अध्याय | विषय |
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1-7 | ग्रन्थ का प्रयोजन, उदात्त की परिभाषा, कतिपय दोषों का विवेचन |
8-15 | उदात्त के पाँच स्रोतों का निर्देश, उसमें विचार गरिमा व भाव की प्रबलता का निरूपण। |
16-29 | अलंकारों का निरूपण। |
30-38 | शब्द, रूप, बिम्ब आदि का निरूपण। |
39-40 | रचना की भव्यता का निरूपण। |
41-43 | दृष्टिभेद से उदात्त-विरोधी अन्य दोषों की चर्चा। |
44 | यूनान के नैतिक-साहित्यिक ह्रास के कारणों का संधान। |
विद्वान | अभिमत |
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सेन्ट्ससबरी | उनकी आलोचना का प्रकार शुद्ध सौन्दर्यवादी है और उसमें भी सर्वोत्कृष्ट है। |
डेविड डेचेज | उदात्त प्रथम भावात्मक साहित्य-सिद्धान्त है। |
स्काट जेम्स | लोंजाइनस प्रथम स्वच्छन्दतावादी आलोचक है। |
एलेन टेट | लोंजाइनस अपूर्ण होते हुए भी प्रथम साहित्यिक आलोचक हैं। |
विमसैट एवं क्लींथ बुक्स | 'पेरिहुप्सुस' एक असाधारण लेख (Extra Ordinary Essay) है। |
एब्रम्स | साहित्य के उत्तरवर्ती अध्येताओं की दृष्टि में यदि अरस्तू व्यवस्थाप्रेमी, होरेस सांसरिक और भाषणशास्त्री क्षुद्र हैं तो लोंजाइनस जीवन्त और आधुनिक हैं। |
जन्म-मृत्यु | जन्म-स्थान | उपाधि | मित्र | अन्तिम संग्रह |
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1770-1850 | इंग्लैण्ड | पोयटलारिएट | कोलरिज | द प्रिल्यूड |
संस्करण | भूमिका के शीर्षक |
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प्रथम, 1798 | एडवरटिजमेंट |
द्वितीय, 1800 | प्रिफेस |
तृतीय, 1802 | प्रिफेस |
चतुर्थ, 1815 | प्रिफेस |