(4) संज्ञा से विशेषण बनाना
संज्ञा | विशेषण | संज्ञा | विशेषण |
---|---|---|---|
अंत- | अंतिम, अंत्य | अर्थ- | आर्थिक |
अवश्य- | आवश्यक | अंश- | आंशिक |
अभिमान- | अभिमानी | अनुभव- | अनुभवी |
इच्छा- | ऐच्छिक | इतिहास- | ऐतिहासिक |
ईश्र्वर- | ईश्र्वरीय | उपज- | उपजाऊ |
उन्नति- | उन्नत | कृपा- | कृपालु |
काम- | कामी, कामुक | काल- | कालीन |
कुल- | कुलीन | केंद्र- | केंद्रीय |
क्रम- | क्रमिक | कागज- | कागजी |
किताब- | किताबी | काँटा- | कँटीला |
कंकड़- | कंकड़ीला | कमाई- | कमाऊ |
क्रोध- | क्रोधी | आवास- | आवासीय |
आसमान- | आसमानी | आयु- | आयुष्मान |
आदि- | आदिम | अज्ञान- | अज्ञानी |
अपराध- | अपराधी | चाचा- | चचेरा |
जवाब- | जवाबी | जहर- | जहरीला |
जाति- | जातीय | जंगल- | जंगली |
झगड़ा- | झगड़ालू | तालु- | तालव्य |
तेल- | तेलहा | देश- | देशी |
दान- | दानी | दिन- | दैनिक |
दया- | दयालु | दर्द- | दर्दनाक |
दूध- | दुधिया, दुधार | धन- | धनी, धनवान |
धर्म- | धार्मिक | नीति- | नैतिक |
खपड़ा- | खपड़ैल | खेल- | खेलाड़ी |
खर्च- | खर्चीला | खून- | खूनी |
गाँव- | गँवारू, गँवार | गठन- | गठीला |
गुण- | गुणी, गुणवान | घर- | घरेलू |
घमंड- | घमंडी | घाव- | घायल |
चुनाव- | चुनिंदा, चुनावी | चार- | चौथा |
पश्र्चिम- | पश्र्चिमी | पूर्व- | पूर्वी |
पेट- | पेटू | प्यार- | प्यारा |
प्यास- | प्यासा | पशु- | पाशविक |
पुस्तक- | पुस्तकीय | पुराण- | पौराणिक |
प्रमाण- | प्रमाणिक | प्रकृति- | प्राकृतिक |
पिता- | पैतृक | प्रांत- | प्रांतीय |
बालक- | बालकीय | बर्फ- | बर्फीला |
भ्रम- | भ्रामक, भ्रांत | भोजन- | भोज्य |
भूगोल- | भौगोलिक | भारत- | भारतीय |
मन- | मानसिक | मास- | मासिक |
माह- | माहवारी | माता- | मातृक |
मुख- | मौखिक | नगर- | नागरिक |
नियम- | नियमित | नाम- | नामी, नामक |
निश्र्चय- | निश्र्चित | न्याय- | न्यायी |
नौ- | नाविक | नमक- | नमकीन |
पाठ- | पाठ्य | पूजा- | पूज्य, पूजित |
पीड़ा- | पीड़ित | पत्थर- | पथरीला |
पहाड़- | पहाड़ी | रोग- | रोगी |
राष्ट्र- | राष्ट्रीय | रस- | रसिक |
लोक- | लौकिक | लोभ- | लोभी |
वेद- | वैदिक | वर्ष- | वार्षिक |
व्यापर- | व्यापारिक | विष- | विषैला |
विस्तार- | विस्तृत | विवाह- | वैवाहिक |
विज्ञान- | वैज्ञानिक | विलास- | विलासी |
विष्णु- | वैष्णव | शरीर- | शारीरिक |
शास्त्र- | शास्त्रीय | साहित्य- | साहित्यिक |
समय- | सामयिक | स्वभाव- | स्वाभाविक |
सिद्धांत- | सैद्धांतिक | स्वार्थ- | स्वार्थी |
स्वास्थ्य- | स्वस्थ | स्वर्ण- | स्वर्णिम |
मामा- | ममेरा | मर्द- | मर्दाना |
मैल- | मैला | मधु- | मधुर |
रंग- | रंगीन, रँगीला | रोज- | रोजाना |
साल- | सालाना | सुख- | सुखी |
समाज- | सामाजिक | संसार- | सांसारिक |
स्वर्ग- | स्वर्गीय, स्वर्गिक | सप्ताह- | सप्ताहिक |
समुद्र- | सामुद्रिक, समुद्री | संक्षेप- | संक्षिप्त |
सुर- | सुरीला | सोना- | सुनहरा |
क्षण- | क्षणिक | हवा- | हवाई |
(5) क्रिया से विशेषण बनाना
क्रिया | विशेषण | क्रिया | विशेषण |
---|---|---|---|
लड़ना- | लड़ाकू | भागना- | भगोड़ा |
अड़ना- | अड़ियल | देखना- | दिखाऊ |
लूटना- | लुटेरा | भूलना- | भुलक्कड़ |
पीना- | पियक्कड़ | तैरना- | तैराक |
जड़ना- | जड़ाऊ | गाना- | गवैया |
पालना- | पालतू | झगड़ना- | झगड़ालू |
टिकना- | टिकाऊ | चाटना- | चटोर |
बिकना- | बिकाऊ | पकना- | पका |
(6) सर्वनाम से भाववाचक संज्ञा बनाना
सर्वनाम | भाववाचक संज्ञा | सर्वनाम | भाववाचक संज्ञा |
---|---|---|---|
अपना- | अपनापन /अपनाव | मम- | ममता/ ममत्व |
निज- | निजत्व, निजता | पराया- | परायापन |
स्व- | स्वत्व | सर्व- | सर्वस्व |
अहं- | अहंकार | आप- | आपा |
(7) क्रिया विशेषण से भाववाचक संज्ञा
मन्द- मन्दी;
दूर- दूरी;
तीव्र- तीव्रता;
शीघ्र- शीघ्रता इत्यादि।
(8) अव्यय से भाववाचक संज्ञा
परस्पर- पारस्पर्य;
(4)समूहवाचक संज्ञा :- जिस संज्ञा शब्द से वस्तुअों के समूह या समुदाय का बोध हो, उसे समूहवाचक संज्ञा कहते है।
जैसे- व्यक्तियों का समूह- भीड़, जनता, सभा, कक्षा; वस्तुओं का समूह- गुच्छा, कुंज, मण्डल, घौद।
(5)द्रव्यवाचक संज्ञा :-जिस संज्ञा से नाप-तौलवाली वस्तु का बोध हो, उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते है।
दूसरे शब्दों में- जिन संज्ञा शब्दों से किसी धातु, द्रव या पदार्थ का बोध हो, उन्हें द्रव्यवाचक संज्ञा कहते है।
जैसे- ताम्बा, पीतल, चावल, घी, तेल, सोना, लोहा आदि।
संज्ञाओं के प्रयोग में कभी-कभी उलटफेर भी हो जाया करता है। कुछ उदाहरण यहाँ दिये जा रहे है-
(क) जातिवाचक : व्यक्तिवाचक- कभी- कभी जातिवाचक संज्ञाओं का प्रयोग व्यक्तिवाचक संज्ञाओं में होता है। जैसे- 'पुरी' से जगत्राथपुरी का 'देवी' से दुर्गा का, 'दाऊ' से कृष्ण के भाई बलदेव का, 'संवत्' से विक्रमी संवत् का, 'भारतेन्दु' से बाबू हरिश्र्चन्द्र का और 'गोस्वामी' से तुलसीदासजी का बोध होता है। इसी तरह बहुत-सी योगरूढ़ संज्ञाएँ मूल रूप से जातिवाचक होते हुए भी प्रयोग में व्यक्तिवाचक के अर्थ में चली आती हैं। जैसे- गणेश, हनुमान, हिमालय, गोपाल इत्यादि।
(ख) व्यक्तिवाचक : जातिवाचक- कभी-कभी व्यक्तिवाचक संज्ञा का प्रयोग जातिवाचक (अनेक व्यक्तियों के अर्थ) में होता है। ऐसा किसी व्यक्ति का असाधारण गुण या धर्म दिखाने के लिए किया जाता है। ऐसी अवस्था में व्यक्तिवाचक संज्ञा जातिवाचक संज्ञा में बदल जाती है। जैसे- गाँधी अपने समय के कृष्ण थे; यशोदा हमारे घर की लक्ष्मी है; तुम कलियुग के भीम हो इत्यादि।
(ग) भाववाचक : जातिवाचक- कभी-कभी भाववाचक संज्ञा का प्रयोग जातिवाचक संज्ञा में होता है। उदाहरणार्थ- ये सब कैसे अच्छे पहरावे है। यहाँ 'पहरावा' भाववाचक संज्ञा है, किन्तु प्रयोग जातिवाचक संज्ञा में हुआ। 'पहरावे' से 'पहनने के वस्त्र' का बोध होता है।
संज्ञा विकारी शब्द है। विकार शब्द रूपों को परिवर्तित अथवा रूपान्तरित करता है। संज्ञा के रूप लिंग, वचन और कारक चिह्नों (परसर्ग) के कारण बदलते हैं।
लिंग के अनुसार
नर खाता है- नारी खाती है।
लड़का खाता है- लड़की खाती है।
इन वाक्यों में 'नर' पुंलिंग है और 'नारी' स्त्रीलिंग। 'लड़का' पुंलिंग है और 'लड़की' स्त्रीलिंग। इस प्रकार, लिंग के आधार पर संज्ञाओं का रूपान्तर होता है।
वचन के अनुसार
लड़का खाता है- लड़के खाते हैं।
लड़की खाती है- लड़कियाँ खाती हैं।
एक लड़का जा रहा है- तीन लड़के जा रहे हैं।
इन वाक्यों में 'लड़का' शब्द एक के लिए आया है और 'लड़के' एक से अधिक के लिए। 'लड़की' एक के लिए और 'लड़कियाँ' एक से अधिक के लिए व्यवहृत हुआ है। यहाँ संज्ञा के रूपान्तर का आधार 'वचन' है। 'लड़का' एकवचन है और 'लड़के' बहुवचन में प्रयुक्त हुआ है।
कारक- चिह्नों के अनुसार
लड़का खाना खाता है- लड़के ने खाना खाया।
लड़की खाना खाती है- लड़कियों ने खाना खाया।
इन वाक्यों में 'लड़का खाता है' में 'लड़का' पुंलिंग एकवचन है और 'लड़के ने खाना खाया' में भी 'लड़के' पुंलिंग एकवचन है, पर दोनों के रूप में भेद है। इस रूपान्तर का कारण कर्ता कारक का चिह्न 'ने' है, जिससे एकवचन होते हुए भी 'लड़के' रूप हो गया है। इसी तरह, लड़के को बुलाओ, लड़के से पूछो, लड़के का कमरा, लड़के के लिए चाय लाओ इत्यादि वाक्यों में संज्ञा (लड़का-लड़के) एकवचन में आयी है। इस प्रकार, संज्ञा बिना कारक-चिह्न के भी होती है और कारक चिह्नों के साथ भी। दोनों स्थितियों में संज्ञाएँ एकवचन में अथवा बहुवचन में प्रयुक्त होती है। उदाहरणार्थ-
बिना कारक-चिह्न के- लड़के खाना खाते हैं। (बहुवचन)
लड़कियाँ खाना खाती हैं। (बहुवचन)
कारक-चिह्नों के साथ- लड़कों ने खाना खाया।
लड़कियों ने खाना खाया।
लड़कों से पूछो।
लड़कियों से पूछो।
इस प्रकार, संज्ञा का रूपान्तर लिंग, वचन और कारक के कारण होता है।