शब्दार्थ (शब्दों का अर्थ-बोध) Shbdarth (Shbdo ka arth-bodh)


शब्दार्थ (शब्दों का अर्थ-बोध) Shbdarth (Shbdo ka arth-bodh)

हिंदी के विद्यार्थियों को नये-नये शब्दों का ज्ञान होना चाहिए। शब्दों के अर्थ की बारीकी वाक्यों में उनका प्रयोग कर ही समझी जा सकती है। यहाँ कुछ शब्द और उनके अर्थ वाक्य-वाक्य के साथ दिये जाते है।

शब्द अर्थ वाक्य
अहित बुराई उसका अहित न हो।
अश्लील गंदा अश्लील बातें मत करो।
अंबर आकाश अंबर में तारे टिमटिमा रहे हैं।
अत्याचार जुल्म गरीबों पर अत्याचार मत करो।
अहंकार घमंड आदमी को अहंकार नहीं करना चाहिए।
अनिवार्य अत्यंत आवश्यक सरकार ने हिंदी पढ़ना अनिवार्य कर दिया है।
अनायास बिना मेहनत के व्याकरण जानने पर शुद्ध भाषा लिखना अनायास आ जाता है।
अकर्मण्य आलसी अकर्मण्य जीवन मृत्यु है।
अनवरत लगातार अनवरत परिश्रम करते रहो।
अतीत बीता हुआ समय अतीत की चिंता मत करो।
अभियान उद्देश्यपूर्ण यात्रा तेनसिंह हिमालय के अभियान पर निकले।
अभिराम सुंदर अभिराम राम को देख सीता मन-ही-मन मुग्ध हो गयीं।
अभिमान गर्व अभिमान चूर होकर रहता है।
अस्थि हड्डी दुर्घटना में उसकी अस्थि चूर हो गयी।
अनुचित बुरा तुमने अनुचित कार्य किया।
अद्वितीय जिसका जोड़ा न हो गाँधीजी अद्वितीय पुरुष थे।
अभिज्ञ जाननेवाला वह साहित्य से अभिज्ञ है।
अभिन्न एकरूप, परम हरिराम मेरे अभिन्न मित्र हैं।
अनिल हवा शीतल अनिल बह रहा है।
अनल आग अनल की ज्वाला फैली है।
अथक निरंतर, बिना थके अथक परिश्रम करते रहो।
अमर जो कभी न मरे आत्मा अमर है।
अवधि समय राम के वनवास की अवधि समाप्त हो गयी।
अगणित जिसकी गिनती न हो भारत में अगणित महापुरुष हुए हैं।
आभा चमक उसके मुख पर आभा है।
आशंका भय मुझे इस बात की आशंका है।
आजीवन जीवनभर उसे आजीवन कारावास का दंड दिया गया।
आश्र्वासन दिलासा, भरोसा मंत्री ने जनता को आश्र्वासन दिया।
आलिंगन गले लगाना श्रीराम ने भरतजी का आलिंगन किया।
आक्रमण हमला पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण किया।
अविष्कार खोज विज्ञान नये-नये अविष्कार करता रहा है।
आखेट शिकार महाराज दिलीप आखेट के लिए जंगल की ओर बढ़े।
उद्गम आरंभ होने की जगह गंगा का उद्गम हिमालय से हुआ है।
उपेक्षा अनदेखी कोई भी देश भारत की उपेक्षा नहीं कर सकता।
उल्लास प्रसन्नता उसके चेहरे पर उल्लास था।
उत्तरदायित्व जवाबदेही अब तुमपर उत्तरदायित्व आ गया।
उत्थान उन्नति देश का उत्थान सबका उत्थान है। उभय दोनों हमें उभय पक्षों की बात सुननी पड़ी।
उपवन बगीचा भरे उपवन में रंग-बिरंगे फूल खिले हैं।
क्रांति चमक उसके मुख पर क्रांति है।
कर हाथ, टैक्स हरेक व्यक्ति को कर (टैक्स) देना पड़ता है।
कुबेर धन के देवता पुराणों में कुबेर की कथा है।
क्लेश कष्ट उनकी मृत्यु का समाचार सुनकर क्लेश हुआ।
कुलीन अच्छे कुल का उसका जन्म कुलीन परिवार में हुआ है।
खरा ठीक, विशुद्ध यह बात पूरी तरह खरी उतरती है।
गगनभेदी अकाश को भेदने या चीरनेवाला भीम का गर्जन गगनभेदी था।
गति चाल उसकी गति धीमी है।
गौरव बड़प्पन यह हमारे लिए गौरव की बात है।
चिर सदा राम की कथा चिरकाल तक चलेगी।
जलज कमल तालाब में जलज खिले हैं।
तत्पर सन्नद्ध सेना युद्ध में तत्पर थी।
तिरस्कार निरादर उसने मेरा तिरस्कार किया।
दुर्भिक्ष अकाल यहाँ कई बार दुर्भिक्ष पड़ा है।
निर्भीक निडर हर आदमी को निर्भीक होना चाहिए।
नास्तिक ईश्र्वर या वेद को न माननेवाला वेद के निंदक नास्तिक हैं।
पर्याप्त काफी इतना भोजन मेरे लिए पर्याप्त है।
परामर्श राय मुझे आपका परामर्श चाहिए।
परंपरा पुराने समय से यह बात परंपरा से चली आ रही है।
पुनरावृति दोहराना आप बात की पुनरावृत्ति कर रहे है।
प्रगति विकास भारत प्रगति की ओर है।
प्रतिकूल उल्टा यह काम मेरी इच्छा के प्रतिकूल है।
प्रतिष्ठा इज्जत हमें अपनी प्रतिष्ठा बनाये रखनी है।
प्रलोभन लालच प्रलोभन से बचो।
पुरस्कार इनाम तुम्हें पुरस्कार मिलेगा।
प्रत्यंचा धनुष की डोरी राम ने धनुष की प्रत्यंचा खींची।
प्रभाकर सूर्य प्रभाकर की किरणें लाल है।
मितव्ययी कम खर्च करनेवाला मेरा मित्र मितव्ययी है।
बहुधा प्रायः बहुधा ऐसा हो जाता है।
रिक्त खाली मेरे दफ्तर में एक पद रिक्त हुआ है।
लोल चंचल नदी में लोल लहरें उठ रही है।
वरुण जल के देवता जहाँ-तहाँ वरुण की पूजा होती है।
वसन कपड़ा उसने दान में वसन दिये।
वसुधा धरती युद्ध में वसुधा रक्त से लाल हो उठी।
विज्ञापन प्रचारमूलक सुचना समाचारपत्रों में विज्ञापन छपे है।
विहान सबेरा उठो, विहान हो गया।
विनाश बरबादी उसका विनाश हो गया।
विमान हवाई जहाज इस विमान से जाना होगा।
विख्यात मशहूर ताजमहल संसार में विख्यात है।
व्यथा दुःख वह व्यथा से कराह उठा।
शिखर पहाड़ की चोटी हिमालय के शिखर पर बर्फ जमी है।
शिविर खेमा, पड़ाव रामगुप्त शिविर में बंदी है।
शुल्क फीस आज शुल्क जमा हुआ है।
सरोवर तालाब सरोवर में कमल खिले हैं।
संतान बाल-बच्चा उसकी एकमात्र संतान जाती रही।
सतर्क सावधान देश को सतर्क रहना हैं।
सुर देवता पहले कहीं सुरलोक भी था।
सुमन फूल वाटिका में सुमन खिले हैं।
सुरभित सुगंधित फूल सुरभित है।
संशोधन सुधार मेरी पुस्तक का संशोधन किया गया।
सिद्ध प्रमाणित कबीर सिद्धपुरुष थे।
फूहड़ गंवार, बेवकूफ वह फूहड़ हैं।
क्षति घाटा, नुकसान इस धंधे में बड़ी क्षति हुई।