जब सचिवालय के एक विभाग को दूसरे विभाग से कोई पूछताछ करनी हो अथवा निर्देश लेने या देने हों तब गैर-सरकारी पत्र का उपयोग किया जाता है। इसमें सबसे ऊपर पत्रांक व दिनांक का उल्लेख रहता है। सम्बोधन के स्थान पर उस विभाग का नाम लिख दिया जाता है जिससे निर्देश लेना हो। स्वनिर्देश शब्द 'भवदीय' आदि का भी प्रयोग नहीं किया जाता है, केवल प्रेषक के हस्ताक्षर, पद व विभाग का उल्लेख रहता है।
गैर-सरकारी पत्रांक 350/सा. प्र./दिनांक 3 जनवरी, 20XX
शिक्षा (ख) अनुभाग: कृपया इस विभाग के अनुस्मारक पत्र संख्या 301/15 दिनांक 13 दिसम्बर, 20XX का अवलोकन करें तथा
राज्य सरकार के अधीन महाविद्यालयों में तदर्थ रूप से नियुक्त प्रवक्ताओं की सूची अविलम्ब भेजें।
ज्योति स्वरूप गुप्त
सहायक सचिव
प्रशासन विभाग
जब किसी पत्र का उत्तर समयावधि में नहीं प्राप्त होता है तो सम्बन्धित अधिकारी को पुनः याद दिलाने के लिए जो पत्र लिखा जाता है, उसे अनुस्मारक पत्र कहते है। इसे अनुस्मरण पत्र या ध्यानकर्षण पत्र भी कहते हैं।
अनुस्मारक-पत्र के लिए सामान्य निर्देश
अनुस्मारक-पत्र के लिए सामान्य निर्देश निम्नलिखित हैं
(i) अनुस्मारक-पत्र में पत्र संख्या उसी प्रकार अंकित करनी चाहिए, जिस प्रकार मूल पत्र में अंकित की गई थी।
(ii) इन पत्रों में पत्र का पत्रांक, दिनांक एवं संक्षेप में सन्दर्भ देना अनिवार्य है, अतः इनका उल्लेख करना चाहिए।
(iii) इन पत्रों में मूल पत्र की विषयवस्तु को पुनः नहीं लिखा जाता है, अतः विषयोल्लेख की आवश्यकता नहीं होती है।
उत्तर प्रदेश सरकार
श्रम विभाग, प्रशिक्षण एवं सेवायोजन निदेशालय, लखनऊ
पत्रांक.......
दिनांक......
प्रेषक,
मैकूलाल सन्त,
निदेशक।
सेवा में,
प्रधानाचार्य
औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान,
बरेली ,
महोदय,
मैं आपका ध्यान इस निदेशालय के पत्रांक...... दिनांक...... की ओर आकर्षित कराना चाहता हूँ जिसमें तदर्थ
नियुक्त अनुदेशकों की सूची एवं उनका विवरण माँगा गया था। कृपया उक्त सूची एवं विवरण शीघ्र ही भेजने का कष्ट करें।
ह. ......
(मैकूलाल सन्त)
निदेशक
सरकारी कार्यालयों के कर्मचारियों से सम्बन्धित नियम अथवा सूचना के लिए जो पत्र लिखे जाते हैं, 'कार्यालय आदेश' कहलाते हैं। सामान्यतः कार्यालय आदेश का प्रयोग, नियुक्ति, पदोन्नति, अर्जित अवकाश, स्थान्तरण एवं कार्यालय कार्य सम्पादन सम्बन्धी नियम आदि के लिए किया जाता है। इसमें सम्बोधन और स्वनिर्देश नहीं होता है।
कार्यालय आदेश के लिए सामान्य निर्देश
कार्यालय आदेश के लिए सामान्य निर्देश निम्नलिखित हैं
(i) सर्वप्रथम अन्य प्रारूपों की तरह कार्यालय का नाम, पत्रांक तथा दिनांक लिखना चाहिए।
(ii) इसके बाद बीच में कार्यालय आदेश शीर्षक लिखकर रेखांकित कर देना चाहिए।
(iii) कार्यालय आदेश से सम्बन्धित समस्त कर्मचारियों का नीचे उल्लेख करना चाहिए।
उत्तर प्रदेश सरकार
श्रम विभाग
राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान, हरदोई
पत्रांक व्य. प./3005-8/XX
दिनांक 26-5-20XX
कार्यालय आदेश
श्री गुरुनारायण शुक्ल अनुदेशक (टर्नर) को उनके आवेदन पत्र दिनांक 25-5-20XX के सन्दर्भ में दिनांक 1-6-20XX से 12-6-20XX
तक 12 दिनों का अर्जित अवकाश (E.L) स्वीकृत किया जाता है।
श्री शुक्ल अवकाश का उपभोग करने से पूर्व अपना कार्य-भार श्री सी. बी. जोशी अनुदेशक (टर्नर) को सौंप दें।
ह. ........
(बाबूराम वर्मा)
प्रधानाचार्य
प्रतिलिपि
(i) श्री गुरुनारायण शुक्ल अनुदेशक (टर्नर) रा. औ. प्र. सं. हरदोई।
(ii) श्री सी. बी. जोशी अनुदेशक (टर्नर) रा. औ. प्र. सं. हरदोई।
(iii) कार्यदेशक औ. प्र. सं. हरदोई।
(iv) लेखाकार औ. प्र. सं. हरदोई।
(v) कार्यालय प्रति रा. औ. प्र. सं. हरदोई।
ज्ञापन का अर्थ है ज्ञान कराना, अतः इसे 'स्मृति पत्र' भी कहते हैं। इसका प्रारूप कार्यालय आदेश की भाँति होता है। ज्ञापन दो प्रकार का होता है- सामान्य ज्ञापन और कार्यालय ज्ञापन। सामान्य विषयवस्तु वाले ज्ञापन, सामान्य ज्ञापन कहलाते हैं।
इनका प्रेषक सामान्य अधिकारी या निजी व्यक्ति होता है। कार्यालय ज्ञापन अधीन कार्यालयों या कर्मचारियों से सम्बन्धित विशिष्ट कार्यालयीय पत्र होता है। इसका प्रेषक सरकारी अधिकारी होता है।
ज्ञापन का प्रयोग निम्नलिखित परिस्थतियों में होता है-
(i) पत्रों की प्राप्ति स्वीकार करने के लिए।
(ii) केन्द्रीय या राज्य सरकारों के विभिन्न मन्त्रालयों या विभागों के बीच पत्र व्यवहार करने के लिए।
(iii) अधीन अधिकारियों या कर्मचारियों को ऐसी सूचना देने के लिए, जिसे कार्यालय का आदेश नहीं कहा जा सकता है।
(iv) अधीन अधिकारियों या कर्मचारियों के कार्य में शिकायत या कमी होने पर उन्हें चेतावनी देने के लिए
अथवा उनसे स्पष्टीकरण माँगने के लिए।
(v) प्रार्थना पत्रों, नियुक्त के लिए आए आवेदन पत्रों का उत्तर देने के लिए।
ज्ञापन के लिए सामान्य निर्देश निम्नलिखित हैं
(i) अन्य आलेखों की भाँति इसमें भी सर्वप्रथम कार्यालय का नाम, ज्ञापन संख्या तथा दिनांक लिखना चाहिए।
(ii) इसके बाद बीच में 'ज्ञापन' शीर्षक लिखकर रेखांकित कर देना चाहिए।
(iii) ज्ञापन में 'सम्बोधन' और 'स्वनिर्देश' नहीं होता है। इनकी रचना अन्य पुरुष में होती है।
(iv) ज्ञापन के अन्त में बायीं ओर प्रेषक का नाम, पद और पता लिख देना चाहिए।
प्रशिक्षण एवं सेवायोजन निदेशालय,
श्रम विभाग, लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
पत्रांक......
दिनांक.......
ज्ञापन
श्री रामकृष्ण शर्मा को उनके प्रार्थना पत्र दिनांक....... के सन्दर्भ में सूचित किया जाता है कि वे साक्षात्कार हेतु दिनांक....... को प्रातः
10 बजे इस कार्यालय में उपस्थित हों। अपने प्रमाण-पत्रों की मूल प्रतियाँ अवश्य लाएँ। इस सम्बन्ध में उन्हें किसी प्रकार की यात्रा-भत्ता
आदि देय नहीं होगा।
कमल किशोर शुक्ल
संयुक्त निदेशक
फिरोज गाँधी महाविद्यालय, रायबरेली
(सम्बद्ध श्री शाहू जी महराज विश्वविद्यालय, कानपुर)
पत्र सं. व्य. प./596/XX
दिनांक 6-4-20XX
ज्ञापन
अधोहस्ताक्षरकर्ता के ध्यान में यह बात लाई गई है कि आप (श्री रामकृष्ण शर्मा) दिनांक 4-4-20XX को प्रातः से अपने
कार्यालय में बिना सूचना के अनुपस्थित पाए गए, जिससे महाविद्यालय के कार्य में व्यवधान उत्पन्न हुआ है।
इस सन्दर्भ में आप तीन दिन के अन्दर अपना स्पष्टीकरण प्रस्तुत करें, कि आप क्यों बिना कोई सूचना दिए गए दिनांक 4-4-20XX को प्रातः 10 बजे उपस्थिति पंजिका में हस्ताक्षर करने के उपरान्त महाविद्यालय से गायब रहे?
ह. ........
(सुरेश प्रकाश वर्मा)
प्रधानाचार्य
प्रतिलिपि,
श्री कृष्णकुमार अवस्थी,
पुस्तकालयाध्यक्ष,
फिरोज गाँधी महाविद्यालय, रायबरेली।
जब कोई सरकारी पत्र या ज्ञापन एक साथ अनेक विभागों, अधिकारियों या कर्मचारियों को भेजा जाता है, तो उसे 'परिपत्र' या 'गश्तीपत्र' कहते हैं। परिपत्र की प्रमुख विशेषता यही है कि प्रेषक एक ही अधिकारी होता है और पाने वाले (प्रेषिती) अनेक होते हैं।
परिपत्र या गश्तीपत्र के लिए सामान्य निर्देश
परिपत्र या गश्तीपत्र के लिए सामान्य निर्देश निम्नलिखित हैं
(i) सर्वप्रथम पत्र के शीर्षक में 'परिपत्र संख्या' लिखनी चाहिए।
(ii) प्रेषिती का पता लिखते समय सभी पत्र वालों को एक साथ बहुवचन में सम्बोधित करना चाहिए; जैसे- सभी मन्त्रालय
और विभाग भारत सरकार, समस्त जिला अधिकारी बिहारी सरकार, 'औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों के सभी प्रधानाचार्य' इत्यादि।
(iii) परिपत्रों में सम्बोधन पुल्लिंग एवं स्त्रीलिंग, दोनों में होता है; जैसे- 'महोदय/महोदया'।
(iv) परिपत्र, सरकारी पत्र, ज्ञापन, कार्यालय आदेश, अनुस्मारक आदि के रूप में हो सकता है। जिस रूप में परिपत्र लिखना हो
उसी रूप के अनुसार आलेखन सम्बन्धी नियमों का पालन करना चाहिए।
परिपत्र संख्या.......
उत्तर प्रदेश सरकार
विधानसभा सचिवालय
विधान भवन, लखनऊ
दिनांक......
प्रेषक,
शिव नारायण,
मुख्य सचिव।
सेवा में,
(i) उत्तर प्रदेश के समस्त जिलाधीश।
(ii) उत्तर प्रदेश के सभी कार्यालयाध्यक्ष/सामान्य प्रशासन विभाग।
विषय सरकारी कार्यालयों में हिन्दी का प्रयोग।
महोदय/महोदया,
मुझे यह कहने का निर्देश हुआ है कि आप अपने-अपने कार्यालयों तथा अपने अधीन कार्यालयों में समस्त कार्य
एवं पत्र-व्यवहार हिन्दी में ही करें। हिन्दी से भिन्न भाषा में पत्र-व्यवहार या कार्य करने वाले अधिकारी के विरुद्ध कार्यवाही की जा सकती है।
भवदीय
ह. ........
(शिव नारायण)
मुख्य सचिव
जब कोई अधिकारी या कर्मचारी नियमों की अवहेलना करता है, कार्य को सुचारु रूप से नहीं करता है, तो उसके विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए वरिष्ठ अधिकारी द्वारा उसे जो पत्र दिया जाता है, उसे आरोप-पत्र कहते हैं। वरिष्ठ अधिकारी अपने अधीन अधिकारियों या कर्मचारियों को आरोप-पत्र तभी दे सकता है, जब उसके पास आरोपों के लिखित प्रमाण हों।
आरोप-पत्र के लिए सामान्य निर्देश
आरोप-पत्र के लिए सामान्य निर्देश निम्नलिखित हैं
(i) सर्वप्रथम अन्य आलेखों की भाँति पत्रांक, दिनांक और कार्यालय का नाम लिखना चाहिए।
(ii) इसके उपरान्त बीच में आरोप-पत्र शीर्षक लिखकर रेखांकित कर देना चाहिए।
जिस अधिकारी या कर्मचारी को आरोप पत्र देना है उसका नाम, पद और पता बायीं ओर लिखना चाहिए।
(iii) आरोप-पत्र में 'सम्बोधन' और 'स्वनिर्देश' नहीं होता है।
(iv) प्रेषिती का नाम, पद और पता लिखने के बाद प्रमाणों सहित आरोपों का क्रमवार उल्लेख करना चाहिए।
(v) पत्र की समाप्ति पर अधिकारी के हस्ताक्षर होते हैं। हस्ताक्षर के नीचे नाम और पद लिखना चाहिए।
कार्यालय प्रबन्धक
आर.एम.पी.महाविद्यालय, सीतापुर
पत्र संख्या ......
दिनांक........
आरोप-पत्र
श्री अब्दुल हमीद
लेखाकार,
आर.एम.पी महाविद्यालय,
सीतापुर।
आपके विरुद्ध निम्नलिखित आरोप लगाए जाते हैं-
1. आप प्रधानाचार्य के आदेशों की अवहेलना करते हैं। परिणामतः आपके द्वारा किया जाने वाला कोई भी कार्य न तो समय से
पूर्ण हो रहा है और न यथासमय आप किसी कार्य को करते हैं। इसके प्रमाण के लिए अग्रलिखित का अवलोकन करें-
(क) प्रधानाचार्य का आपको सम्बोधित ज्ञापन संख्या....... दिनांक ....... ।
(ख) प्राध्यापकों की एरियर बीजक संख्या ....... ।
2. प्राध्यापकों के साथ भी आपका व्यवहार शोभनीय नहीं है। इसके प्रमाण निम्नलिखित हैं-
(क) समस्त प्राध्यापकों की सामूहिक शिकायत जो मुझे मिली है। (प्रति संलग्न)
(ख) दिनांक 26-2-20XX को श्री रामप्रकाश सिंह, प्रवक्ता राजनीति शास्त्र विभाग से आपका अशिष्ट व्यवहार, जिसकी
पुष्टि सभी प्राध्यापकों एवं छात्र-संघ ने की है।
3. कार्यालय में आप यथासमय नहीं पहुँचते हैं, जिसके प्रमाण में आप नित्यप्रति की उपस्थिति पंजिका का अवलोकन करें, जिसमें प्रधानाचार्य द्वारा आपके कॉलम (खाने) में क्रॉस लगाया है। आपने बाद में क्रॉस पर हस्ताक्षर किए हैं। प्रधानाचार्य ने उपस्थिति पंजिका निरीक्षण (चैकिंग) का समय 10.30 बजे प्रत्येक दिन अपने हस्ताक्षर के नीचे अंकित किया है। इससे स्पष्ट है कि आप हमेशा 10.30 के बाद ही महाविद्यालय आते हैं। इस सम्बन्ध में आपको कई पत्र भी दिए गए हैं, परन्तु आपने अपनी प्रवृत्ति में सुधार लाने का प्रयत्न नहीं किया है।
4. गत माह इस महाविद्यालय के लेखा-अभिलेखों का निरीक्षण एकाउन्टेन्ट जनरल इलाहाबाद की ऑंडिट पार्टी ने किया,
जिसमें निम्नलिखित कमियाँ पाई गई-
(क) कार्यालय-कार्य हेतु खरीदी गई लेखन सामग्री को स्थानीय खरीद रजिस्टर में नहीं अंकित किया गया है तथा सीधे बिल
पारित करवाकर वाउचर कैश कराए गए हैं।
(ख) आपने जनवरी माह में 800.00 मात्र के डाक-टिकट, डाकघर से खरीदने के वाउचर कैश किए हैं। डाक-टिकट-रजिस्टर
देखने से पता चला है कि इस माह में शासकीय डाक-टिकट कार्यालय में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध थे।
(ग) छात्रों की फीस का हिसाब देखने पर पता चला है कि समस्त छात्रों के नाम 10,30,960 की रसीदें कटी हैं, जबकि
कैश बुक में केवल 9,30,000 की धनराशि अंकित है।
उपर्युक्त आरोपों के उत्तर में आपको जो भी कहना हो, उसे लिखित रूप में प्रमाण सहित, इस आरोप पत्र के प्राप्त होने के 15
दिन के अन्दर अधोहस्ताक्षरकर्ता को प्रस्तुत करें, अन्यथा यह माना जाएगा कि इस सन्दर्भ में आपको कुछ भी नहीं कहना है
और उपर्युक्त आरोप सत्य हैं तथा तद्नुसार आपके विरुद्ध आवश्यक कार्यवाही की जाएगी।
ह. .......
(श्याम किशोर मिश्र)
प्रबन्धक
संकल्प या प्रस्ताव का प्रयोग सरकार की नीति सम्बन्धी घोषणा करने के लिए, जाँच आयोगों की नियुक्ति अथवा समितियों या आयोगों के महत्त्वपूर्ण प्रतिवेदनों के परिणामों की घोषणा के लिए होता है। इसमें स्वनिर्देश और सम्बोधन नहीं होता है। संकल्प के अन्य आलेखों की भांति संख्या, दिनांक तथा विभागीय सचिव या अधिकारी के हस्ताक्षर होते है।
संकल्प चार भागों में प्रकाशित किया जाता है- पहले भाग में संकल्प की आवश्यकता या उद्देश्य का उल्लेख रहता है। दूसरे भाग में मूल तथ्यों का समावेश रहता है। संकल्प के तीसरे भाग में सरकारी निर्णय का उल्लेख होता है और चौथे भाग में उन व्यक्तियों के नाम होते है जिनके पास संकल्प की प्रतिलिपि भेजी जाती है। यदि संकल्प राजपत्र (गजट) में प्रकाशित होता है, तो उसका भी उल्लेख कर दिया जाता है।
उत्तर प्रदेश के राजपत्र (गजट) में प्रकाशनार्थ
संख्या........
उत्तर प्रदेश शासन,
विधि मन्त्रालय, लखनऊ।
दिनांक .......
संकल्प
वर्तमान समय की आवश्यकताओं को देखते हुए यह अनुभव किया जा रहा है कि विधि निर्माण आदि के सम्बन्ध में कुछ कमियाँ है,
जिनमें सुधार की बड़ी आवश्यकता है। अतः उत्तर प्रदेश सरकार ने एक समिति गठन करने का निश्चय किया है, जो कानूनों के
सुधार के लिए अपने सुझाव देगी। समिति में सरकारी तथा गैर-सरकारी उच्च कोटि के विधिवेत्ताओं को रखा जाएगा।
सुविख्यात विधिशास्त्री श्री महेश चन्द्र शर्मा को समिति का अध्यक्ष बनाया गया है, श्री रामपाल सिंह एवं ज्ञानेन्द्र वर्मा समिति के सदस्य होंगे।
समिति क़ानूनी अव्यवस्था को दूर करने पर विचार करेगी और अपना प्रतिवेदन उत्तर प्रदेश सरकार को वर्ष 20XX के अन्दर प्रस्तुत कर देगी।
आदेश
यह आदेश दिया जाता है कि इस संकल्प की एक-एक प्रति निम्नलिखित व्यक्तियों के पास भेज दी जाए-
1. श्री महेशचन्द्र शर्मा,
2. श्री रामपाल
3. श्री ज्ञानेन्द्र वर्मा।
जन साधारण की सुविधा एवं जानकारी के लिए यह आदेश जारी किया जाता है कि इस संकल्प को उत्तर प्रदेश के राजपत्र (गजट) में प्रकाशित कर दिया जाए।
(दीप नारायण)
सचिव,
उत्तर प्रदेश सरकार।
राजपत्रित अधिकारियों की नियुक्ति, पदोन्नति, स्थानान्तरण और उनके अवकाश की स्वीकृति की सूचनाओं को राजपत्र (गजट) में प्रकाशित करने के लिए अधिसूचना का प्रयोग किया जाता है।
इसके अतिरिक्त सरकारी अधिकारियों को नए अधिकार सौंपने अथवा उनके अधिकारों को वापस लेने के लिए नए नियमों, उपनियमों व आदेशों को लागू करने के लिए भी अधिसूचना का प्रयोग किया जाता है। इसमें अन्य आलेखों की भाँति संख्या, दिनांक तथा विभागीय सचिव या अधिकारी के हस्ताक्षर होते हैं। सामान्यतः इसमें सम्बोधन और स्वनिर्देश नहीं होता है।
अधिसूचना में सर्वप्रथम उस राजपत्र (गजट) का नाम, भाग एवं अनुभाग संख्या, जिसमें अधिसूचना प्रकाशित होनी है, लिखना चाहिए। अधिसूचना की प्रतिलिपियाँ जिन-जिन व्यक्तियों के पास भेजी जानी हैं उनका नाम व पता नीचे बायीं ओर अंकित करना चाहिए। यदि अधिसूचना का प्रकाशन विशेष गजट में होता है, तो ऐसी आदिसूचना पर संयुक्त सचिव के हस्ताक्षर या स्वीकृति होनी चाहिए।
(उत्तर प्रदेश सरकार के राजपत्र के भाग-1 अनुभाग-2 में प्रकाशनार्थ)
उत्तर प्रदेश सरकार
श्रम मन्त्रालय, लखनऊ।
दिनांक......
अधिसूचना
संख्या....... के अन्तर्गत श्री रामपाल आई.ए.एस., जो इस समय प्रशिक्षण एवं सेवायोजन निदेशालय उत्तर प्रदेश, लखनऊ में
निदेशक के पद पर कार्यरत हैं; का स्थानान्तरण अधिकारी सीतापुर के पद पर किया के पूर्व अपना कार्यभार ग्रहण कर लें।
कार्यभार ग्रहण करने की अवधि से श्रम मन्त्रालय की उत्तर प्रदेश के राजपत्र (गजट) में प्रकाशित पूर्व अधिसूचना संख्या ....... दिनांक....... रद्द की जाती है।
(कृपा शंकर)
सचिव,
उत्तर प्रदेश सरकार।
जब सरकार को किसी महत्त्वपूर्ण समाचार या सरकारी निर्णय का व्यापक रूप से प्रचार करना होता है तो उसे समाचार पत्रों में प्रकाशित करने के लिए, सूचना निदेशक के पास भेज दिया जाता है। सूचना निदेशक इन विज्ञप्तियों को प्रकाशनार्थ सम्पादकों में वितरित कर देता है। सम्पादक इन विज्ञप्तियों को अपने-अपने समाचार पत्रों में प्रकाशित करते हैं। प्रेस विज्ञप्ति के दो रूप हैं- प्रेस कम्यूनिक और प्रेस नोट।
प्रेस कम्यूनिक में औपचारिकता अधिक होती है। इसे सम्पादक को बिना किसी संशोधन के ज्यों का त्यों प्रकाशित करना पड़ता है, जबकि 'प्रेस नोट' में सम्पादक अपनी टिप्पणी लगा सकता है अथवा उसकी भाषा आदि में आवश्यक संशोधन भी कर सकता है।
प्रेस विज्ञप्ति के लिए सामान्य निर्देश
प्रेस विज्ञप्ति के लिए सामान्य निर्देश निम्नलिखित हैं।
(i) प्रेस विज्ञप्ति में सर्वप्रथम उसके छपने का दिनांक तथा समय का उल्लेख करना चाहिए, इससे प्रेस निर्धारित समय और
दिनांक से पूर्व प्रकाशित नहीं कर सकता है।
(ii) प्रेस विज्ञप्ति के विषय का संक्षिप्त एवं स्पष्ट शीर्षक लिखना चाहिए।
(iii) इसके पश्चात विषय का पूर्ण विवरण दिया जाना चाहिए। अन्त में यह आज्ञा होती है कि सम्बन्धित प्रेस विज्ञप्ति को
सूचना निदेशक के पास भेज दिया जाए।
प्रेस-विज्ञप्ति
(दिनांक 15 जनवरी, 20XX को प्रातः दस बजे के पहले प्रचारित और प्रकाशित न किया जाए)
नई दिल्ली।
दिनांक ........
भारत और रूस के बीच व्यापारिक सम्बन्ध
रूस और भारत के बीच व्यापारिक सम्बन्ध दृढ़ करने के लिए आज दिनांक....... जनवरी ...... को प्रातः दस
बजे भारत और रूस के व्यापार मन्त्रियों के बीच नई दिल्ली में एक समझौते पर हस्ताक्षर हुए, जिसके अनुसार दोनों
देशों ने परस्पर व्यापार को बढावा देने के लिए एक-दूसरे देश से आयात की जाने वाली सामग्रियों पर लगने वाले
शुल्क की दर ...... % कम कर दी हैं। इन देशों की सरकारों को विश्वास है कि इससे व्यापारिक सम्बन्ध के
साथ-साथ उनके पारस्परिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक सम्बन्ध भी सुदृढ़ होंगे।
प्रधान सूचना निदेशक, भारत सरकार, नई दिल्ली को उपर्युक्त विज्ञप्ति प्रचार और प्रकाशन के लिए भेजी जाती है।
वाणिज्य मन्त्रालय
नई दिल्ली
दिनांक........
हस्ताक्षर.......
सचिव, भारत सरकार