Lokokti (proverbs) लोकोक्तियाँ


( क )

कहाँ राजा भोज कहाँ गाँगू तेली= (उच्च और साधारण की तुलना कैसी)
प्रयोग- तुम सेठ करोड़ीमल के बेटे हो। मैं एक मजदूर का बेटा। तुम्हारा और मेरा मेल कैसा ? कहाँ राजा भोज कहाँ गाँगू तेली।

कंगाली में आटा गीला= (परेशानी पर परेशानी आना)
प्रयोग- पिता जी की बीमारी की वजह से घर में वैसे ही आर्थिक तंगी चल रही है, ऊपर से बच्चों की पढ़ाई का खर्च भी बढ़ गया। इसे कहते हैं- कंगाली में आटा गीला।

कोयले की दलाली में मुँह काला= (बुरों के साथ बुराई ही मिलती है)
प्रयोग- तुम्हें हजार बार समझाया चोरी मत करो, एक दिन पकड़े जाओगे। अब भुगतो। कोयले की दलाली में हमेशा मुँह काला ही होता है।

कहीं की ईट कहीं का रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ा= (बेमेल वस्तुओं को एक जगह एकत्र करना)
प्रयोग- शर्मा जी ने ऐसी किताब लिखी है कि किताब में कहीं कुछ मेल नहीं खाता। उन्होंने तो वही हाल किया है- 'कहीं की ईट कहीं का रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ा'।

काला अक्षर भैंस बराबर= (बिल्कुल अनपढ़ व्यक्ति)
प्रयोग- कालू तो अख़बार भी नहीं पढ़ सकता, वह तो काला अक्षर भैंस बराबर है।

कभी घी घना, कभी मुट्ठी चना= (जो मिल जाए उसी में संतुष्ट रहना)
प्रयोग- वह सच्चा साधु है; जो कुछ पाता है वही खाकर संतुष्ट हो जाता है- कभी घी घना, कभी मुट्ठी चना।

करे कोई, भरे कोई= (अपराध कोई करे, दण्ड किसी और को मिले)
प्रयोग- चोरी रामू ने की और पकड़ा गया राजू। इसी को कहते हैं- 'करे कोई, भरे कोई'।

कागा चले हंस की चाल= (गुणहीन व्यक्ति का गुणवान व्यक्ति की भांति व्यवहार करना)
प्रयोग- राजू गँवार है, परन्तु जब सूटबूट पहन कर निकलता है तो जैंटलमैन लगता है। इसी को कहते हैं- 'कागा चले हंस की चाल'।

काम को काम सिखाता है= (कोई भी काम करने से ही आता है।)
प्रयोग- मित्र, तुम क्यों चिन्ता करते हो- सब सीख जाओगे। कहावत भी मशहूर है- 'काम को काम सिखाता है'कै हंसा मोती चुगे, कै लंघन मर जाय

कुत्ता भी अपनी गली में शेर होता है= (अपने घर में निर्बल भी बलवान या बहादुर होता है।)
प्रयोग- जब रवि ने कालू को अपनी गली में मारा तो उसने कहा कि कुत्ता भी अपनी गली में शेर होता है, तू मेरे मोहल्ले में आना।

कुत्तों के भौंकने से हाथी नहीं डरते= (विद्वान लोग मूर्खों और ओछों की बातों की परवाह नहीं करते)
प्रयोग- लोगों ने गाँधीजी की कटु आलोचनाएँ कीं, पर वे अपने सिद्धांत पर अटल रहे, डरे नहीं। कहावत भी है- ' कुत्तों के भौंकने से हाथी नहीं डरते'।

कै हंसा मोती चुगे, कै लंघन मर जाय= (प्रतिष्ठित और विद्वान व्यक्ति अपने अनुकूल प्रतिष्ठा के साथ ही जाना ठीक समझता है।)
प्रयोग- रवि ने माता-पिता से कहा कि वह एम.ए. करके चपरासी की नौकरी नहीं करेगा- 'कै हंसा मोती चुगे, कै लंघन मर जाय'।

कुत्ता भी दम हिलाकर बैठता है= (सफाई सबको पसन्द होती है)
प्रयोग- तुम्हारी कुर्सी पर कितनी धूल जमी है। कैसे आदमी हो तुम,कुत्ता भी दुम हिलाकर बैठता है।

कोयले की दलाली में हाथ काले= (बुरी संगत का बुरा असर)
प्रयोग- कालू बुरी संगत में पड़ गया है, सब कहते हैं कि यह बुरी संगत छोड़ दे, क्योंकि कोयले की दलाली में हाथ काले हो ही जाते हैं।

कबहुँ निरामिष होय न कागा= (दुष्ट अपनी दुष्टता नहीं छोड़ता)
प्रयोग- रमन ने कहा था कि यह इंजीनियर उसका जानने वाला है अतः बिना कुछ लिए दिए नक्शा पास कर देगा पर वह तो पचास हजार माँग रहा है। मुझे तो अब इस कहावत पर विश्वास हो गया है कि 'कबहुँ निरामिष होय न कागा'।

काठ की हाँड़ी बार-बार नहीं चढ़ती= (चालाकी से एक ही बार काम निकलता है)
प्रयोग- एक बार तो मुझसे झूठ बोल कर कर्जा ले गए लेकिन हर बार तुम मुझे मुर्ख नहीं बना सकते। ध्यान रखो, 'काठ की हाँड़ी बार-बार नहीं चढ़ती'।

का वर्षा जब कृषि सुखाने= (समय निकल जाने पर मदद करना व्यर्थ है)
प्रयोग- मुझे रुपयों की जरूरत तो परसों थी और तुम देने आए हो आज। अब मैं इनका क्या करूँगा, अब तो प्लॉंट बुक नहीं कर सकता। अंतिम तिथि निकल गई। किसी ने सच ही कहा है कि 'का वर्षा जब कृषि सुखाने'।

कहे से धोबी गधे पर नहीं चढ़ता=(मूर्ख पर समझाने का असर नहीं होता)
प्रयोग- पूरे दिन सुशील बाँसुरी बजाता रहता है लेकिन यदि उससे कभी कोई फरमाइश करे तो नखरे करता है। किसी ने सच कहा है कि 'कहे से धोबी गधे पर नहीं चढ़ता'।

काम का न काज का, दुश्मन अनाज का= (किसी मतलब का न होना)
प्रयोग- सूरजभान कोई काम-वाम तो करता नहीं, बड़े भाई के यहाँ पड़े-पड़े टाइम पास कर रहा है। ऐसे लोग तो 'काम का न काज का, दुश्मन अनाज के' होते है।

कौड़ी न हो पास तो मेला लगे उदास= (धन के अभाव में जीवन में कोई आकर्षण नहीं)
प्रयोग- करीम मियाँ की जबसे नौकरी छूटी है, हमेशा जेब खाली रहती है। इसलिए वे कहीं आते-जाते तक नहीं। कहीं भी उनका मन नहीं लगता। किसी ने सच कहा है, 'कौड़ी न हो पास तो मेला लगे उदास'।

कबीरदास की उल्टी बानी, बरसे कंबल भींगे पानी= (उल्टी बात कहना)
प्रयोग- जब भी तुमसे कोई बात कही जाती है तो तुम कबीरदास की उल्टी बानी, बरसे कम्बल भीगे पानी वाली कहावत चरितार्थ कर देते हो।

कहे खेत की, सुने खलिहान की= (कहा कुछ गया और समझा कुछ गया)
प्रयोग- (तुम भी बिल्कुल नमूने हो, कहे खेत की, सुनते हो खलिहान की।

कर सेवा खा मेवा= (अच्छे कार्य का फल अच्छा मिलता है)
प्रयोग- सुनील ने अजय से कहा, ''मेहनत से प्रकाशन में कार्य करो तरक्की पा जाओगे'' कहावत सच है कर सेवा खा मेवा।

कब्र में पाँव लटकाए बैठा है= (मरने वाला है)
प्रयोग- वो कब्र में पाँव लटकाए बैठे हैं, लेकिन मजाक भद्दी करते हैं।

कमली ओढ़ने से फकीर नहीं होता= (ऊपरी वेशभूषा से किसी के अवगुण नहीं छिप जाते)
प्रयोग- विवेक साइकिल चोर है लेकिन सूट-बूट में रहता है। लोग उसे जानते है इसलिए उससे कतराते हैं। सच है कमली ओढ़ने से फकीर नहीं होता।

कोयला होय न उजला सौ मन साबुन धोय= (दुष्ट व्यक्ति की प्रकृति में कोई परिवर्तन नहीं होता उसे चाहे कितनी ही सीख दी जाए)
प्रयोग- संजय को मैंने बहुत समझाया कि शराब और जुआ छोड़ दे पर वह नहीं माना। सच है कोयला होय न उजला सौ मन साबुन धोय।

कुत्ते भौंकते रहते हैं और हाथी चलता जाता है= (महान व्यक्ति छोटी-सी नुक्ता-चीनी पर ध्यान नहीं देता है।)
प्रयोग- साधु महराज पर सड़क पर गुजरते समय कुछ लोग छींटाकशी कर रहे थे, लेकिन वे निरन्तर बढ़ते जा रहे। वहाँ ये कहावत चरितार्थ हो रही थी कुत्ते भौंकते रहते हैं और हाथी चलता रहता है।

कोठी वाला रोवे छप्पर वाला सोवै= (अधिक धन चिन्ता का कारण होता है)
प्रयोग- सेठ रामलाल सारी रात जागते रहते हैं, चोरों के भय से उन्हें नींद नहीं आती। सच है कोठी वाला रोवे छप्पर वाला सोवे।

कोऊ नृप होय हमें का हानी= (किसी के पद, धन या अधिकार मिलने से हम पर कोई प्रभाव नहीं होता)
प्रयोग- कांग्रेस की सरकार आए या भाजपा की इससे हमें क्या फर्क पड़ता है। हमारे लिए तो कोऊ नृप होय हमें का हानि वाली कहावत चरितार्थ होती है।

कौआ चला हंस की चाल= (दूसरों की नकल पर चलने से असलियत नहीं छिपती तथा हानि उठानी पड़ती है)
प्रयोग- छोटे से प्रेस मालिक ने बड़े प्रकाशकों की नकल करते हुए मॉडल पेपर निकाल दिए लेकिन वे नहीं बिके जिससे भारी नुकसान उठाना पड़ा। जिनके पैसे डूब गए उन्हें कहना पड़ा कौआ चला हंस की चाल।

कुएँ की मिट्टी कुएँ में ही लगती हैं= (लाभ जहाँ से होता है, वहीं खर्च हो जाता है।)
प्रयोग- आशीष की नौकरी दिल्ली में लगी वहाँ पर मकान तथा अन्य खर्चेइतने अधिक हैं कि बचत नहीं हो पाती। सच है कुएँ की मिट्टी कुएँ में ही लगती हैं।

कुंजड़ा अपने बेरों को खट्टा नहीं बताता=(कोई अपने माल को खराब नहीं कहता)
प्रयोग- सब्जी वाले बासी सब्जी को भी ताजी बताकर बेचते हैं। कहावत सच है कुंजड़ा अपने बेरों को खट्टा नहीं बताता।

किया चाहे चाकरी राखा चाहे मान= (स्वाभिमान की रक्षा नौकरी में नहीं हो सकती)
प्रयोग- सेठ ने डाँट दिया तो क्या नौकरी छोड़ दोगे, किया चाहे चाकरी राखा चाहे मान।

कखरी लरका गाँव गोहार= (वस्तु के पास होने पर दूर-दूर उसकी तलाश करना)
प्रयोग- अच्छी संगति पार्टी के लिए शर्मा जी दिल्ली तक गए, लेकिन मेरठ में ही कम पैसों में अच्छी संगीत पार्टी मिल गई, तब मित्र बोले कि कखरी लरका गाँव गोहार।

कानी के ब्याह को सौ जोखो= (पग-पग पर बाधाएँ)
प्रयोग- लोकेश के चुगली करने पर राधा का रिश्ता टूट गया, इस पर रामकली बोली, ''बड़ी मुश्किल से रिश्ता हुआ था, सच कहावत है- कानी के ब्याह को सौ जोखो।

काबुल में क्या गदहे नहीं होते= (अच्छे बुरे सभी जगह हैं।)

किसी का घर जले, कोई तापे= (दूसरे का दुःख में देखकर अपने को सुखी मानना)

( ख )

खोदा पहाड़ निकली चुहिया= (बहुत कठिन परिश्रम का थोड़ा लाभ)
प्रयोग- बच्चा बेचारा दिन भर लाल बत्ती पर अख़बार बेचता रहा, परंतु उसे कमाई मात्र बीस रुपये की हुई। यह वही बात है- खोदा पहाड़ निकली चुहिया।

खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे= (किसी बात पर लज्जित होकर क्रोध करना)
प्रयोग- दस लोगों के सामने जब मोहन की बात किसी ने नहीं सुनी, तो उसकी हालत उसी तरह हो गई ; जैसे खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे।

खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग पकड़ता है= एक को देखकर दूसरा बालक या व्यक्ति भी बिगड़ जाता है।
प्रयोग- रोहन अन्य बालकों को देखकर बिगड़ गया है। सच ही है- 'खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग पकड़ता है'।

खरी मजूरी चोखा काम= (मजदूरी के तुरन्त बाद नकद पैसे मिलना)
प्रयोग- रवि ने मालिक से कहा कि उसे अपनी मजदूरी के पैसे तुरन्त चाहिए- 'खरी मजूरी चोखा काम'।

खाली दिमाग शैतान का घर= (बेकार बैठने से तरह-तरह की खुराफातें सूझती हैं।)
प्रयोग- राजू बोला कि मैं कभी खाली नहीं रहता हूँ, क्योंकि 'खाली दिमाग शैतान का घर' होता है।

खुदा गंजे को नाख़ून न दे= (नाकाबिल को कोई अधिकार नहीं मिलना चाहिए)
प्रयोग- अशोक ने कहा कि यदि मैं तहसीलदार बन जाऊँ तो तुम्हारा चबूतरा खुदवा डालूँगा। उसके पड़ोसी ने कहा कि 'खुदा गंजे को नाख़ून न दे'।

खुशामद से ही आमद होती है= (बड़े आदमियों (धनी या बड़े पद वालों) की खुशामद करने से धन, यश और पद प्राप्त होता है।)
प्रयोग- मित्र, आजकल खुशामद करना सीखना होगा, क्योंकि 'खुशामद से ही आमद होती है।'

खूब मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी= (एक ही प्रकार के दो मनुष्यों का साथ)
प्रयोग- महेश और नरेश दोनों घनिष्ठ मित्र हैं और दोनों ही अपाहिज हैं। उन्हें देख कर गोपाल ने कहा- 'खूब मिलाई जोड़ी, एक अंधा एक कोढ़ी'।

खरा खेल फर्रुखावादी= (स्पष्टवक्ता सदा सुखी होता है)
प्रयोग- भैया, अपना तो खरा खेल फर्रुखावादी है। जो कुछ कहना होता है मुँह पर कह देता हूँ, कोई भला माने या बुरा। कम-से-कम मुझे तो अपराध बोध नहीं होता कि मैंने सच को छुपाया।

खग जाने खग ही की भाषा=(साथी की बात साथी समझ लेता है)
प्रयोग- मैं जब भी परेशान होता हूँ मेरा दोस्त विकास पता नहीं कैसे समझ लेता है। सच बात है कि 'खग जाने खग ही की भाषा'।

खून सिर चढ़कर बोलता हैै= (पाप स्वतः सामने आ जाता है)
प्रयोग- तुम चिंता मत करो। रामेश्वर धूर्त और मक्कार है और उसकी मक्कारी और धूर्तता, उसके कामों से सब लोगों के सामने आ जाएगी। कब तक इसकी काली करतूतें छुपेंगी। एक-न-एक दिन तो 'खून सिर पर चढ़कर बोलेगा'।

खेत खाए गदहा, मारा जाए जुलाहा = (अपराध करे कोई, दण्ड मिले किसी और को)
प्रयोग- जब किसी व्यक्ति के अपराध पर दण्ड किसी अन्य को मिलता है तब यह कहावत चरितार्थ होती हैं।

खाक डाले चाँद नहीं छिपता= (अच्छे आदमी की निंदा करने से कुछ नहीं बिगड़ता)
प्रयोग- महात्मा गाँधी की निंदा करना अनुचित है। खाक डाले चाँद नहीं छिपता।

खुदा की लाठी में आवाज नहीं होती= (कोई नहीं जानता कि भगवान कब, कैसे, क्यों दण्ड देता है)
प्रयोग- तुम गरीबों का घोर शोषण करते हो, जानते नहीं खुदा की लाठी में आवाज नहीं होती।

खेती, खसम लेती है= (कोई काम अपने हाथ से करने पर ही ठीक होता है)
प्रयोग- रोज घर जल्दी चले आते हो, ऐसे तो व्यापार ठप्प हो जाएगा। जानते हो खेती, खसम लेती है।

खूँटे के बल बछड़ा कूदे= (किसी की शह पाकर ही आदमी अकड़ दिखाता है)
प्रयोग- मैं जानता हूँ तुम किस खूँटे के बल कूद रहे हो, मैं उसे भी देख लूँगा।

( ग )

गागर में सागर भरना= (कम शब्दों में बहुत कुछ कहना)
प्रयोग- बिहारी कवि ने अपने दोहों में गागर में सागर भर दिया है।

गया वक्त फिर हाथ नहीं आता= (जो समय बीत जाता है, वह वापस नहीं आता)
प्रयोग- अध्यापक ने बताया कि हमें अपना समय व्यर्थ नहीं खोना चाहिए, क्योंकि गया वक्त फिर हाथ नहीं आता।

गरज पड़ने पर गधे को भी बाप कहना पड़ता है= (मुसीबत में हमें छोटे-छोटे लोगों की भी खुशामद करनी पड़ती है।)
प्रयोग- मनीष के पास टिकट खरीदने के लिए पैसे नहीं थे तो उसने एक चपरासी से अनुनय-विनय करके पैसे इकट्ठे किए। कहावत भी है कि 'गरज पड़ने पर गधे को भी बाप कहना पड़ता है'।

गरजने वाले बादल बरसते नहीं हैं= (जो बहुत बढ़-बढ़ कर बातें करते हैं, वे काम कम करते हैं।)
प्रयोग- बड़बोले रवि से श्याम ने कहा कि गरजने वाले बादल बरसते नहीं हैं।

गवाह चुस्त, मुद्दई सुस्त= (जिसका काम हो वह परवाह न करे, बल्कि दूसरा आदमी तत्परता दिखाए)
प्रयोग- लालू को अपनी लड़की को स्कूल में दाखिला दिलाना था, पर जब वह नहीं चलेंगे तो कोई क्या करेगा; ये तो वही हुआ- गवाह चुस्त, मुद्दई सुस्त।

गीदड़ की शामत आए तो वह शहर की तरफ भागता है= (जब विपत्ति आती है तब मनुष्य की बुद्धि विपरीत हो जाती है।)
प्रयोग- एक तो गौरव की कंपनी के मैनेजर ने मजदूरों को रविवार की छुट्टी नहीं दी; इसके अलावा उनकी मजदूरी भी काटनी शुरू कर दी। फलतः हड़ताल हो गई और मैनेजर को इस्तीफा देना पड़ा। सच ही कहा है- 'गीदड़ की शामत आती है तो वह शहर की तरफ भागता है'।

गुरु गुड़ ही रहा, चेला शक़्कर हो गया= (शिष्य का गुरु से अधिक उन्नति करना)
प्रयोग- उसने मुझसे अंग्रेजी पढ़ना सीखा और आज वह मुझसे अच्छी अंग्रेजी बोलता है, यह तो वही मिसाल हुई- 'गुरु गुड़ ही रहा और चेला शक़्कर हो गया'।

गेहूँ के साथ घुन भी पिसता है= (अपराधियों के साथ निर्दोष व्यक्ति भी दण्ड पाते हैं।)
प्रयोग- मैंने कालू से कहा था कि चोर-डाकुओं के साथ मत रहो। लेकिन उसने मेरी एक न सुनी। इसी कारण आज जेल काट रहा है। कहावत भी है- 'गेहूँ के साथ घुन भी पिसता है'।

गुड़ खाए गुलगुलों से परहेज= (कोई बड़ी बुराई करना और छोटी से बचना)
प्रयोग- वैसे तो रमानाथ चोरी, डाका सब डाल लेता है पर कल जब मैंने कहा कि मेरे साथ अदालत चलकर मेरे हक में गवाही दे दो तो कहने लगा कि मैं झूठी गवाही नहीं देता। वाह गुड़ खाए, गुलगुलों से परहेज।

गंगा गए गंगादास जमुना गए जमुनादास= (जो व्यक्ति सामने आए उसकी प्रशंसा करना)
प्रयोग- कुछ लोगों की आदत होती है कि उनके सामने जो व्यक्ति आता है उसी की प्रशंसा करने लगते हैं, ऐसे लोगों के लिए ही कहा जाता है- गंगा गए गंगादास जमुना गए जमुनादास।

गरीब की जोरू, सबकी भाभी= (कमजोर पर सब अधिकार जताते हैं)
प्रयोग- सारे परिवार में सुबोध ही कम पैसेवाला है, इसलिए परिवार के सारे सदस्य उसी पर हुक्म चलाते हैं। किसी ने ठीक ही कहा है कि गरीब की जोरू, सबकी भाभी होती है।

गुड़ न दे तो गुड़ की सी बात तो कहे= (भले ही किसी को कुछ न दें पर मधुर व्यवहार करें)
प्रयोग- अरे भैया आप उस बेचारे की मदद नहीं करना चाहते तो मत करो पर उसे डाँटो-फटकारो तो मत। उससे बात तो ठीक से करो। यदि किसी को गुड़ न दो तो गुड़ की सी बात तो कहो।

गाँठ का पूरा आँख का अंधा= (पैसे वाला तो है पर है मूर्ख)
प्रयोग- आज के युग में गाँठ का पुरा आँख का अंधे की तलाश किसे नहीं है।

गोदी में बैठकर दाढ़ी नोचे= (भला करने वाले के साथ दुष्टता करना)
प्रयोग- आजकल बहुत बुरा समय आ गया है। लोग गोदी में बैठकर दाढ़ी नोचते हैं।

गए रोजे छुड़ाने नमाज गले पड़ी= (अपनी मुसीबत से पीछा छुड़ाने की इच्छा से प्रयत्न करते-करते नई विपत्ति का आ जाना)
प्रयोग- शर्मा जी मेहमान आने के भय से घूमने गए। वहाँ उनके समधी मिल गए और उनका स्वागत करना पड़ा। गए रोजे छुड़ाने नमाज गले पड़ी।

गधा धोने से बछड़ा नहीं हो जाता है= (किसी भी उपाय से स्वभाव नहीं बदलता)
प्रयोग- उससे तुम्हारा विवाह नहीं हुआ अच्छा हुआ। वो तो बहुत अहंकारी औरत है। कहावत है गधा धोने से बछड़ा नहीं हो जाता।

गरजै सो बरसै नहीं= (डींग हाँकने वाले काम नहीं करते)
प्रयोग- राजेश ने कहा था कि वह आई.ए.एस.बनके दिखाएगा। इस पर मित्र ने कहा, जो गरजै सो बरसै नहीं।

गाँव का जोगी जोगड़ा, आन गाँव का सिद्ध= (बाहर के व्यक्तियों का सम्मान, पर अपने यहाँ के व्यक्तियों की कद्र नहीं)

गोद में छोरा नगर में ढिंढोरा= (पास की वस्तु का दूर जाकर ढूँढना)

गाछे कटहल, ओठे तेल= (काम होने के पहले ही फल पाने की इच्छा)

गुड़ गुड़, चेला चीनी= (गुरु से शिष्य का ज्यादा काबिल हो जाना)

( घ )

घर का जोगी जोगड़ा, आन गाँव का सिद्ध= (जो मनुष्य बहुत निकटस्थ या परिचित होता है उसकी योग्यता को न देखकर बाहर वाले की योग्यता देखना)
प्रयोग- यहाँ स्वामी विवेकानंद को लोग इतना नहीं मानते जितना अमेरिका में मानते हैं। सच ही है- 'घर का जोगी जोगड़ा, आन गाँव का सिद्ध'।

घर की मुर्गी दाल बराबर= (घर की वस्तु या व्यक्ति को कोई महत्व न देना)
प्रयोग- पं. दीनदयाल हमारे गाँव के बड़े प्रकांड पंडित हैं। बाहर उनका बड़ा सम्मान होता है, परन्तु गाँव के लोग उनका जरा भी आदर नहीं करते। लोकोक्ति प्रसिद्ध है- 'घर की मुर्गी दाल बराबर'।

घर में नहीं दाने, बुढ़िया चली भुनाने= (झूठा दिखावा करना)
प्रयोग- रामू निर्धन है फिर भी ऐसा बन-ठन कर निकलता है जैसे लखपति हो। ऐसे ही लोगों के लिए कहते हैं- 'घर में नहीं दाने, बुढ़िया चली भुनाने'।

घोड़ा घास से यारी करेगा तो खायेगा क्या= (मेहनताना या पारिश्रमिक माँगने में संकोच नहीं करना चाहिए।)
प्रयोग- भाई, मैंने दो महीने काम किया है। संकोच में तनख्वाह न माँगू तो क्या करूँ- 'घोड़ा घास से यारी करेगा तो खायेगा क्या'?

घर का भेदी लंका ढाए= (आपस की फूट से हानि होती है।)
प्रयोग- तस्करी के सोने पर तीनों दोस्तों में झगड़ा हो गया। एक ने पुलिस को खबर दे दी और पुलिस सारे सोने समेत तीनों को पकड़ कर ले गई। सच है, घर का भेदी लंका ढाए।

घोड़ों को घर कितनी दूर= (पुरुषार्थी के लिए सफलता सरल है)
प्रयोग- आशीष रात में कार चलाकर नैनी से लखनऊ आया तो ससुर साहब ने चिन्ता जतायी। इस पर आशीष ने कहा घोड़ों को घर कितनी दूर।

घोड़े को लात, आदमी को बात= (दुष्ट से कठोरता का और सज्जन से नम्रता का व्यवहार करें)
प्रयोग- सुनील घोड़े को लात, आदमी को बात वाली नीति में विश्वास करता है।

घायल की गति घायल जाने= (जो कष्ट भोगता है वही दूसरे के कष्ट को समझ सकता है)
प्रयोग- गरीब आदमी कैसे अभाव में अपना जीवन गुजारता है। यह गरीब व्यक्ति ही समझ सकता है। सच है घायल की गति घायल जाने।

घर आए कुत्ते को भी नहीं निकालते= (घर में आने वाले का सत्कार करना चाहिए)
प्रयोग- शिवानी जाओ चाय नाश्ता ले जाओ। भले ही यह व्यक्ति हमारा विरोधी है। जानती नहीं घर आए कुत्ते को भी नहीं निकालते।

घोड़े की दम बढ़ेगी तो अपनी ही मक्खियाँ उड़ाएगा= (उन्नति करके आदमी अपना ही भला करता है)
प्रयोग- कल तक नेताजी पर साइकिल नहीं थी। विधायक होते ही उन पर ऐश-ओ-आराम की सभी वस्तुएँ आ गई। कहावत भी है घोड़े की दुम बढ़ेगी, तो अपनी ही मक्खियाँ उड़ाएगा।

घर खीर तो बाहर भी खीर= (सम्पन्नता में सर्वत्र प्रतिष्ठा मिलती है।)
प्रयोग- इतना जान लो कि जब तुम्हारा पेट भरा रहेगा तभी दूसरे लोग खाने के लिए पूछेंगे। सच ''घर खीर तो बाहर भी खीर।''

घड़ी में घर जले, नौ घड़ी भद्रा= (हानि के समय सुअवसर-कुअवसर पर ध्यान न देना)

घर पर फूस नहीं, नाम धनपत= (गुण कुछ नहीं, पर गुणी कहलाना)

घर में दिया जलाकर मसजिद में जलाना= (दूसरे को सुधारने के पहले अपने को सुधारना)

घी का लड्डू टेढ़ा भला = (लाभदायक वस्तु किसी तरह की क्यों न हो।)

( च )

चिराग तले अँधेरा= (अपनी बुराई नहीं दीखती)
प्रयोग- मेरे समधी सुरेशप्रसादजी तो तिलक-दहेज न लेने का उपदेश देते फिरते है; पर अपने बेटे के ब्याह में दहेज के लिए ठाने हुए हैं। उनके लिए यही कहावत लागू है कि 'चिराग तले अँधेरा।'

चार दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रात= (सुख के कुछ दिनों के बाद दुख का आना)
प्रयोग- आज पैसा आने पर ज्यादा मत उछलो, क्या पता कब कैसे दिन देखने पड़ें ? सही बात है- चार दिन की चाँदनी फिर अँधेरी रात।

चोर की दाढ़ी में तिनका= (अपने आप से डरना)
प्रयोग- विद्यालय से गायब होने पर पिता जी को बुलाने की बात सुनते ही कमल का चेहरा फीका पड़ गया। उसकी स्थिति चोर की दाढ़ी में तिनके के समान हो गई।

चोर पर मोर= (एक दूसरे से ज्यादा धूर्त)
प्रयोग-मृदुल और करन दोनों को कम मत समझो। ये दोनों ही चोर पर मोर हैं।

चमड़ी जाय, पर दमड़ी न जाय= (अत्यधिक कंजूसी करना)
प्रयोग- जेबकतरे ने सौ रुपए उड़ा लिए तो कुछ नहीं, पर मुन्ना ने मुझे पाँच रुपए उधार नहीं दिए। ये तो वही बात हुई कि चमड़ी जाय पर दमड़ी न जाय।

चिकने घड़े पर पानी नहीं ठरहता= (बेशर्म आदमी पर किसी बात का कोई असर नहीं होता)
प्रयोग- रामू बहुत निर्लज्ज आदमी है। मैंने उसे बहुत समझाया, परन्तु उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा। कहावत भी है कि 'चिकने घड़े पर पानी नहीं ठहरता'।

चित भी मेरी, पट भी मेरी, अंटा मेरे बाप का= (हर तरह से लाभ चाहना)
प्रयोग- दादाजी के साथ सबसे बड़ी मुसीबत यही है कि वे हरदम अपनी बात ही बड़ी रखते हैं। ये तो वही बात हुई- चित भी मेरी, पट भी मेरी, अंटा मेरे बाप का।

चील के घोंसले में मांस कहाँ= (किसी व्यक्ति से ऐसी वस्तु की प्राप्त करने की आशा करना, जो उसके पास न हो।)
प्रयोग- मैंने सोचा था कि राजू के घर लड्डू खाने को मिलेंगे, पर चील के घोंसले में मांस कहाँ से मिलता।

चोर के पैर नहीं होते= (चोर चोरी करते वक्त जरा-सी आहट से डरकर भाग जाता है।)
प्रयोग- जब चोरों ने देखा कि घरवाले जाग गए हैं, तब वे बिना कुछ चुराए ही उसके घर से भाग गए, क्योंकि 'चोर के पैर नहीं होते'।

चोर-चोर मौसेरे भाई= (एक व्यवसाय या स्वभाव वालों में जल्दी मेल हो जाता है।)
प्रयोग- राजनीति में कुछ असामाजिक तत्वों के कारण अपराध और राजनीति दोनों चोर-चोर मौसेरे भाई लगते हैं।

चोरी चोरी से जाय, पर हेरा-फेरी से न जाय= (किसी की प्रकृति में पूर्ण परिवर्तन न होना)
प्रयोग- रामू ने चोरी करना तो छोड़ दिया हैं, पर अब वह कभी- कभी हेरा-फेरी तो कर ही लेता है, ये कहावत ठीक ही है कि चोरी चोरी से जाय, पर हेरा-फेरी से न जाय।

चोरी और सीना जोरी= (अपराध करके अकड़ना)
प्रयोग- रवि एक तो स्कूल देर से पहुँचा, ऊपर से बहस भी करने लगा; यह चोरी और सीना जोरी करने पर अध्यापक ने उसे हाथ ऊपर करके खड़े होने की सजा दी।

चलती का नाम गाड़ी= (हस्ती समाप्त होने के बाद भी धाक जमी रहना)
प्रयोग- हमारे देश में एक से एक गाड़ियाँ बन रही हैं, फिर भी लोगों को विदेशी गाड़ियाँ खरीदने की लगी रहती है। क्या कहा जाए चलती का नाम गाड़ी है।

चाँद पर थूका, मुँह पर गिरा= (सज्जन की बुराई करने से अपनी ही बेइज्जती होती है)
प्रयोग- भले लोगों की बुराई करोगे तो तुम खुद ही बदनाम होगे। जो चाँद पर थूकता है, थूक उसी के मुँह पर गिरता है।

चौबे गए छब्बे बनने, दूबे बनकर आए= (लाभ के बदले हानि)
प्रयोग- जब कोई व्यक्ति लाभ की आशा से कोई कार्य करता है और उसमें हानि हो जाती है, तब यह कहावत चरितार्थ होती है।

चिराग में बत्ती और आँख में पट्टी= (शाम होते ही सोने लगना)
प्रयोग- अब राज के घर जाना बेकार है वह तो चिराग में बत्ती और आँख में पट्टी वालों में है।

चूहों की मौत बिल्ली का खेल= (किसी को कष्ट देकर मौज करना)
प्रयोग- कालाबाजारियों को अधिक से अधिक लाभ से मतलब है चाहे कितने ही लोग भूख से मर जाएँ। कहावत है चूहों की मौत बिल्ली का खेल।

चींटी की मौत आती है तो पर निकलते हैं= (घमण्ड करने से नाश होता है)
प्रयोग- सुबोध तुम्हें घमण्ड हो गया। यह मत भूलो चींटी की मौत आती है तो पर निकलते हैं।

चूहे का बच्चा बिल खोदता है= (जाति स्वभाव में परिवर्तन नहीं होता)
प्रयोग- बबलू लकड़ी का मकान बनाता है, उसके पिता बिल्डर हैं। सच है चूहे का बच्चा बिल खोदता है।

चपड़ी और दो-दो= (अच्छी चीज और वह भी बहुतायत में)
प्रयोग- राज का पी.सी.एस. में चयन हो गया और उसे पोस्टिंग भी मुजप्फरनगर में मिल गई। यही तो है चुपड़ी और दो-दो।

चोरी का माल मोरी में= गलत ढंग से कमाया धन यों ही बर्बाद होता है)
प्रयोग- परचून की दुकान वाले ने मिलावट करके लाखों रुपया कमाया लेकिन कुछ पैसा बीमारी में लग गया बाकी चोर चोरी करके चले गए, तब पड़ोसी बोले चोरी का माल मोरी में।

चूहे घर में दण्ड पेलते हैं= (आभाव-ही-आभाव)

( छ )

छछूंदर के सिर में चमेली का तेल= (किसी व्यक्ति के पास ऐसी वस्तु हो जो कि उसके योग्य न हो।)
प्रयोग- रामू मिडिल पास है फिर भी उसकी सरकारी नौकरी लग गई, इसी को कहते हैं- 'छछूंदर के सिर में चमेली का तेल'।

छोटा बड़ा खोटा= (नाटा आदमी बड़ा तेज-तर्रार होता है।)
प्रयोग- रामू नाटा है इसलिए वह बड़ा काइयाँ हैं, कहते भी हैं- 'छोटा बड़ा खोटा'।

छोटा मुँह बड़ी बात= (कम उम्र या अनुभव वाले मनुष्य का लम्बी-चौड़ी बातें करना)
प्रयोग- किशन तो हमेशा छोटा मुँह बड़ी बात करता है।

छोटे मियां तो छोटे मियां, बड़े मियां सुभान अल्लाह= (जब बड़ा छोटे से अधिक शैतान हो)
प्रयोग- राजू का छोटा भाई तो गाली देकर चुप हो गया, लेकिन राजू तो लड़ने को तैयार हो गया। उसे देखकर मुझे यही कहना पड़ा- 'छोटे मियां तो छोटे मियां, बड़े मियां सुभान अल्लाह'।

( ज )

जिन ढूँढ़ा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ= (परिश्रम का फल अवश्य मिलता है)
प्रयोग- एक लड़का, जो बड़ा आलसी था, बार-बार फेल करता था और दूसरा, जो परिश्रमी था, पहली बार परीक्षा में उतीर्ण हो गया। जब आलसी ने उससे पूछा कि भाई, तुम कैसे एक ही बार में पास कर गये, तब उसने जवाब दिया कि 'जिन ढूँढ़ा तिन पाइयाँ गहरे पानी पैठ'।

जैसी करनी वैसी भरनी= (कर्म के अनुसार फल मिलता है)
प्रयोग- राधा ने समय पर प्रोजेक्ट नहीं दिखाया और उसे उसमें शून्य अंक प्राप्त हुए। ठीक ही हुआ- जैसी करनी वैसी भरनी।

जिसकी लाठी उसकी भैंस= (बलवान की ही जीत होती है)
प्रयोग- सरपंच ने जिसे चाहा उसे बीज दिया। बेचारे किसान कुछ न कर पाए। इसे कहते हैं- जिसकी लाठी उसकी भैंस।

जंगल में मोर नाचा, किसने देखा= (ऐसे स्थान में कोई अपना गुण दिखाए जहाँ कोई देखने वाला न हो।)
प्रयोग- रवि ने रामू से कहा कि आप चलकर शहर में रहिए, यहाँ गाँव में आपकी विद्या की कोई कद्र नहीं- 'जंगल में मोर नाचा, किसने देखा'।

जब ओखली में सिर दिया तो मूसलों से क्या डरना= (जब कोई कष्ट सहने के लिए तैयार हो तो डर कैसा)
प्रयोग- जब रमेश ने नई दुकान खोल ही ली है तो अब कष्ट तो झेलने ही होंगे, कहावत भी है- 'जब ओखली में सिर दिया तो मूसलों से क्या डरना'।

जब चने थे तब दांत न थे, जब दांत हुए तब चने नहीं= (जब धन था तब बच्चे न थे, जब बच्चे हुए तब धन नहीं है।)
प्रयोग- रामू काका कहते हैं कि हम पहले बड़े अमीर थे, पर उस समय खाने वाला कोई नहीं था और अब खाने वाले हुए तब धन नहीं है। ये तो वही बात हुई- 'जब चने थे तब दांत न थे, जब दांत हुए तब चने नहीं'।

जब तक जीना, तब तक सीना= (जब तक मनुष्य जीवित है तब तक उसे कुछ न कुछ काम तो करना ही पड़ता है।)
प्रयोग- मेरी माँ हमेशा कहती हैं कि वे जब तक जिंदा हैं तब तक काम करेंगी। उनका तो यही सिद्धांत है- 'जब तक जीना, तब तक सीना'।

जब तक सांस तब तक आस= (जब तक मनुष्य जीवित है तब तक आशा बनी रहती है।)
प्रयोग- रामू काका ने अपने जीवन में आखिरी दम तक हिम्मत नहीं हारी; कहावत भी है- ' जब तक सांस तब तक आस'।

जर, जोरू, जमीन जोर की, नहीं तो और की= (धन, स्त्री और जमीन बलवान अपने बल से प्राप्त कर सकता है, निर्बल व्यक्ति नहीं)
प्रयोग- राजू काका सच कहते हैं- 'जर, जोरू, जमीन जोर की, नहीं तो और की'

जल्दी का काम शैतान का, देर का काम रहमान का= (जल्दी करने से काम बिगड़ जाता है और शांति से काम ठीक होता है।)
प्रयोग- तुम मुझसे हर काम को जल्दी करने को कहते हो। जानते नहीं हो- 'जल्दी का काम शैतान का, देर का काम रहमान का' होता हैं।

जहाँ का पीवे पानी, वहाँ की बोले बानी= (जिस व्यक्ति का खाए, उसी की-सी बातें करनी चाहिए)
प्रयोग- मैं उनका नमक खाता हूँ, तो उनकी जैसी कहूँगा। मनुष्य को चाहिए- ' जहाँ का पीवे पानी, वहाँ की बोले बानी'।

जहाँ चाह, वहाँ राह= (जब किसी काम को करने की व्यक्ति की इच्छा होती है तो उसे उसका साधन भी मिल ही जाता है।)
प्रयोग- रामेश्वर फ़िल्म बनाना चाहता था तो उसे प्रोड्यूसर और डायरेक्टर मिल ही गए; कहते भी हैं- 'जहाँ चाह, वहाँ राह'।

जहाँ जाए भूखा, वहाँ पड़े सूखा= (अभागे मनुष्य को हर जगह दुःख ही दुःख मिलता है।)
प्रयोग- बेचारा गरीब राजू दावत में तब पहुँचा, जब भोज समाप्त हो गया। इसी को कहते हैं- 'जहाँ जाए भूखा, वहाँ पड़े सूखा'।

जाका कोड़ा, ताका घोड़ा= (जिसके पास शक्ति होती है, उसी की जीत होती है।)
प्रयोग- मंत्री जी अपने सारे निजी काम सत्ता के बल पर कराते हैं, कहते भी हैं- 'जाका कोड़ा, ताका घोड़ा'।

जाके पांव न फटी बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई= (जिस मनुष्य पर कभी दुःख न पड़ा हो, वह दूसरों का दुःख क्या समझे)
प्रयोग- दादी ने मुझसे कहा- बेटा, तुम पुरुष हो। नारी के दुःख को तुम कभी समझ ही न सकोगे। 'जाके पांव न फटी बिवाई, वो क्या जाने पीर पराई'।

जागेगा सो पावेगा, सोवेगा सो खोवेगा= (जो हर क्षण सावधान रहता है, उसे ही लाभ होता है।)
प्रयोग- रामू बहुत सतर्क रहता है, इसलिए उसको कभी हानि नहीं होती और तुमको बराबर हानि ही हानि होती है। कहते भी हैं- 'जागेगा सो पावेगा, सोवेगा सो खोवेगा'।

जान न पहचान, बड़ी बुआ सलाम= (बिना जान-पहचान के किसी से भी संबंध जोड़कर बातचीत करना)
प्रयोग- मेरे पास एक आदमी आकर जब जबरदस्ती खुद को मेरा मित्र बताने लगा तो मैंने उससे कहा- 'जान न पहचान, बड़ी बुआ सलाम'।

जान मारे बनिया, पहचान मारे चोर= (बनिया परिचित व्यक्ति को ठगता है और चोर भेद मिलने से चोरी करता है।)
प्रयोग- सेठ जी वैसे तो मेरे मित्र हैं, लेकिन कपड़े के दाम बड़े महंगे लिए। मैं भी मुलाहिजे में कुछ न कह सका। ये कहावत ठीक ही है- 'जान मारे बनिया, पहचान मारे चोर'।

जान है तो जहान है= (संसार में जान सबसे प्यारी वस्तु है।)
प्रयोग- रामू काका ने मुझसे कहा कि ' जान है तो जहान है'। मैं पहले अपना स्वास्थ्य देखूँ, काम बाद में होता रहेगा।

जितना गुड़ डालोगे, उतना ही मीठा होगा= जितना अधिक रुपया खर्च करेंगे, उतनी ही अच्छी वस्तु मिलेगी)
प्रयोग- विवेक ने कम पैसों के चक्कर में घटिया पंखा ले लिया, वह चार दिन भी नहीं चला। कहावत भी है- ' जितना गुड़ डालोगे, उतना ही मीठा होगा'।

जितनी चादर हो, उतने ही पैर फैलाओ= (आदमी को अपनी सामर्थ्य और शक्ति के अनुसार ही कोई काम करना चाहिए)
प्रयोग- रोहन हमेशा आमदनी से अधिक खर्च करता है और बाद में पैसे उधार लेता फिरता है। इस पर माँ ने कहा कि आदमी की जितनी चादर हो उतने ही पैर फैलाने चाहिए।

जिस थाली में खाना, उसी में छेद करना= (जिस व्यक्ति के आश्रय में रहना, उसी को हानि पहुँचाना)
प्रयोग- शांति जिस थाली में खा रही है, उसी में छेद कर रही है। जिसने उसकी सहायता की, उसी को छल रही है।

जिसका काम उसी को छाजै, और करे तो डंडा बाजै= (जिसको जिस काम का अभ्यास और अनुभव होता है, वह उसे सरलता से कर लेता है। गैर-अनुभवी आदमी उसे नहीं कर सकता)
प्रयोग- जब राहुल ने खुद दीवार बनानी शुरू की तो वह गिर पड़ी। वह नहीं जानता था- 'जिसका काम उसी को छाजै, और करे तो डंडा बाजै'।

जिसकी जूती, उसी का सिर= (किसी व्यक्ति की चीज से उसी को हानि पहुँचाना)
प्रयोग- चोर ने पुलिस की बेंत से ही पुलिस को मारना शुरू कर दिया, ये तो वही बात हुई- 'जिसकी जूती, उसी का सिर'।

जिसकी बिल्ली, उसी से म्याऊँ= (जब किसी के द्वारा पाला-पोसा हुआ व्यक्ति उसी को आँखें दिखाए)
प्रयोग- ये क्या पता था कि राजू कभी उन्हीं को आँख दिखाएगा जिसने उसे पाला है। ये तो वही बात हुई- 'जिसकी बिल्ली, उसी से म्याऊँ'।

जैसा दाम, वैसा काम= (जितनी अच्छी मजदूरी दी जाएगी, उतना ही अच्छा काम होगा)
प्रयोग- जब मालिक ने बढ़ई से कहा कि वह सामान ठीक से नहीं बना रहा है तो बढ़ई ने उत्तर दिया- बाबू जी, जैसा दाम वैसा काम, आप मुझे भी तो बहुत कम दे रहे है।

जैसा देश, वैसा वेश= (जहाँ रहना हो वहीं की रीतियों-नीतियों के अनुसार आचरण करना चाहिए)
प्रयोग- सफलता उसे ही प्राप्त होती है जो समय के साथ चलता है। कहते भी हैं- ' जैसा देश, वैसा वेश'।

जो करेगा, सो भरेगा= (जो जैसा काम करेगा वैसा फल पाएगा)
प्रयोग- छोड़ो मित्र, जो करेगा, सो भरेगा, तुम्हें क्या?

जो गरजते हैं, वो बरसते नहीं= (जो लोग बहुत शेखी बघारते हैं, वे बहुत अधिक काम नहीं करते)
प्रयोग- अशोक जब बड़ी-बड़ी डींग हाँकने लगा तो सुनील बोल पड़ा- 'जो गरजते हैं, वो बरसते नहीं'।

जल में रहकर मगरमच्छ से बैर= (जिसके सहारे रहे, उसी से दुश्मनी करना)
प्रयोग- जिस स्कूल में नौकरी करती हो, उसी स्कूल के डायरेक्टर का विरोध करती हो। किसी भी दिन नौकरी से निकाल देगा। ध्यान रखो। जल में रहकर मगरमच्छ से बैर नहीं किया जाता।

जाको राखै साइयाँ, मारि सकै ना कोय= (जिसका रक्षक ईश्वर है उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता)
प्रयोग- कैसा चमत्कार हुआ। बस खड्डे में जा गिरी पर किसी मुसाफिर को चोट तक न आई। सच है, 'जाको राखै साइयाँ, मारि सकै ना कोय'।

जो किसी को कुआँ खोदता है, उसको खाई तैयार रहती है= (जैसे को तैसा)
प्रयोग- पंडित रामनाथ बेचारे रामधन को नौकरी से निकलवाने पर तुले थे क्योंकि ऑफिस इंचार्ज उनका रिश्तेदार था। किस्मत का करिश्मा देखो, इंचार्ज का ट्रांसफर हो गया और उसकी जगह एक ईमानदार अफसर आ गया। उसने मामले की जाँच की और रामनाथ को ही दोषी पाया और उसी को नौकरी से निकाल दिया। इसलिए ध्यान रखो जो किसी और को कुआँ खोदता है, उसको खाई तैयार रहती है।

जान बची लाखो पाए= (किसी झंझट से मुक्ति)
प्रयोग- दंगे में शर्मा जी फँस गए। किसी तरह पुलिस की मदद से निकले तो कहने लगे जान बची लाखो पाए।

जहाँ न जाए रवि वहाँ जाए कवि= (कवि की कल्पना अनन्त होती है)
प्रयोग- कालिदास और भवभूति जैसे कवियों की रचनाओं को पढ़कर कहा जा सकता है- जहाँ न जाए रवि वहाँ जाए कवि।

जहँ-जहँ पाँव पड़े सन्तन के तहँ-तहँ होवै बन्टाधार= (मनहूस आदमी हर काम को बनाने के बजाय उसमें विघ्न ही डालता है।)
प्रयोग- उसे शादी में लाइट की व्यवस्था का जिम्मा मत सौंपना उस पर तो जहँ-जहँ पाँव पड़े सन्तन के तहँ-तहँ बन्टाधार कहावत चरितार्थ होती हैं।

जहाँ देखे तवा परात वहाँ गाए सारी रात= (लालच में कोई काम करना)
प्रयोग- पूँजीवादी व्यवस्था में बहुत से बेरोजगार जहाँ देखे तवा परात वहाँ गाए सारी रात वाली नीति पर चलने लगे हैं।

जाकै पैर न फटे बिवाई वह क्या जाने पीर पराई= (स्वयं दुःख भोगे बिना दूसरे के दर्द का एहसास नहीं होता)
प्रयोग- वो गरीब है इसलिए तुम उसका मजाक उड़ा रहे हो कि उसके जूते फटे हैं। सच कहावत है जाकै पैर न फटे बिवाई वह क्या जाने पीर पराई।

जहाँ मुर्गी नहीं होता क्या सवेरा नहीं होता= (किसी एक की वजह से संसार का काम नहीं रुकता)
प्रयोग- तुम यदि प्रकाशन से चले गए तो प्रकाशन क्या बन्द हो जाएगा। कहावत नहीं सुनी जहाँ मुर्गा नहीं होता तो क्या सवेरा नहीं होता।

जाय लाख रहे साख= (इज्जत रहनी चाहिए व्यय कुछ भी हो जाए)
प्रयोग- मेरा तो एक सूत्रीय सिद्धान्त में विश्वास है जाय लाख रहे साख।

जस दूल्हा तस बनी बरात= (जैसा मुखिया वैसे ही अन्य साथी)
प्रयोग- जैसे बिजली विभाग का इंजीनियर भ्रष्ट है वैसे ही उसके कार्यालय के अन्य कर्मचारी भ्रष्ट हैं। कहावत सच है, जस दूल्हा तस बनी बरात।

जैसे साँपनाथ वैसे नागनाथ= (दोनों एक समान)
प्रयोग- मायावती भाजपा और कांग्रेस को जैसे साँपनाथ वैसे नागनाथ कहती है।

जीभ जली और स्वाद भी कुछ न आया= (बदनामी भी हुई और लाभ भी नहीं मिला)
प्रयोग- तुमने उस लड़की से प्यार किया उसने धोखा दिया और किसी और से शादी कर ली। तुमने तो जीभ जली और स्वाद भी कुछ न आया वाली कहावत चरितार्थ कर दी।

जड़ काटते जाना और पानी देते रहना= (ऊपर से प्रेम दिखाना, अप्रत्यक्ष में हानि पहुँचाते रहना)
प्रयोग- प्रशान्त जब मुझसे मिलता है हँसकर प्रेम से बात करता है लेकिन पीछे भाई साहब से मेरी बुराई करता है। जब मुझे पता चला तो मैंने उससे कहा कि तुम जड़ काटते हो ऊपर से पानी देते हो।

जितने मुँह उतनी बातें= (एक ही बात पर भिन्न-भिन्न कथन)
प्रयोग- तुम अपने काम में ध्यान लगाओ। लोगों का काम तो कहना है जितने मुँह उतनी बातें।

जो हाँडी में होगा वह थाली में आएगा= (जो मन में है वह प्रकट होगा ही)
प्रयोग- मित्रता का दम भरने वाला प्रशान्त जब भाई के सामने जहर उगलने लगा तो मैंने कहा- जो हाँडी में होगा वह थाली में आएगा, आखिर तुम्हारी असलियत पता चल ही गई।

जैसा मुँह वैसा थप्पड़= (जो जिसके योग्य हो उसे वही मिलता है)
प्रयोग- शादी में मौसी और मामी को मम्मी ने बढ़िया साड़ियाँ दीं जबकि बुआओं को साधारण साड़ी दी। कहावत सच है जैसा मुँह वैसा थप्पड़।

जैसे कन्ता घर रहे वैसे रहे परदेश= (निकम्मा आदमी घर में हो या बाहर कोई अन्तर नहीं)
प्रयोग- पहले नवनीत घर पर रहता था तो भी कुछ नहीं कमाता था, जब दिल्ली गया तो दोस्त के घर पर उसके टुकड़ों पर रहने लगा। जैसे कन्ता घर रहे वैसे रहे परदेश।

जिसका खाइये उसका गाइये= (जिसका लाभ हो उसी का पक्ष लें)
प्रयोग- आजकल लोग इतने समझदार हो गए हैं कि जिसका खाते हैं उसका गाते हैं।

ज्यों-ज्यों भीजे कामरी त्यों-त्यों भारी होय= (जैसे-जैसे समय बीतता है जिम्मेदारियाँ बढ़ती जाती हैं)
प्रयोग- राजीव के एक बच्चा हो जाने के पश्चात उसकी जिम्मेदारियाँ बढ़ गई हैं कहावत है ज्यों-ज्यों भीजे कामरी त्यों-त्यों भारी होय।