रक्षाबन्धन का त्यौहार भाई-बहिनों का पवित्र त्यौहार है। इस पर्व को सभी हिन्दू लोग धूमधाम से मनाते हैं रक्षाबन्धन श्रावण के महीने में पूर्णमासी को मनाया जाता है। इसे श्रावणी पर्व भी कहते है। यह ब्राह्मणों का मुख्य पर्व माना जाता है। इस दिन वे वेदों का अध्ययन तथा यज्ञोपवीत धारण करते है।
रक्षाबन्धन के दिन बहिनें भाइयों के हाथों में अपनी रक्षा के लिए राखी बाँधती हैं पहले समय में बहिनें राखी बाँधकर वीर भाइयों को युद्ध में भेजा करती थीं और भाई राखी की लाज रखने की प्रतिज्ञा करते थे। इसलिए वे देश की रक्षा के लिए अपने प्राण भी दे देते थे। मुगल बादशाह हुमायूँ को महारानी कर्मवती ने राखी बाँधकर भाई बना लिया था। हुमायूँ ने राखी का मूल्य मेवाड़ की रक्षा करके चुकाया था। इस त्यौहार को हम बड़े आनन्द और उल्लास से मनाते हैं। इस दिन रंग-बिरंगी नयी पोशाक पहनते है। बहिनें भाइयों के लिए सुन्दर-सुन्दर राखियाँ लाती हैं। राखी बाँधकर बहिनें भाइयों को अपने हाथ से मिठाई खिलाती हैं। भाई बहिनों की रक्षा का वचन देते हैं तथा भेंट के रूप में बहिनों को रूपये (उपहार) देते हैं। जिन बहिनों के विवाह हो चुके हैं। भाई उनकी ससुराल में जाकर उनसे राखी बँधवाते हैं। इस प्रकार भाई-बहिन का पवित्र मिलन भी हो जाता है।
हमें राखी जैसे पवित्र त्यौहार में आदर्श देखना चाहिए तथा उसे प्रेमपूर्वक मनाना चाहिए।