दीन- निर्धनता के कारण जो दयापात्र हो चुका है।
दया- दूसरे के दुःख को दूर करने की स्वाभाविक इच्छा।
दुःख- साधारण कष्ट या मानसिक पीड़ा।
दक्ष-जो हाथ से किए जानेवाले काम अच्छी तरह और जल्दी करता है। जैसे- वह कपड़ा सीने में दक्ष है।
देखना- सामान्य अर्थ में
दर्शन करना- सम्मान अर्थ में
दुर्मूल्य- जिसका मूल्य हैसियत से ज्यादा हो
दृष्टांत- किसी बात की परिपुष्टि के लिए दिया गया तथ्य
दर्प- नियम के विरुद्ध काम करने पर भी घमण्ड करना।
दोष- उचित-अनुचित का भाव
निर्बला- कमजोर स्त्रियों के लिए
न्याय- इन्साफ करना
निपुण-जो अपने कार्य या विषय का पूरा-पूरा ज्ञान प्राप्त कर उसका अच्छा जानकार बन चुका है।
निबन्ध- ऐसी गद्यरचना, जिसमें विषय गौण हो और लेखक का व्यक्तित्व और उसकी शैली प्रधान हो।
निधन- महान् और लोकप्रिय व्यक्ति की मृत्यु को 'निधन' कहा जाता है।
निकट- सामीप्य का बोध। जैसे- मेरे गाँव के निकट एक स्कूल है।
निर्णय- फैसला करना
नमस्कार- बराबरवालों के लिए
नमस्ते- बराबरवालों के लिए
नायिका- नाटक या उपन्यास की मुख्य नारी
निमंत्रण- भोजनादि के लिए विशेष बुलावा
महाशय- सामान्य लोगों के लिए 'महाशय' का प्रयोग होता है।
मन- मन में संकल्प-विकल्प होता है।
महोदय- अपने से बड़ों को या अधिकारियों को 'महोदय' लिखा जाता है।
महिला- भले घर की स्त्री।
मित्र- वह पराया व्यक्ति, जिसके साथ आत्मीयता हो।
मृत्यु- सामान्य शरीरान्त को 'मृत्यु' कहते है।
विश्र्वास- सामने हुई बात पर भरोसा करना, बिलकुल ठीक मानना।
विषाद- अतिशय दुःखी होने के कारण किंकर्तव्यविमूढ़ होना।
विपरीत- उल्टा होना
वेदना- शारीरिक कष्ट
विज्ञ- किसी खास विषय का ज्ञानी
व्याधि- शारीरिक कष्ट
व्रीडा- स्वाभाविक लज्जा होना
विद्रोह- शासन के विरुद्ध कार्य
विच्छृंखलता- उद्दण्डता
वन्दना- देव बुद्धि से स्तुति करते हुए हाथ जोड़कर प्रणाम करना
व्यथा- किसी आघात के कारण मानसिक अथवा शारीरिक कष्ट या पीड़ा।
ऋषि- सत्य का साक्षात्कार, आविष्कार करनेवाला
त्रुटि- कमी का भाव प्रकट होना
त्रास- भयंकर डर
यातना- आघात में उत्पत्र कष्टों की अनुभूति (शारीरिक) ।
क्षोभ- सफलता न मिलने या असामाजिक स्थिति पर दुखी होना।
ज्ञान- इन्द्रियों द्वारा प्राप्त हर अनुभव।
राजा-एक साधारण भूपति।
लेख- ऐसी गद्यरचना, जिसमें वस्तु या विषय की प्रधानता हो।
लज्जा- शर्म (साधारण अर्थ में)
घमण्ड- सभी स्थितियों में अपने को बड़ा और दूसरे को हीन समझना।
चित्त- चित्त में बातों का स्मरण-विस्मरण होता है।