परिचय
आदर्श शिक्षक विरल हैं। वर्तमान युग में तो और भी। लेकिन, जो है उनमें कुछ ऐसे है जो अपने ज्ञान, चरित्र और दैनिक जीवन से अपने छात्रों पर एक बड़ी छाप छोड़ते है। मेरे विद्यालय में एक ऐसे ही शिक्षक है। उनका नाम श्री विजय कुमार है। वे मेरे विद्यालय के सर्वोत्तम शिक्षक है। इसलिए मैं उन्हें सबसे अधिक पसंद करता हूँ। शिक्षक के रूप में उनका संक्षिप्त चित्रण श्री विजय कुमार कला-स्त्रातक हैं। वे हमें अँगरेजी, गणित और हिंदी पढ़ाते हैं। गणित और हिंदी में उनके मुकाबले विद्यालय में कोई नहीं है। गत दस वर्षों से वे शिक्षण का कार्य कर रहे हैं। इसलिए वे शिक्षण-कला में पटु हैं। वे कुलीन परिवार के हैं।
उन्हें आपके सर्वाधिक पसंद करने का कारण
कुछ ठोस कारण हैं जिनके चलते वे विद्यालय के सर्वाधिक प्रिय शिक्षक हैं। वे सीधे-सादे और निरभिमान हैं। उनका जीवन निर्मल एवं पवित्र है। पढ़ाने में वे पटु है। अपने कलात्मक ढंग के पाठन से वे वर्ग को मुग्ध कर लेते हैं। अत्यंत कठिन विषय भी उनके हाथों सुगम बन जाता है। वे हमलोगों को दोनों गणित, उच्च और प्राथमिक, तथा अँगरेजी पढ़ाते हैं। उनकी सुंदर शिक्षण-पद्धति के कारण गणित जैसा कठिन और नीरस विषय भी मोहक और रुचिकर हो जाता है। दो चीजें है जो उनके शिक्षण को और कारगर बनाती हैं। एक तो उनकी आवाज स्पष्ट और मधुर है; दूसरी चीज उनकी साफ-साफ और अच्छी लिखावट हैं। उनकी चित्रकारी भी प्रशंसनीय होती है। वे कमजोर छात्रों की सहायता करने में दिलचस्पी लेते है। पढ़ाते समय वे ऐसे छात्रों की कठिनाइयों को भाँप लेते है और शीघ्र ही उनकी सहायता को पहुँच जाते हैं।
हृदय से वे बहुत उदार और सहानुभूतिशील हैं। अपने निवासस्थान पर भी वे छात्रों को निःशुल्क पढ़ाते हैं। वे एक अच्छे शिक्षक ही नहीं, वरन एक बड़े समाजसुधारक भी हैं। वे अपने अवकाश को समाज की बुराइयों को दूर करने में लगाते हैं। वे हरिजन तथा अन्य निर्धन लोगों के साथ मित्र की तरह व्यवहार करते हैं। वे बीमारों और अपाहियों की सेवा करने में हिचकते नहीं। यही कारण है कि स्थानीय लोग उन्हें प्यार और आदर करते हैं।
उपसंहार
छात्रों के लिए ऐसे शिक्षक सच्चे मार्गदर्शक एवं मित्र होते हैं। प्राचीन भारत में शिक्षक अत्यंत सम्मान के पात्र होते थे। वर्तमान भारत में ऐसे शिक्षकों की कमी है। यदि प्रचुर संख्या में ऐसे शिक्षक हो जाएँ तो भारत अपना गौरव पुनः प्राप्त कर ले।