनते ही शर्मा जी की बाँछें खिल गई।
बाँह चढ़ाना (लड़ने को तैयार होना)- इस तरह से बाँह चढ़ाकर बात करने से समस्या का समाधान नहीं निकलेगा। बैठकर शांति से बात करो।
बाँह पकड़ना (शरण में लेना)- किसी बड़े आदमी की बाँह पकड़ लो, बेड़ा पार हो जाएगा।
बाज न आना (बुरी आदत न छोड़ना)- सब लोगों ने इतना समझाया फिर भी वह अपनी आदतों से बाज नहीं आता।
बात का बतंगड़ बनाना (छोटी-सी बात को बहुत बढ़ा देना)- बात का बतंगड़ मत बनाओ और इस किस्से को यहीं समाप्त करो।
बात न पूछना (परवाह न करना)- जब उसका अपना बेटा ही बात नहीं पूछता तो दूसरा कोई क्या मदद करेगा?
बात बढ़ना (झगड़ा होना)- बात ही बात में इतनी बात बढ़ गई कि दोनों ओर से चाकू-छुरियाँ निकल आयीं।
बाल-बाल बचना (मुश्किल से बचना)- विमान दुर्घटना में सभी यात्री बाल-बाल बच गए।
बात का धनी होना (वायदे का पक्का होना)- वह अपनी बात का धनी है। यदि उसने आने का वायदा किया है तो अवश्य आएगा।
बेड़ा गर्क करना (नष्ट करना)- तुमने मेरा बेड़ा गर्क कर दिया है। अब मैं तुम्हारे साथ काम नहीं कर सकता।
बे पर की उड़ाना (निराधार बातें करना)- मेरे सामने बे पर की मत उड़ाया करो। वही बातें किया करो जिनका कोई प्रमाण हो।
बुरा फँसना (झंझट में पड़ना)- मैं इस खराब रास्ते में गाड़ी लाकर बुरा फँसा।
बुरा मानना (नाराज होना)- बूढ़े की बातों का बुरा न मानना चाहिए।
बेवक्त की शहनाई बजाना (अवसर के प्रतिकूल कार्य करना)- पूजा के अवसर पर सिनेमा के गीत सुना कर लोग बेवक्त की शहनाई बजाते हैं।
बोलती बंद करना (भय से आवाज न निकलना)- मैंने उसे ऐसी डाँट बताई कि उसकी बोलती बंद हो गयी।
बन्दरघुड़की देना- (धमकाना)
बाजार गर्म होना- (सरगर्मी होना, तेजी होना)
बात का धनी- (वादे का पक्का, दृढप्रतिज्ञ)
बात की बात में- (अतिशीघ्र)
बात चलाना- (चर्चा करना)
बात पर न जाना- (विश्वास न करना)
बात रहना- (वचन पूरा करना)
बातों में उड़ाना- (हँसी-मजाक में उड़ा देना)
बात पी जाना- (बर्दाश्त करना, सुनकर भी ध्यान न देना)
बाल की खाल निकालना- (छिद्रान्वेषण करना)
बालू की भीत- (शीघ्र नष्ट होनेवाली चीज)
भीगी बिल्ली होना (डर से दबना)- वह अपने शिक्षक के सामने भीगी बिल्ली हो जाता है।
भानमती का कुनबा जोड़ना (अलग-अलग तरह की चीजें जोड़ना या इकट्ठा करना)- राजू ने अपने ऑफिस में भानमती का कुनबा जोड़ा हुआ है, उसमें सभी तरह के लोग हैं।
भंडा फूटना (पोल खुलना)- भंडा फूटने के डर से रवि मीटिंग से उठ कर चला गया।
भंडा फोड़ना (पोल खोलना)- जरा-सी कहासुनी पर महेश ने रवि का भंडा फोड़ दिया।
भगवान को प्यारे हो जाना (मर जाना)- सोनू के नानाजी कल भगवान को प्यारे हो गए।
भरी थाली में लात मारना (लगी लगाई नौकरी छोड़ना)- राजू ने भरी थाली में लात मारकर अच्छा नहीं किया।
भांजी मारना (किसी के बनते काम को बिगाड़ना)- रामू के विवाह में उसके ताऊ ने भांजी मार दी।
भेड़ की खाल में भेड़िया (देखने में सरल तथा भोलाभाला, पर वास्तव में खतरनाक)- कालू तो भेड़ की खाल में भेड़िया है।
भैंस के आगे बीन बजाना (वज्र मूर्ख के सामने बुद्धिमानी की बातें करना)- राजू को कोई बात समझाना तो भैंस के आगे बीन बजाना है।
भौंहे टेढ़ी करना (क्रोध आना)- पिताजी की जरा भौंहे टेढ़ी करते ही पिंटू चुप हो गया।
भनक पड़ना (सुनाई पड़ना)- पुजारी जी ने अपनी लड़की की शादी कर दी और किसी को भनक तक नहीं पड़ी।
भाड़ झोंकना (व्यर्थ समय नष्ट करना)- अगर पढ़ाई-लिखाई नहीं करोगे तो सारी जिंदगी भाड़ झोंकोगे।
भाड़े का टट्टू (किराए का आदमी)- इस तरह के काम भाड़े के टट्टुओं से नहीं होते। खुद मेहनत करनी पड़ती है।
भूत चढ़ना या सवार होना (किसी काम में पूरी तरह लग जाना)- उस पर आजकल परीक्षा का भूत सवार है। दिन रात पढ़ने में ही लगी रहती है।
भूत उतरना (क्रोध शांत होना)- उससे कुछ मत कहो। जब भूत उतर जाएगा तब खुद ही शांत हो जाएगा।
भूत बनकर लगना (जी-जान से लगना)- वह तो मेरे पीछे भूत बनकर लग गया है, छोड़ने का नाम ही नहीं लेता।
भृकुटि तन जाना (क्रोध आना)- मेरी बात सुनते ही अध्यापक महोदय की भृकुटि तन गई।
भोग लगाना (देवता/ईश्वर को नैवेद्य चढ़ाना)- मैं पहले ठाकुरजी को भोग लगाऊँगा तब नाश्ता करूँगा।
भभूत रमाना (साधु हो जाना)- बेचारे की पत्नी मरी, तो उसने भभूत रमा लिया।
भर नजर देखना (अच्छी तरह देखना)- आओ, तुझे भर नजर देख लूँ, पता नहीं फिर कब मुलाकात होती है ?
भँवरा बना फिरना (रस-लोलुप होना)- इन दिनों कुमार भँवरा बना फिरता है।
भाग्य खुलना (भाग्य चमकना)- देखें, हमारा भाग्य कब खुलता है ?
भाग्य फूटना (किस्मत बिगड़ना)- भाग्य फूट गया जो तुमसे संबंध किया।
भुजा उठा कर कहना (प्रतिज्ञा करना)- ''निशिचरहीन करौं महीं, भुज उठाइ पन कीन्ह''।
भूँजी भाँग न होना (अत्यंत दरिद्र होना)- घर भूँजी भाँग नहीं और दरवाजे पर तमाशा करा रहे हैं।
भेड़ियाधसान होना- (देखा-देखी करना)
भारी लगना- (असहय होना)
मुँह धो रखना (आशा न रखना)- यह चीज अब मिलने को नही मुँह धो रखिए।
मुँह में पानी आना (लालच होना)- मिठाई देखते ही उसके मुँह में पानी भर आया।
मैदान मारना (बाजी जीतना)- पानीपत की लड़ाई में आखिर अब्दाली ही मैदान मारा।
मैदान साफ होना (कोई रुकावट न होना)- जब रात को सब लोग सो गए और पुलिस वाले भी चले गए तो चोरों को लगा कि अब मैदान साफ है और सामने वाले घर में घुसा जा सकता है।
मिट्टी के मोल बिकना (बहुत सस्ता)- जो चीज मिट्टी के मोल थी आज की मँहगाई में सोने के भाव बिक रही है।
मुट्ठी गरम करना (घूस देना)- मुट्ठी गर्म करने के बाद ही क्लर्क बाबू ने मेरा काम किया।
मुँह बंद कर देना (शांत कराना)- तुम धमकी देकर मेरा मुँह बंद कर देना चाहते हो
मीठी छुरी (छली-कपटी मनुष्य)- वह तो मीठी छुरी है, मैं उसकी बातों में नहीं आती।
मुँह अँधेरे (बहुत सवेरे)- वह नौकरी के लिए मुँह अँधेरे निकल जाता है।
मुँह काला होना (अपमानित होना)- उसका मुँह काला हो गया, अब वह किसी को क्या मुँह दिखाएगा।
मुँह की खाना (हारना/पराजित होना)- इस बार तो राजू पहलवान ने मुँह की खाई है, पिछली बार वह जीता था।
मक्खन लगाना (चापलूसी करना)- चपरासी को मक्खन लगाने के बाद भी रामू का काम नहीं बना।
मक्खी मारना (बेकार रहना)- पढ़-लिख कर श्यामदत्त मक्खी मार रहा है।
मगजपच्ची करना (समझाने के लिए बहुत बकना)- इस काठ के उल्लू के साथ कौन मगजपच्ची करे।
मगरमच्छ के आँसू (दिखावटी सहानुभूति प्रकट करना)- राम के फेल होने पर उसके साथी मगरमच्छ के आँसू बहाने लगे।
मरने को भी छुट्टी न होना (अत्यधिक व्यस्त रहना)- आचार्य जी के पास तो मरने की भी छुट्टी नहीं होती।
मरम्मत करना (मारना-पीटना)- माँ ने सुबह-सुबह टीटू की मरम्मत कर दी।
मस्तक ऊँचा करना (प्रतिष्ठा बढ़ाना)- डॉक्टरी पास करके रवि ने अपने माँ-बाप का मस्तक ऊँचा कर दिया।
महाभारत मचाना (खूब लड़ाई-झगड़ा करना)- सोनू और मोनू दोनों बहन-भाई सुबह से महाभारत मचा रहे हैं।
मांग उजाड़ना (विधवा होना)- युवावस्था में ही सीमा की मांग उजड़ गई।
मिजाज आसमान पर होना (बहुत घमंड होना)- नई कार खरीदने के बाद शंभू का मिजाज आसमान पर हो गया है।
मिट्टी डालना (किसी के दोष को छिपाना)- बच्चों की गलतियों पर मिट्टी नहीं डालनी चाहिए।
मुँह पर कालिख लगना (कलंकित होना)- चोरी करते पकड़े जाने पर राजू के मुँह पर कालिख लग गई।
मुँह पर ताला लगना (चुप रहने के लिए विवश होना)- कक्षा में अध्यापक के आने पर सब छात्रों के मुँह पर ताला लग जाता है।
मुँह पर थूकना (बुरा-भला कहना)- कालू की करतूत देखकर सब उसके मुँह पर थूक गए।
मुँह फुलाना (अप्रसन्नता या असंतुष्ट होकर रूठ कर बैठना)- शांति सुबह से ही अपना मुँह फुलाए घूम रही है।
मुँह सिलना (चुप रहना)- मैंने तो अपना मुँह सिल लिया है। तुम चिंता मत करो। मैं तुम्हारे विरुद्ध कुछ नहीं बोलूँगा।
मुँह काला करना (कलंकित होना)- दुश्चरित्र महिलाएँ न जाने कहाँ-कहाँ मुँह काला कराती फिरती है।
मुँह चुराना (सम्मुख न आना)- इस तरह समाज में कब तक मुँह चुराते फिरोगे। जाकर प्रधान जी से अपनी गलती की माफी माँग लो।
मुँह जूठा करना (थोड़ा-सा खाना/चखना)- यदि भूख नहीं है तो कोई बात नहीं। थोड़ा-सा मुँह जूठा कर लीजिए।
मुँहतोड़ जबाब देना (ऐसा उत्तर देना कि दूसरा कुछ बोल ही न सके)- मैंने ऐसा मुँहतोड़ जबाब दिया कि सबकी बोलती बंद हो गई।
मुँह निकल आना (कमजोरी के कारण चेहरा उतर जाना)- एक सप्ताह की बीमारी में ही उसका मुँह निकल आया है।
मुँह की बात छीन लेना (दूसरे के मन की बात कह देना)- आपने यह बात कहकर तो मेरे मुँह की बात छीन ली। मैं भी यही बात कहना चाहता था।
मुँह में खून लगना (अनुचित लाभ की आदत पड़ना)- इस थानेदार के मुँह में खून लग गया है। बेचारे गरीब सब्जी वालों से भी हफ़्ता-वसूली करता है।
मुँह मोड़ना (उपेक्षा करना)- जब ईश्वर ही मुँह मोड़ लेता है तब दुनिया में कोई सहारा नहीं बचता।
मुँह लगाना (बहुत स्वतंत्रता देना)- ऐसे घटिया लोगों को मैं मुँह नहीं लगाता।
मूँछ उखाड़ना (गर्व नष्ट करना)- सत्तो पहलवान की आज तक कोई मूँछ नहीं उखाड़ पाया है।
मूँछ नीची होना (लज्जित होना)- जब नौकर ने टका-सा जवाब दे दिया तो ठाकुर साहब की मूँछ नीची हो गई।
मूँछों पर ताव देना (वीरता की अकड़ दिखाना)- ज्यादा मूँछों पर ताव मत दो, बजरंग आ गया तो सारी हेकड़ी निकल जाएगी।
मूँछ मुड़वाना (हार मान लेना)- यदि मेरी बात झूठी निकली तो मैं मूँछ मुड़वा लूँगा।
मूली-गाजर समझना (अति तुच्छ समझना)- आतंकवादी आम जनता को मूली-गाजर समझते हैं।
मैदान छोड़ना (युद्धक्षेत्र से भाग जाना)- मैदान छोड़ कर भागने वाला कायर होता है।
म्यान से बाहर होना (अत्यन्त क्रुद्ध होना)- अशोक जरा-सी बात पर म्यान से बाहर हो गया।
मन उड़ा-उड़ा सा रहना (मन स्थिर न रहना)-पति के आने के इंतजार में मधु का मन आजकल उड़ा-उड़ा सा रहता है।
मन डोलना (इच्छा होना/ललचाना)- मेले में मिठाइयों की दुकान से गुजरते समय केशव का मन डोलने लगा।
मजा किरकिरा होना (आनंद में विघ्न पड़ना)- बार-बार बिजली आती-जाती रही इसलिए फ़िल्म का सारा मजा किरकिरा हो गया।
मजा चखाना (गलती की सजा देना)- जो कुछ तुमने किया है उसका तुम्हें मजा चखाकर रहूँगा।
मन कच्चा होना/करना (हिम्मत हारना/छोड़ना)- इतनी कोशिश के बाद भी नौकरी नहीं मिली इसलिए मेरा तो मन कच्चा हो गया है।
मन की मन में रह जाना (इच्छा पूरी न होना)- बेटी के विवाह में लड़के वालों से अनबन हो गई इसलिए कुछ भी ठीक से न हो पाया।
मन बढ़ना (हौसला बढ़ना)- हमारे गेम्स-टीचर हमेशा हमलोगों का मन बढ़ाते रहते हैं इसलिए हमारे स्कूल की टीम हर मैच जीतती है।
मन मार कर रह जाना (अधिक वेदना होना)- मेरे बेटे की जगह जब एक मंत्री के बेटे को नौकरी मिल गई तो मैं मन मार कर रह गया।
मन मसोस कर रह जाना (मन के भावों को मन में ही दबा देना)- जब उन लोगों की बातें सरकार ने नहीं मानी तो बेचारे मन मसोस कर रह गए।
मन में बसना (प्रिय लगना)- जब कोई मन में बस जाता है तब उसकी कमियाँ दिखाई नहीं देतीं।
मन में चोर होना (मन में धोखा-फरेब होना)- जिसके मन में चोर होता है वही ऐसी अविश्वसनीय बातें करता है।
मन रखना (इच्छा पूरी करना)- मैंने उसका मन रखने के लिए ही झूठ बोला था।
मस्ती मारना (मौज उड़ाना)- पिकनिक में सब लोग मस्ती मार रहे हैं।
मिट्टी का माधो (मूर्ख)- सुबोध तो एकदम मिट्टी का माधो है, उससे कुछ भी उम्मीद मत कीजिए।
मिट्टी में मिलाना (नष्ट करना)- यदि उसने मेरे साथ गद्दारी की तो मैं उसे मिट्टी में मिला दूँगा।
मिट्टी पलीद करना (दुर्गति करना)- भाषण प्रतियोगिता में सुशील ने सभी वक्ताओं की मिट्टी पलीद कर दी।
माथा ठनकना (खटका पैदा होना, आशंका होना)- उसकी बहकी-बहकी बातें सुनकर मेरा तो माथा तभी ठनका था और मैंने तुमलोगों को आगाह भी किया था पर तुमलोगों ने मेरी सुनी ही नहीं।
माथा-पच्ची करना (सिर खपाना)- हमलोग सुबह से माथा-पच्ची कर रहे हैं पर इस सवाल को हल नहीं कर पाए हैं।
माथा फिरना (दिमाग खराब होना)- तुम चले जाओ यहाँ से। अगर मेरा माथा फिर गया तो तुम्हारी खैर नहीं।
मार-मार कर चमड़ी उधेड़ देना (बहुत पीटना)- पुलिस वाले ने उस चोर को मार-मार कर उसकी चमड़ी उधेड़ दी।
मारा-मारा फिरना (इधर-उधर ठोकरें खाते फिरना)- आजकल वह नौकरी की तलाश में चारों ओर मारा-मारा फिर रहा है।
माला फेरना (माला के दानों को गिनकर जप करना)- केवल माला फेरने से ईश्वर नहीं मिलते, मन से भक्ति करनी पड़ती है तब ईश्वर प्रसन्न होते हैं।
मिट्टी खराब करना (दुर्दशा करना)- रमानाथ से झगड़ा मत करना। वह तुम्हारी मिट्टी खराब कर देगा।
मिलीभगत होना (गुप्त सहमति होना)- पुलिसवालों की मिलीभगत थी, इसलिए चोर जेल से गायब हो गए।
मुट्ठी में होना (वश में होना)- चिंता क्यों करते हो? जब मंत्री जी मेरी मुट्ठी में हैं तो हमारा काम कैसे नहीं बनेगा?
मुराद पूरी होना (मनोकामना पूरी होना)- करीम का बेटा जब डॉक्टर बन गया तो उसकी मुराद पूरी हो गई।
मेल खाना (संगति के अनुकूल होना)- वह लड़की सबसे अलग है। उसके विचार किसी से मेल नहीं खाते।
मोटे तौर पर (साधारणतः)- इस बात के बारे में मैंने तो आपको मोटे तौर पर समझाया है। यदि आपको विस्तृत जानकारी चाहिए तो हमारे डायरेक्टर से मिलिए।
मोर्चा मारना (विजय हासिल करना)- तीन दिन तक घमासान युद्ध हुआ और चौथे दिन हमारी सेना ने मोर्चा मार लिया तथा पाकिस्तानी चौकी पर भारत का झंडा फहरा दिया।
मोर्चा लेना (युद्ध करना)- जब तक हमारी सेना दुश्मन की सेना के साथ मोर्चा नहीं लेगी तब तक ये लोग इसी तरह की आतंकवादी गतिविधियाँ करते रहेंगे।
मोल-भाव करना (कीमत घटा-बढ़ा कर सौदा करना)- पिता जी ने समझाया था कि जब भी कुछ खरीदो मोल-भाव अवश्य कर लो।
मौका हाथ आना (अवसर आना)- जब मौका हाथ आएगा, मैं अवश्य काम पूरा करूँगा।
मौत के मुँह में जाना (जान जोखिम में डालना)- राजकुमारी को बचाने के लिए राजकुमार को मौत के मुँह में जाना पड़ा।
मौत बुलाना (खतरनाक कार्य करना)- मोटर साइकिल को तेज चलाना मौत बुलाना है।
मर मिटना (कुर्बान हो जाना)- हम तुम्हारे लिए मर मिटेंगे पर उफ-आह भी न कहेंगे।
मुठभेड़ होना (सामना होना)- हुमायूँ और शेरशाह में चौसा के निकट मुठभेड़ हो गयी।
मुफ़्त की रोटियाँ तोड़ना (बिना काम किये दूसरों का अन्न खाना)- मेरा कुछ काम भी तो करो, कब तक मुफ़्त की रोटियाँ तोड़ते रहोगे ?
मोम हो जाना (कोमल होना)- विपत्ति आने पर कठोर आदमी भी मोम हो जाता है।
मांस नोचना- (तंग करना)
मन फट जाना- (विराग होना, फीका पड़ना)
मन के लड्डू खाना- (व्यर्थ की आशा पर प्रसन्न होना)
मैदान साफ होना- (मार्ग में बाधा न होना)
मीन-मेख करना- (व्यर्थ तर्क)
मन खट्टा होना- (मन फिर जाना)
मोटा आसामी- (मालदार आदमी)
यमपुर पहुँचाना (मार डालना)- पुलिस ने चोर को मारमार कर यमपुर पहुँचा दिया।
युक्ति लड़ाना (उपाय करना)- अशोक हमेशा पैसा कमाने की युक्ति लड़ाता रहता।
यश गाना (प्रशंसा करना)- यदि आप देश के लिए अच्छे काम करेंगे तो लोग आपका यश गाएँगे।
यारी गाँठना (मित्रता करना)- पुलिस वालों से यारी गाँठना उसे महँगा पड़ा।
यश मिलना (सम्मान मिलना)- देखें, इस चुनाव में किसे यश मिलता है ?
यश मानना- (कृतज्ञ होना)
युग-युग- (बहुत दिनों तक)
युगधर्म- (समय के अनुसार चाल या व्यवहार)
युगांतर उपस्थित करना- (किसी पुरानी प्रथा को हटाकर उसके स्थान पर नई प्रथा चलाना)
रंग जमना (धाक जमना)- तुम्हारा तो कल खूब रंग जमा।
रंग बदलना (परिवर्तन होना)- जमाने का रंग बदल गया है।
रंग में भंग पड़ना (बिघ्न या बाधा पड़ना)- मीरा की शादी में कुछ असामाजिक तत्वों के आने से रंग में भंग पड़ गया।
रंग उड़ना या रंग उतरना (फीका होना)- सजा सुनते ही अपराधी के चेहरे का रंग उतर गया।
रंग चढ़ना (प्रभावित होना)- रामू पर दिल्ली के रहन-सहन का रंग चढ़ गया है। अब तो वह कान में मोबाइल लगाए फिरता है।
रंग जमाना (रौब जमाना)- नया मैनेजर सब पर अपना रंग जमा रहा है।
रंग में ढलना (किसी के प्रभाव में आना)- मनोज आवारा लड़कों के साथ रहकर उन्हीं के रंग में ढल गया है।
रंग में भंग करना (आनन्द और हंसी-ख़ुशी में विघ्न डालना)- शादी में लड़ाई करके रवि ने रंग में भंग कर दिया।
रंग उड़ना (रौनक समाप्त हो जाना)- शर्मा जी को देखते ही मदन के चेहरे का रंग उड़ गया।
रंग लाना (प्रभाव दिखाना)- 'मेहनत हमेशा रंग लाती है, इस बात को मत भूलो।'
रँगा सियार (धोखेबाज आदमी)- मैं सुमन पर विश्वास करता था पर वह तो रँगा सियार निकला, मेरा सारा पैसा लेकर भाग गया।
रफू चक्कर होना (गायब होना)- अभी तो वह लड़का यहीं बैठा था। आपको आते देख लिया होगा इसलिए लगता है कहीं रफू चक्कर हो गया।
राई से पर्वत करना या बनाना (छोटे से बड़ा होना)- शांति किसी भी बात को राई से पर्वत कर देती है।
राई का पर्वत होना (बात का बतंगड़ होना)- मुझे क्या पता कि मेरे बोलने से राई का पर्वत हो जाएगा, वर्ना मैं चुप ही रहता।
राई-काई करना (छिन्न-भिन्न करना)- पुलिस ने जरा-सी देर में सारी भीड़ को राई-काई कर दिया।
रंगे हाथों पकड़ना (अपराध करते हुए पकड़ना)- पुलिस ने चोर को रंगे हाथों पकड़ लिया।
रास्ते का काँटा (उन्नति या प्रगति में बाधक)- मोहन की कड़वी जुबान उसके रास्ते का काँटा हैं।
राह में रोड़ा पड़ना (काम में बाधा आना)- राह में तमाम रोड़े पड़ने पर साहसी लोग कभी नहीं रुकते।
रात-दिन एक करना (निरन्तर कठिन परिश्रम करना)- परीक्षा में पास होने के लिए सुरेश ने रात-दिन एक कर दी।
राम नाम सत्त हो जाना (मर जाना)- कल राजू के परदादा की राम नाम सत्त हो गई।
रामराम होना (मुलाकात होना)- सुबह-सुबह टहलने जाते समय सबसे रामराम हो जाती है।
रास्ता देखना (इन्तजार करना)- हमलोग कल आपका रास्ता देखते रहे पर न तो आप आए और न ही कोई सूचना दी।
रास्ते पर लाना (सुधारना)- महात्माजी ने अनेक पथ भ्रष्ट लोगों को रास्ते पर ला दिया है।
रुपया पानी में फेंकना (रुपया व्यर्थ खर्च करना)- खटारा कार खरीद कर राम ने रुपया पानी में फ़ेंक दिया है।
रोटी चलाना (भरण-पोषण करना)- रवि मजदूरी करके अपनी रोटी चला रहा है।
रोशनी डालना (स्पष्ट करना)- अभी आपने जो कुछ कहा था उस पर फिर से रोशनी डालिए, मैं आपकी बात समझ नहीं पाया।
रट लगाना (बार-बार एक ही बात करना)- रमा का बेटा बहुत जिद्दी है। हर चीज की रट लगाए रहता है और माँ-बाप को वह चीज दिलानी पड़ती है।
रत्ती भर (जरा-सा)- मैं उसकी बातों पर रत्ती भर भी विश्वास नहीं करता।
रफा-दफा करना (फैसला करना)- अच्छा हुआ आपने मामले को रफा-दफा कर दिया वरना खून-खच्चर हो जाता।
रहम खाना (दया करना)- उस बेचारी विधवा पर रहम खाओ और उसका कर्जा माफ कर दो।
राग अलापना (अपनी कहते जाना, दूसरे की न सुनना)- रोहन जी अपना ही राग अलापते रहते हैं किसी दूसरे की सुनते ही नहीं हैं।
रामबाण औषधि (अचूक दवा)- प्राणायाम ही समस्त रोगों की रामबाण औषध है।
रास आना (अनुकूल होना)- मुझे यह शहर रास आ गया है। अब मैं रिटायरमेंट तक यहीं रहूँगा।
रास्ता नापना (चले जाना)- तुम अपना रास्ता नापो। यहाँ तुम्हारी दाल नहीं गलेगी।
रुपया उड़ाना (धन व्यर्थ में खर्च करना)- पिता जी लाखों रुपए छोड़े थे पर राकेश ने शराब और जुए में सारा रुपया उड़ा दिया।
रुपया ऐंठना (चालाकी से धन ले लेना)- ट्रेन में जो लोग सामान बेचने आते हैं उनसे कभी कुछ मत खरीदना। घटिया सामान दिखाकर रुपये ऐंठ ले जाते हैं।
रुपया बरसना (खूब धन प्राप्त होना)- भगवान की कृपा से सेठ जी के धंधे में रुपया बरस रहा है।
रूह काँपना (बहुत डरना)- अँधेरे में श्मशान पर जाने की बात सोचकर ही मेरी तो रूह काँपने लगती है।
रोंगटे खड़े होना (भय, शोक, हर्ष आदि के कारण रोमांचित होना)- रात को डर के मारे मेरी पत्नी के रोंगटे खड़े हो गए।
रोजी चलना (जीविका का निर्वाह होना)- इस महँगाई में रोजी चलना भी दूभर हो गया है।
रोटियाँ तोड़ना (किसी के यहाँ उसकी कृपा पर जीवन वसर करना)- कब तक ससुराल में मुफ़्त की रोटियाँ तोड़ते रहोगे? जाकर कहीं काम-धंधे की तलाश क्यों नहीं करते?
रोड़ा अटकना/अटकाना (विघ्न पड़ना/डालना)- मेरा काम बनने ही वाला था कि उस क्लर्क ने रिश्वत के लालच में रोड़ा अटका दिया।
रोब में आना (दूसरे के प्रभाव में आना)- जाकर किसी और को धमकाना, यहाँ तुम्हारे रोब में कोई आनेवाला नहीं।
रक्त चूसना (संपत्ति हरण करना)- उसने उसके साथ रहकर उसका रक्त चूस लिया।
रक्तपात मचाना (मार-काट करना)- महाभारत-युद्ध में बड़ा ही रक्तपात मचा।
रस लेना (आनंद लेना)- वे इन दिनों कवि-गोष्ठियों में रस नहीं लेते।
रस्सी ढीली छोड़ना (ढील देना)- जब से उसने रस्सी ढीली छोड़ दी, तब से उसका लड़का बिगड़ गया।
राग-रंग में रहना (ऐश में रहना)- इन दिनों राजनीतिज्ञ ही राग-रंग में रहते हैं।
रूई की तरह धुन डालना (खूब पीटना)- अगर बदमाशी करोगे तो रूई की तरह धुन दिये जाओगे।
रेल-पेल होना (भीड़-भड़क्का होना)- जहाँ रेल-पेल हो, वहाँ मैं जाता नहीं।
रौनक जाती रहना (कांति समाप्त हो जाना)- बीमारी के कारण उसके चेहरे की रौनक जाती रही।
रसातल को पहुँचना (बर्बाद करना)- यदि मुझसे भिड़ोगे, तो रसातल को पहुँचा दूँगा।
रीढ़ टूटना- (आधार समाप्त होना)
रोना रोना- (दुखड़ा सुनाना)