गिलहरी (Gilhari)

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गिलहरी

मोहन और सुनीता भाई-बहन हैं। वे प्रतिदिन सुबह पार्क में टहलने जाते हैं। वहाँ नीम का एक पेड़ है। उसके नीचे बैठकर वे बातें करते हैं। दोनों एक दिन बातें कर रहे थे। अचानक सुनीता बोली- ''भैया, देखो गिलहरी !''

मोहन ने उसे मारने के लिए पत्थर उठा लिया। तभी सुनीता ने कहाँ- ''नहीं भैया ! गिलहरी को पत्थर मत मारो। यह किसी को नहीं काटती, देखो, कितने मजे से कुतर-कुतरकर बेर खा रही है। कितनी प्यारी है ! चलो इसे पास से देखें'' जैसे ही दोनों उसके पास गए, गिलहरी झट से पेड़ पर चढ़ गई। मोहन ने कहा-'' अरे ! यह तो पेड़ पर चढ़ गई।''

सुनीता ने बताया-'' मोहन ! गिलहरी बड़ी फुर्तीला होती है। इसे पकड़ना आसान नहीं है। जरा-सी आवाज होते ही यह पेड़ पर चढ़ जाती हैं। '' मोहन ने पूछा-'' गिलहरी क्या-क्या खा लेती है ?'' ''गिलहरी को फल बहुत अच्छे लगते हैं। इसे मूँगफली भी बहुत पसन्द है। अगर हम इसे मूँगफली दे दें तो यह हमारे पास आ जाएगी।'' सुनीता ने बताया।

मोहन ने कहा-''देखो, इसके शरीर पर कितनी सुन्दर धारियाँ हैं। इसके बाल भी मुलायम हैं।'' सुनीता बोली-''रोहन! गिलहरी बड़ी सुन्दर होती है। यह बड़ी चालाक भी होती है। इसकी आवाज बहुत अच्छी लगती है।'' मोहन ने पूछा-'' क्या गिलहरियाँ पेड़ पर ही रहती हैं?''

सुनीता ने बताया- ''हाँ, गिलहरियाँ पेड़ पर ही रहती हैं। वहीं इनका घर होता है।'' तभी एक गिलहरी पेड़ से उतरी। वह एक जगह रुक गई। अपनी चमकीली आँखों से वह दोनों भाई-बहनों को देखने लगी। मोहन उसे पकड़ने के लिए दौड़ा। गिलहरी झट से पेड़ पर चढ़ गई। मोहन देखता ही रह गया।