निरंजन- सुमित ! तुम अपनी साइकिल बहुत तेज चलाते हो। स्कूल जाते समय तुम्हें साइकिल चलाता हुआ देखकर मुझे डर लगता है।
सुमित- अरे मित्र! इसमें डरने की क्या बात है?
निरंजन- लगता है आजकल तुम समाचार नहीं देखते या सुनते हो। तुम्हें पता है सुबह के समय ही अधिक दुर्घटनाएँ होती हैं।
सुमित- हाँ मैंने सुना था।
निरंजन- तेज गति से वाहन चलाने और यातायात के नियमों का पालन न करने के कारण अधिक दुर्घटनाएँ होती हैं।
सुमित- हाँ मित्र तुम ठीक कहते हो। मुझे भी इस बारे में सतर्क रहना चाहिए।
निरंजन- आगे से इस बात का जरूर ध्यान रखना कि सड़क पर कभी भी तेज साइकिल मत चलाना।
सुमित- ठीक है मित्र!
अनिल- अरे विजय! तुम्हारा पेपर कैसा हुआ?
विजय- पहले तुम बताओ कि तुम्हारा पेपर कैसा हुआ?
अनिल- मेरा पेपर अच्छा हुआ। मुझे सारे सवाल आते थे। अब, तुम बताओ।
विजय- क्या बताऊँ? मेरा गणित विषय का पेपर कभी अच्छा होता ही नहीं।
अनिल- क्यों? प्रश्न-पत्र तो आसान था।
विजय- पता नहीं। मुझे गणित विषय से बहुत डर लगता है।
अनिल- तुम गणित को समझ कर नियमित अभ्यास किया करो। फिर देखना, तुम्हारा सारा डर खुद ही दूर हो जाएगा।
विजय- क्या इस क्रम में तुम मेरी सहायता करोगे?
अनिल- यह भी कोई कहने की बात है? मैं तुम्हारी हर संभव सहायता करूँगा।
विजय- तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद।
सुजाता- अल्पना मैडम! आपको नहीं लगता कि बच्चों में शिक्षा के प्रति रुझान सामान्य रूप से कम होता जा रहा है।
अल्पना- हाँ, आपकी बात काफी हद तक सही है। इसका मुख्य कारण बच्चों की टेलीविजन, मोबाइल एवं कंम्प्यूटर में बढ़ती दिलचस्पी है।
सुजाता- मुझे भी लगता है कि इन साधनों का उपयोग बच्चे केवल मनोरंजन के लिए करते हैं।
अल्पना- हाँ, बच्चों को इन साधनों की इतनी अधिक लत लग गई है, जिससे वे पढ़ाई की ओर ध्यान नहीं देते।
सुजाता- यह बहुत ही चिंता का विषय है। हमें इसका कोई न कोई हल अवश्य निकालना होगा।
अल्पना- बिलकुल सही कहा आपने।
प्रतीक- रमन! एक बात से मेरा मन बहुत दुःखी हो गया।
रमन- दोस्त! किस बात से तुम दुःखी हो गए?
प्रतीक- कल मैंने जगह-जगह पर लोगों को ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन करते हुए देखा।
रमन- यह कौन-सी नई बात है? यह सब तो चलता रहता है।
प्रतीक- यही सोच तो बदलनी है। नियमों का उल्लंघन करके, हमें अपने साथ-साथ दूसरे लोगों के जीवन को भी संकट में डालने का कोई हक नहीं है।
रमन- वास्तव में, अपने देशवासियों की सोच बदलना, उनसे नियमों का पालन करवाना बहुत मुश्किल है, किंतु असंभव नहीं है। हमें लोगों को जागरूक करना होगा।
प्रतीक- तुम ठीक कहते हो। इसके लिए हमें कुछ और लोगों को भी साथ लेकर एक संगठन बनाना होगा।
अनीता- रमा बहन, कहाँ से चली आ रही हो?
रमा- बहन, बाजार से आ रही हूँ। रोज दिन-प्रतिदिन दैनिक उपयोग की वस्तुओं के दाम आसमान छू रहे है।
अनीता- महँगाई से सब बेहाल हैं।
रमा- हाँ बहन, तुम ठीक कहती हो। घर का बजट बढ़ता ही जा रहा है। समझ में नहीं आता, कैसे इस महँगाई से निपटा जाए?
अनीता- हम भला क्या कर सकते है? सरकार की निष्क्रियता से ही दिन-प्रतिदिन महँगाई बढ़ती जा रही है।
रमा- हाँ! लगता है कि महँगाई की सबसे अधिक मार मध्यम वर्ग पर पड़ रही है।
अनीता- ऐसी बात नहीं है। निम्न वर्ग के लोगों की स्थिति हमसे भी अधिक दयनीय है।
रमा- पता नहीं, इस महँगाई में आगे क्या होगा।
आलोक- सौरभ! तुमने आज का अख़बार पढ़ा कि किस प्रकार हमारे देश में डेंगू का खतरा बढ़ता जा रहा है।
सौरभ- हाँ मित्र मैंने पढ़ा। आए दिन डेंगू के कारण मरने वाले लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है।
आलोक- डेंगू ने तो सभी लोगों के दिलों में खौफ बैठा दिया है।
सौरभ- मैंने न्यूज चैनल पर देखा, अस्पतालों में तो मरीजों की हालत बहुत खराब है, वहाँ एक बैड पर दो-दो मरीजों को रखा जा रहा है।
आलोक- यह तो बहुत चिंताजनक स्थिति है। इस प्रकार मरीजों का इलाज कैसे संभव है।
सौरभ- बिलकुल सही कह रहे हो, सरकार को ही इस दिशा में उचित कदम उठाने चाहिए।
आलोक- हाँ, मित्र! जागरूकता और उचित समाधान ही हमारे देश को इस बीमारी से छुटकारा दिला सकते हैं।
जयंत- बधाई हो मित्र! दसवीं कक्षा में शत-प्रतिशत अंक लाकर तुमने कमाल कर दिया।
किशोर- धन्यवाद, यह सब तो माता-पिता के आशीर्वाद तथा तुम जैसे मित्रों की शुभकामनाओं का फल है।
जयंत- इतनी बड़ी सफलता पाकर भी तुम्हें जरा-सा घमंड नहीं है। यही आदत तुम्हें सबसे अलग और विशेष बनाती है। मेरी भगवान से प्रार्थना है कि तुम इसी तरह अपने जीवन में सफलता पाओ और अपने लक्ष्य को प्राप्त करो।
किशोर- वास्तव में, तुम मेरे सच्चे मित्र हो, जो मेरी सफलता पर इतने प्रसन्न हो। आज के समय में तुम्हारे जैसा मित्र मिलना सौभाग्य का विषय है।
जयंत- (हँसते हुए) अब बातों से ही पेट भर दोगे? सफलता की ख़ुशी में मुँह मीठा नहीं कराना है।
किशोर- हाँ, हाँ जरूर। चलो, घर चलो।
नौकर- साहब, आपने पिछले महीने कहा था कि दीपावली पर आप मेरा वेतन बढ़ा देंगे।
मालिक- अरे! अभी दो महीने पहले ही तो, तुम्हारा वेतन बढ़ाया गया था।
नौकर- हाँ साहब! लेकिन आप तो जानते ही हैं कि इस महँगाई के जमाने में इतने कम वेतन में घर चलाना कितना कठिन होता है।
मालिक- जानता हूँ, परंतु मैं इतनी जल्दी-जल्दी तुम्हारा वेतन कैसे बढ़ा सकता हूँ? मुझे भी तो अपना घर चलाना होता है।
नौकर- साहब, त्योहार के समय अतिरिक्त खर्चा होता है। इसलिए आपसे निवेदन कि इस महीने मेरा वेतन बढ़ा दीजिए।
मालिक- हाँ, मैं समझ सकता हूँ। ठीक है इस महीने मैं तुम्हें कुछ अतिरिक्त रुपये दे दूँगा, जिससे तुम्हारा खर्चा चल जाए।
नौकर- बहुत-बहुत धन्यवाद साहब।
नागरिक- सर, हमारे क्षेत्र में 'जलभराव की समस्या' बढ़ती जा रही है। अधिकांश सड़कें टूटी हुई हैं। जिनमें बारिश का पानी भर जाता है और सड़कों पर चलना मुश्किल हो जाता है।
नगरपालिका अध्यक्ष- आपने इस समस्या की शिकायत दर्ज नहीं करवाई।
नागरिक- शिकायत तो की गई थी, परंतु अभी कोई कार्यवाही नहीं हुई।
नगरपालिका अध्यक्ष- अच्छा! आप लिखित रूप में एक शिकायती पत्र तैयार करके उसे यहाँ जमा कर दीजिए।
नागरिक- ठीक है सर! कृपया आप इस संबंध में शीघ्र ही उचित कार्यवाही कीजिए ताकि हमें इस समस्या से छुटकारा मिले।
नगरपालिका अध्यक्ष- मैं, आज ही नगर निगम के कर्मचारियों को भेज कर इस समस्या का समाधान कराता हूँ।
नागरिक- धन्यवाद, हमारे क्षेत्र के सभी क्षेत्रवासी आपके आभारी रहेंगे।
सहयात्री- भाई साहब! जरा सँभलकर उतरिए।
आप- जी महोदय, लेकिन मुझे थोड़ी जल्दी है।
सहयात्री- (गुस्से से) जल्दी तो सभी को है, मुझे भी है। लेकिन आपकी जल्दीबाजी के कारण आपने मुझे धक्का देकर मेरा सामान गिरा दिया। अरे! मेरा सामान पकड़ों......।
आप- माफ कीजिए, मेरा इरादा आपका सामान गिराकर आपको कष्ट पहुँचाना नहीं था।
सहयात्री- वह तो ठीक है, भाई साहब। पहले सामान उठाने में मेरी मदद तो कीजिए।
आप- जी, अवश्य। (सामान उठाकर सहयात्री को देते हुए) यह लीजिए अपना सामान। मेरे कारण हुए असुविधा के लिए मैं पुनः आपसे माफी माँगता हूँ।
सहयात्री- समझ सकता हूँ कि आपने जान-बूझकर ऐसा नहीं किया और फिर आपने मेरी सहायता भी की। इसके लिए आपका धन्यवाद।
राघव- पिताजी! आपको यह जानकर बहुत गर्व होगा कि मैंने इस वर्ष की परीक्षा में प्रथम स्थान अर्जित किया है।
पिताजी- अरे वाह! ये तो मेरे लिए सचमुच में बड़े ही गर्व की बात है।
राघव- आप जानते हैं पिताजी, मुझे इस बार दिल्ली के मुख्यमंत्री के हाथों से पुरस्कार प्रदान किया जाएगा।
पिताजी- हाँ, ये तो मैंने कल के अख़बार में पढ़ा था।
राघव- क्या पढ़ा था, पिताजी?
पिताजी- यही कि बोर्ड परीक्षा में अव्वल दर्जा हासिल किए गए छात्र को माननीय मुख्यमंत्री द्वारा पुरस्कृत किया जाएगा।
राघव- हमारे विद्यालय के प्रधानाचार्य द्वारा आपको एनुअल 'डे' पर आमंत्रित भी किया गया है। आप आएँगे न?
पिताजी- हाँ बेटा! मेरे लिए यह बहुत गर्व की बात है और मैं तुम्हारे विद्यालय में आयोजित एनुअल 'डे' पर अवश्य ही आऊँगा।
हिना- माँ, उधर देखो! कितना कचरा जमा पड़ा है।
माँ- हाँ बेटी! इसी कचरे को साफ करने के लिए वर्तमान प्रधानमंत्री ने स्वच्छ्ता अभियान चलाया है।
हिना- स्वच्छ्ता अभियान से क्या हमारा मोहल्ला साफ-सफाई वाला हो जाएगा?
माँ- हाँ, बेटी! स्वच्छ्ता अभियान में तुमको, मुझे और समस्त मोहल्लेवासियों को भाग लेना पड़ेगा।
हिना- किस तरह का भाग माँ?
माँ- बेटी, हमें जहाँ कहीं भी गंदगी मिले उसे तुरंत साफ करना होगा। हमें अपने आस-पास के लोगों को स्वच्छ्ता के विषय से अवगत कराना होगा....... और ......।
हिना- ...... और माँ हमें जगह-जगह पर रखे हुए कूड़ेदान का प्रयोग करना होगा।
माँ- हाँ बेटी! अब तुम भी ये बात समझ गई हो। तुम भी अपने दोस्तों को स्वच्छ्ता के विषय से अवगत कराओ और स्वच्छ माहौल बनाने में अपनी भागीदारी निभाओ।