Muhavare(Idioms)(मुहावरे)


(शरीर के अंगो पर मुहावरे)

(1) ('आँख' पर मुहावरे)

आँख या आँखों का तेल निकालना (महीन काम करना जिससे आँखों पर बहुत जोर पड़े)- दिन भर सुई में धागा पिरोते-पिरोते मेरी आँखों आँखों का तेल निकल गया।

आँख-कान खुले रखना (बहुत सर्तक रहना)- आजकल तो हमें हर जगह अपने आँख-कान खुले रखने चाहिए, वरना कोई भी दुर्घटना घट सकती हैं।

आँख का पानी गिरना या आँख का पानी मर जाना (निर्लज्ज होना)- राजू की आँख का पानी मर गया हैं, वह तो अपने पिता के सामने भी बीड़ी पीता हैं।

आँखों की पट्टी खुलना (भ्रम दूर होना)- प्रेम के आँख की पट्टी तब खुली जब ठग उसे ठगकर चला गया।

आँखें निकालना (क्रोधपूर्वक देखना)- अरे मित्र! फूल मत तोड़ो, माली आँखें निकाल रहा हैं।

आँखें नीची होना (लज्जित होना)- जब पुत्र चोरी के जुर्म में पकड़ा गया तो पिता की आँखें नीची हो गई।

आँखें फाड़ कर देखना (आश्चर्य से देखना)- अरे मित्र! आँखें फाड़कर क्या देख रहे हो, ये तुम्हारा ही घर हैं।

आँखें बंद होना (मर जाना)- थोड़ी-सी बीमारी के बाद ही उसकी आँखें बन्द हो गई।

आँखें बिछाना (प्रेम से स्वागत करना)- जब प्रधानमंत्री आए तो स्कूल में सबने आँखें बिछा दीं।

आँखें मूँदकर रखना (बिना सोचे-समझे करना)- अध्यापक ने बच्चों से कहा कि हमें कोई काम आँख मूँदकर नहीं करना चाहिए।

आँखों में चुभना (बुरा लगना)- मैंने मित्र से कहा कि मित्र, ये रंग आँखों में चुभ रहा हैं, तुम दूसरे रंग की शर्ट पहन लो।

आँखें खुलना (होश आना, सावधान होना)- जनजागरण से हमारे शासकों की आँखें अब खुलने लगी हैं।

आँखें चार होना (आमने-सामने होना)- जब आँखें चार होती है, मुहब्बत हो ही जाती है।

आँखें मूँदना (मर जाना)- आज सबेरे उसके पिता ने आँखें मूँद ली।

आँखें चुराना (नजर बचाना, अपने को छिपाना)- मुझे देखते ही वह आँखें चुराने लगा।

आँखों में खून उतरना (अधिक क्रोध करना)- बेटे के कुकर्म की बात सुनकर पिता की आँखों में खून उतर आया।

आँखों में गड़ना (किसी वस्तु को पाने की उत्कट लालसा)- उसकी कलम मेरी आँखों में गड़ गयी है।

आँखें फेर लेना (उदासीन हो जाना)- मतलब निकल जाने के बाद उसने मेरी ओर से बिलकुल आँखें फेर ली है।

आँख मारना (इशारा करना)- उसने आँख मारकर मुझे बुलाया।

आँखों में धूल झोंकना (धोखा देना)- वह बड़ों-बड़ों की आँखों में धूल झोंक सकता है।

आँखें बिछाना (प्रेम से स्वागत करना)- मैंने उनके लिए अपनी आँखें बिछा दीं।

आँखों का काँटा होना (शत्रु होना)- वह मेरी आँखों का काँटा हो रहा है।

आँखों में पानी होना (शर्म-लिहाज होना)- रमेश की आँखों में पानी होता तो वह सबके सामने बड़े भाई का अनादर न करता।

आँखों में समाना (हमेशा ध्यान में रहना)- मुरली मनोहर श्याम तो मीराबाई की आँखों में समाए हुए थे।

आँखों से अंगारे/आग बरसना (अत्यधिक क्रोध आना)- जब रावण ने सीता का हरण कर लिया तो श्री राम की आँखों से अंगारे बरसने लगे थे।

आँखों से उतरना (मूल्य या सम्मान कम होना)- जब से विवेक ने अपने पिता को जवाब दिया हैं तब से रामू उनकी आँखों से उतर गया हैं।

आँखों से चिनगारियाँ निकलना (गुस्से या क्रोध से आँखें लाल होना)- जब रोहन ने मुझसे अपशब्द कहे तो मेरी आँखों से चिनगारियाँ निकलने लगी।

आँखों में सरसों फूलना (हरियाली ही हरियाली दिखाई देना अथवा मन उल्लास से भरना)- जब राहुल की लॉटरी खुल गई तो उसकी आँखों में सरसों फूलने लगी।

आँखों से परदा हटना (असलियत का पता लगना)- जब मुझे यह ज्ञात हुआ कि सादा ढंग से रहने वाला शेखर अमीर हैं तो मेरी आँखों से परदा हट गया।

आँखों पर बिठाना (बहुत आदर-सत्कार करना)- जब मोहन के घर कोई मेहमान आता हैं तो वह उसे आँखों पर बिठाकर रखता हैं।

आँखें आना (आँखों में लाली/सूजन आ जाना)- मेरी आँखें आ गई हैं इसलिए मैंने काला चश्मा लगा रखा है।

आँख उठाना (नुकसान करने की कोशिश करना)- यदि तुम्हारी ओर किसी ने आँख भी उठाई तो मैं उसे छोड़ूँगा नहीं।

आँख-कान खुले रखना (सतर्क रहना)- यहाँ यह पता करना कठिन है कि कौन मित्र है और कौन शत्रु। अतः हमेशा आँख-कान खुले रखो।

आँखें पथरा जाना (राह देखते-देखते थक जाना)- कृष्ण के लौटकर आने की प्रतीक्षा में गोपियों की आँखें पथरा गई।

आँखों पर पर्दा पड़ना (भले-बुरे की पहचान न होना)- क्या तुम्हारी आँखों पर पर्दा पड़ा है जो तुम्हें यह भी दिखाई नहीं देता कि तुम्हारा बेटा आजकल क्या गुल खिला रहा है ?

आँखों में घर करना (मन में जगह बना लेना)- अच्छे बच्चे सभी अध्यापकों की आँखों में घर कर लेते हैं।

आँखों में चर्बी छाना (घमंड में चूर होना)- रिश्वत और बेईमानी का पैसा उसे क्या मिला है, उसकी आँखों में तो चर्बी चढ़ गई है।

आँख लगना (प्रेम करना, जरा-सी नींद आना)- आँख लगी ही थी कि अचानक फोन की घंटी सुनकर वह उठ बैठा।

आँखों में रात काटना (चिंता/कष्ट के कारण सो न पाना)- पूनम के पति को पुलिसवाले न जाने क्यों थाने ले गए। वह रात भर नहीं लौटा, बेचारी पूनम की तो सारी रात आँखों में ही कटी।

आँखों में धूल झोंकना (धोखा देना)- चोर पुलिसवाले की आँखों में धूल झोंककर गायब हो गया।

आँख दिखाना (क्रोध करना)- मुझे क्यों आँखें दिखा रहे हो, मैंने तो तुम्हारी शिकायत नहीं की थी ?

आँखें ठंढी होना- (इच्छा पूरी होना)

आँखें लड़ना- (देखादेखी होना, प्रेम होना)

आँखें लाल करना- (क्रोध की नजर से देखना)

आँखें थकना- (प्रतीक्षा में निराश होना)

आँखों में खटकना- (बुरा लगना)

आँखें नीली-पीली करना- (नाराज होना)

आँख का अंधा, गाँठ का पूरा- (मूर्ख धनवान)

आँखों की किरकिरी होना- (शत्रु होना)

आँखों का प्यारा या पुतली होना- (बहुत प्यारा होना)

आँखों का पानी ढल जाना- (लज्जारहित हो जाना)

आँखें सेंकना- (किसी की सुन्दरता देख आँखें जुड़ाना)

आँखें गड़ाना- (दिल लगाना, इच्छा करना)

आँख फड़कना- (सगुन उचरना)

आँख रखना- (ध्यान रखना)

आँख में पानी रखना- (मुरौवत रखना)

(2) (अँगूठा पर मुहावरे)

अँगूठा चूमना (खुशामद करना)- साहित्यिक भी जब शासकों का अँगूठा चूमते हैं, तो बड़ा दुःख होता है।

अँगूठा दिखाना (मौके पर धोखा देना)- चालबाजों से बचकर रहो, वे अँगूठा दिखाना खूब जानते हैं।

अँगूठे पर मारना (परवाह न करना)- तुम्हारे जैसे कितनों को मैं अँगूठे पर मारता हूँ।

अँगूठा नचाना- (चिढाना)

(3) (आँसू पर मुहावरे)

आँसू पोंछना- (धीरज बँधाना)

आँसू बहाना- (खूब रोना)

आँसू पी जाना- (दुःख को छिपा लेना)

(4) (ओठ पर मुहावरे)

ओठ चाटना- (स्वाद की इच्छा रखना)

ओठ मलना- (दण्ड देना)

ओठ चबाना- (क्रोध करना)

ओठ सूखना- (प्यास लगना)

(5) (ऊँगली पर मुहावरे)

ऊँगली उठना (बदनाम करना)- भले पर कौन उँगली उठा सकता है ?

ऊँगली पकड़ते पहुँचा पकड़ना (थोड़ा झटककर अधिक झटकने का प्रयास करना)- लोभियों से सावधान रहो, वे ऊँगली पकड़कर पहुँचा पकड़ना जानते हैं।

पाँचों उँगलियाँ घी में होना (मौज-मस्ती में रहन)- वह तिकड़मी सरकारी ठीकेदार हुआ कि पाँचों उँगलियाँ घी में।

सीधी ऊँगली से घी न निकलना- (भलमनसाहत से काम न होना)

कानों में ऊँगली देना- (किसी बात को सुनने की चेष्टा न करना)

(6) ('कान' पर मुहावरे)

कान खोलना (सावधान करना)- मैंने उसके कान खोल दिये। अब वह किसी के चक्कर में नहीं आयेगा।

कान खड़े होना (होशियार होना)- दुश्मनों के रंग-ढंग देखकर मेरे कान खड़े हो गये।

कान फूंकना (दीक्षा देना, बहकाना)- मोहन के कान सोहन ने फूंके थे, फिर उसने किसी की कुछ न सुनी।

कान लगाना (ध्यान देना)- उसकी बातें कान लगाने योग्य हैं।

कान भरना (पीठ-पीछे शिकायत करना)- तुम बराबर मेरे खिलाफ अफसर के कान भरते हो।

कान में तेल डालना (कुछ न सुनना)- मैं कहते-कहते थक गया, पर ये कान में तेल डाले बैठे हैं।

कान पर जूँ न रेंगना (ध्यान न देना, अनसुनी करना)- सरकार तो बड़ी-बड़ी बातें कहती है, मगर अफसरों के कान पर जूँ नहीं रेंगती।

कान काटना (बढ़कर काम करना)- उसे छोटा न समझो, भाषण देने में तो वह बड़े-बड़ों के कान काटता है।

कान देना (ध्यान देना)- शिक्षकों की बातों पर कान दीजिए।

कान पकना (व्यर्थ बकवास सुनते रहने से चिढ)- किसी व्रत पर जब चारों ओर लाउडस्पीकरों पर बेसुरा अष्टयाम कीर्तन होता है, तो शहर-बस्ती के हम-आप भलेमानसों की क्या बात; सात लोक पार बैठे परमात्मा के भी कान पक जाते हैं।

कान पकड़ना (अनुचित न करने की प्रतिज्ञा करना)- अब से मैं कान ऐंठता हूँ कि कभी ऐसी गुस्ताखी न करूँगा।

कान उमेठना- (शपथ लेना)

कानों कान खबर होना- (बात फैलना)

(7) (कलेजा पर मुहावरे)

कलेजा निकाल कर रख देना (हृदय की बात कहना)- 'प्रणय-पत्रिका' के एक-एक गीत में बच्चन ने अपनी कल्पित प्रेयसी के प्रति कलेजा निकालकर रख दिया है।

कलेजा ठंढा होना (डाह पूरा होने पर संतोष)- कुणाल के अंधा भिखारी होने पर उसका कलेजा ठंडा हुआ।

कलेजा काढ़ना (प्रिय वस्तु का चला जाना)- उसने मेरी पांडुलिपि क्या खो दी, मेरा कलेजा काढ़ लिया।

कलेजा फटना (ईर्ष्या होना)- मुझे क्या सरकारी नौकरी मिल गयी कि मेरे एक घरवारी सहयोगी का कलेजा ही फटने लगा।

कलेजा टूक-टूक होना (हृदय पर गहरा आघात पहुँचना)- नृप हरिश्चंद्र की विपत्तियों को देखकर किसका कलेजा टूक-टूक नहीं होता ?

कलेजा मुँह को आना (अत्यंत आतुरता)- उसकी बीमारी देखकर कलेजा मुँह को आता है।

कलेजे पर साँप लोटना (किसी की उन्नति याद कर जलन होना)- राम के राज्याभिषेक की खबर पर कैकयी की दासी मंथरा तक के कलेजे पर साँप लोटने लगा।

कलेजे पर पत्थर रखना (दिल मजबूत करना)- छोटे भाई विभीषण की दगाबाजी पर रावण ने कलेजे पर पत्थर रख लिया, इसके सिवा उसके पास चारा ही क्या था।

कलेजा चीरकर दिखाना (पूर्ण विश्र्वास दिलाना)- तुम्हीं मेरे सब कुछ हो, यह मैं कलेजा चीरकर दिखा सकता हूँ।

कलेजे से लगाना- (प्यार करना, छाती से चिपका लेना)

कलेजा काँपना- (डरना)

कलेजा थामकर रह जाना- (अफसोस कर रह जाना)