(4)गणनावाचक तद्धित प्रत्यय- संख्या का बोध कराने वाले प्रत्यय गणनावाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते है।
गणनावाचक तद्धित प्रत्यय
संज्ञा-पदों के अंत में ला, रा, था, वाँ, हरा इत्यादि प्रत्यय लगाकर गणनावाचक तद्धितान्त संज्ञाए बनती है।
| प्रत्यय | गणनावाचक संज्ञाएँ |
|---|---|
| ला | पहला |
| रा | दूसरा, तीसरा |
| था | चौथा |
| वाँ | सातवाँ, आठवाँ |
| हरा | दुहरा, तिहरा |
(5)गुणवाचक तद्धित प्रत्यय- गुण का बोध कराने वाले प्रत्यय गुणवाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।
संज्ञा के अन्त में आ, इत, ई, ईय, ईला, वान इन प्रत्ययों को लगाकर गुणवाचक संज्ञाएँ बनायी जाती हैं। जैसे-
| प्रत्यय | संज्ञा-विशेषण | गुणवाचक संज्ञाएँ |
|---|---|---|
| आ | ठंड, प्यास, भूख | ठंडा, प्यासा, भूखा |
| इत | पुष्प, आनंद, क्रोध | पुष्पित, आनंदित, क्रोधित |
| ई | क्रोध, जंगल, भार | क्रोधी, जंगली, भारी |
| ईय | भारत, अनुकरण, रमण | भारतीय, अनुकरणीय, रमणीय |
| ईला | चमक, भड़क, रंग | चमकीला, भड़कीला, रंगीला |
| वान | गुण, धन, रूप | गुणवान, धनवान, रूपवान |
(6)स्थानवाचक तद्धित प्रत्यय- स्थान का बोध कराने वाले प्रत्यय स्थानवाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।
संज्ञा के अन्त में ई, वाला, इया, तिया इन प्रत्ययों को लगाकर स्थानवाचक संज्ञाएँ बनायी जाती हैं। जैसे-
| प्रत्यय | संज्ञा-विशेषण | स्थानवाचक संज्ञाएँ |
|---|---|---|
| ई | जर्मन, गुजरात, बंगाल | जर्मनी, गुजराती, बंगाली |
| वाला | दिल्ली, बनारस, सूरत | दिल्लीवाला, बनारसवाला, सूरतवाला |
| इया | मुंबई, जयपुर, नागपुर | मुंबइया, जयपुरिया, नागपुरिया |
| तिया | कलकत्ता, तिरहुत | कलकतिया, तिरहुतिया |
(7)ऊनवाचक तद्धित-प्रत्यय-ऊनवाचक संज्ञाएँ से वस्तु की लघुता, प्रियता, हीनता इत्यादि के भाव व्यक्त होता हैं।
ऊनवाचक तद्धितान्त संज्ञाए
संज्ञा के अन्त में आ, इया, ई, ओला, क, की, टा, टी, ड़ा, ड़ी, री, ली, वा, सा इन प्रत्ययों को लगाकर ऊनवाचक संज्ञाएँ बनायी जाती हैं। जैसे-
| प्रत्यय | संज्ञा-विशेषण | ऊनवाचक संज्ञाएँ |
|---|---|---|
| आ | ठाकुर | ठकुरा |
| इया | खाट | खटिया |
| ई | ढोलक | ढोलकी |
| ओला | साँप | सँपोला |
| क | ढोल | ढोलक |
| की | कन | कनकी |
| टा | चोर | चोट्टा |
| टी | बहू | बहुटी |
| ड़ा | बाछा | बछड़ा |
| ड़ी | टाँग | टँगड़ी |
| री | कोठा | कोठरी |
| ली | टीका | टिकली |
| वा | बच्चा | बचवा |
| सा | मरा | मरा-सा |
(8)सादृश्यवाचक तद्धित प्रत्यय- समता/समानता का बोध कराने वाले प्रत्यय सादृश्यवाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं।
सादृश्यवाचक तद्धित प्रत्यय
संज्ञा के अन्त में सा हरा इत्यादि इन प्रत्ययों को लगाकर सादृश्यवाचक संज्ञाएँ बनायी जाती हैं। जैसे-
| प्रत्यय | संज्ञा-विशेषण | सादृश्यवाचक संज्ञाएँ |
|---|---|---|
| सा | लाल, हरा | लाल-सा, हरा-सा |
| हरा | सोना | सुनहरा |
संज्ञा के अन्त में आ, आना, आर, आल, ई, ईला, उआ, ऊ, एरा, एड़ी, ऐल, ओं, वाला, वी, वाँ, वंत, हर, हरा, हला, हा इत्यादि तद्धित-प्रत्यय लगाकर विशेषण बनते हैं। उदाहरण निम्नलिखित हैं-
| प्रत्यय | संज्ञा | विशेषण |
|---|---|---|
| आ | भूख | भूखा |
| आना | हिन्दू | हिन्दुआना |
| आर | दूध | दुधार |
| आल | दया | दयाल |
| ई | देहात | देहाती |
| ऊ | बाजार | बाजारू |
| एरा | चाचा | चचेरा |
| एरा | मामा | ममेरा |
| हा | भूत | भुतहा |
| हरा | सोना | सुनहरा |
संस्कृत के तद्धित-प्रत्ययों से बने जो शब्द हिन्दी में विशेषतया प्रचलित हैं, उनके आधार पर संस्कृत के ये तद्धित-प्रत्यय हैं- अ, अक आयन, इक, इत, ई, ईन, क, अंश, म, तन, त, ता, त्य, त्र, त्व, था, दा, धा, निष्ठ, मान्, मय, मी, य, र, ल, लु, वान्, वी, श, सात् इत्यादि।
शब्दांश भी तद्धित-प्रत्ययों के रूप में प्रयुक्त होते हैं। ये शब्दांश समास के पद है; जैसे- अतीत, अनुरूप, अनुसार, अर्थ, अर्थी, आतुर, आकुल, आढ़य, जन्य, शाली, हीन इत्यादि।
अर्थ के अनुसार इन प्रत्ययों के प्रयोग के उदाहरण इस प्रकार हैं-
| प्रत्यय | संज्ञा-विशेषण | तद्धितान्त | वाचक |
|---|---|---|---|
| अ | कुरु | कौरव | अपत्य |
| अ | शिव | शौव | संबंध |
| अ | निशा | नैश | गुण, सम्बन्ध |
| अ | मुनि | मौन | भाव |
| आयन | राम | रामायण | स्थान | इक | तर्क | तार्किक | जानेवाला |
| इत | पुष्प | पुष्पित | गुण |
| ई | पक्ष | पक्षी | गुण |
| ईन | कुल | कुलीन | गुण |
| क | बाल | बालक | उन |
| अंश | तः | अंशतः | रीति |
| अंश | जन | जनता | समाहर |
| म | मध्य | मध्यम | गुण |
| तन | अद्य | अद्यतन | काल-सम्बन्ध |
| तः | अंश | अंशतः | रीति |
| ता | लघु | लघुता | भाव |
| ता | जन | जनता | समाहार |
| त्य | पश्र्चा | पाश्र्चात्य | सम्बन्ध |
| त्र | अन्य | अन्यत्र | स्थान |
| त्व | गुरु | गुरुत्व | भाव |
| था | अन्य | अन्यथा | रीति |
| दा | सर्व | सर्वदा | काल |
| धा | शत | शतधा | प्रकार |
| निष्ठ | कर्म | कर्मनिष्ठ | कर्तृ, सम्बन्ध |
| म | मध्य | मध्यम | गुण |
| मान् | बुद्धि | बुद्धिमान् | गुण |
| मय | काष्ठ | काष्ठमय | विकार |
| मय | जल | जलमय | व्याप्ति |
| मी | वाक् | वाग्मी | कर्तृ |
| य | मधुर | माधुर्य | भाव |
| य | दिति | दैत्य | अपत्य |
| य | ग्राम | ग्राम्य | सम्बन्ध |
| र | मधु | मधुर | गुण |
| ल | वत्स | वत्सल | गुण |
| लु | निद्रा | निद्रालु | गुण |
| वान् | धन | धनवान् | गुण |
| वी | माया | मायावी | गुण |
| श | रोम | रोमेश | गुण |
| श | कर्क | कर्कश | स्वभाव |
| सात् | भस्म | भस्मसात् | विकार |