| शिवप्रसाद 'सितारे-हिंद' |
राजा भोज का सपना |
| महावीर प्रसाद द्विवेदी |
म्युनिसिपैलिटी के कारनामे, जनकस्य दण्ड, रसज्ञ रंजन, कवि और कविता, लेखांजलि, आत्मनिवेदन, सुतापराधे |
| चंद्रधर शर्मा गुलेरी |
विक्रमोर्वशी की मूल कथा, अमंगल के स्थान में मंगल शब्द, मारेसि मोहि कुठाँव, कछुवा धर्म |
| बालमुकुंद गुप्त |
शिवशंभू के चिट्ठे, चिट्ठे और खत |
| प्रतापनारायण मिश्र |
निबंध-नवनीत, खुशामद, आप, बात, भौं, प्रताप पीयूष |
| पद्मसिंह शर्मा |
पद्म पराग, प्रबंध मंजरी में संकलित निबंध |
| बालकृष्ण भट्ट |
साहित्य सरोज, भट्ट निबंधावली (आँसू, रुचि, जात-पाँत, सीमा रहस्य, आशा, चलन आदि), साहित्य जनसमूह के हृदय का विकास है (नि०) |
| भारतेंदु |
पाँचवे पैगम्बर |
| सरदार पूर्णसिंह |
मजदूरी और प्रेम, सच्ची वीरता, अमरीका का मस्त जोगी वाल्ट हिटमैन, पवित्रता, कन्यादान, आचरण की सभ्यता |
| बाबू गुलाबराय |
फिर निराशा क्यों, ठलुआ क्लब, मन की बातें, मेरी असफलताएँ, कुछ उथले कुछ गहरे |
| रामचंद्र शुक्ल |
चिंतामणि (चार भाग)में संकलित निबंध, कविता क्या है, साधारणीकरण और व्यक्ति-वैचित्र्यवाद |
| पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी |
पंचपात्र (संग्रह) |
| शिवपूजन सहाय |
कुछ (संग्रह) |
| 'उग्र' |
बुढ़ापा, गाली |
| माखनलाल चतुर्वेदी |
साहित्य देवता, अमीर देवता, गरीब देवता |
| प्रसाद |
काव्य कला तथा अन्य निबंध, यथार्थवाद और छायावाद, रंगमंच, मौर्यो का राज्य-परिवर्तन |
| महादेवी वर्मा |
साहित्यकार की आस्था तथा अन्य निबंध, शृंखला की कड़ियाँ, क्षणदा, संधिनी, चिंतन के क्षण |
| जैनेंद्र |
जड़ की बात, सोच-विचार, मंथन, मैं और वे, साहित्य का श्रेय और प्रेय, इतस्ततः, पूर्वोदय |
| हजारी प्रसाद द्विवेदी |
अशोक के फूल, कल्पलता, विचार और वितर्क, नाख़ून क्यों बढ़ते हैं, कुटज, पुनश्च, प्राचीन भारत के कलात्मक विनोद,
ठाकुर की बटोर, आम फिर बौरा गए, कुटज (नि०) |
| 'दिनकर' |
मिट्टी की ओर, पंत, उजली आग, प्रसाद और मैथलीशरण गुप्त, रेती के फूल, अर्द्धनारीश्वर |
| नंददुलारे वाजपेयी |
आधुनिक साहित्य, नया साहित्य : नये प्रश्न, हिंदी साहित्य : 20वीं शताब्दी, जयशंकर प्रसाद, प्रेमचंद |
| नगेंद्र |
यौवन के द्वार पर, आस्था के चरण, चेतना के बिंब, छायावाद की परिभाषा, साधारणीकरण (नि०) |
| रामवृक्ष बेनीपुरी |
गेहूँ और गुलाब, वंदे वाणी विनायकौ, लाल तारा |
| 'अज्ञेय' |
त्रिशंकु, आलवाल, हिंदी साहित्य : एक आधुनिक परिदृश्य, भवंती, लिखि कागद कोरे, आत्मपरक, सबरंग (ललित निबंध-संग्रह) |
| देवेंद्र सत्यार्थी |
धरती गाती हैं एक युग : एक प्रतीक, रेखाएँ बोल उठी |
| यशपाल |
चक्कर क्लब, बात-बात में मात, गांधीवाद की शव परीक्षा, न्याय का संघर्ष, देखा सोचा समझा |
| कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर' |
जिंदगी मुस्काई, बाजे पायलिया में घुँघुरु, महके आँगन चहके द्वार |
| 'अश्क' |
मंटो : मेरा दुश्मन |
| प्रभाकर माचवे |
खरगोश के सींग |
| विद्यानिवास मिश्र |
छितवन की छाँह, अंगद की नियति, तुम चंदन हम पानी, आँगन का पंछी और बंजारा मन, मैंने सिल पहुँचाई, कदम की फूली डाल, परंपरा बंधन नहीं,
बसंत आ गया पर कोई बंधन नहीं, मेरा देश वापस लाओ, अग्निरथ |
| 'मुक्तिबोध' |
नई कविता का आत्मसंघर्ष तथा अन्य निबंध, नये साहित्य का सौंदर्यशास्त्र, समीक्षा की समस्याएँ, एक साहित्यिक की डायरी, कला का तीसरा बाण,
शमशेर : मेरी दृष्टि में, कलाकार की व्यक्तिगत ईमानदारी,
सौंदर्य प्रतीति की प्रक्रिया, कलात्मक अनुभव, उर्वशी : मनोविज्ञान उर्वशी : दर्शन और काव्य, मध्ययुगीन भक्ति आंदोलन का एक पहलू |
| धर्मवीर भारती |
ठेले पर हिमालय, पश्यंती, कहानी-अनकहनी, रामजी की चींटी : रामजी का शेर |
| शिवप्रसाद सिंह |
शिखरों के सेतु |
| हरिशंकर परसाई |
निठल्ले की डायरी, भूत के पाँव, सदाचार का तावीज, ठिठुरता, गणतंत्र, जैसे उनके दिन फिरे, सुनो भाई साधो, विकलांग श्रद्धा का दौर,
पगडंडियों का जमाना |
| कुबेरनाथ राय |
प्रिया नीलकंठी, रस आखेटक, गंधमादन, विषादयोग |
| विजयेंद्र स्नातक |
चिंतन के क्षण |
| नामवर सिंह |
इतिहास और आलोचना, बकलम खुद |
| निर्मल वर्मा |
शब्द और स्मृति, कला और जोखिम, ढलान से उतरते हुए |
| बनारसी दास चतुर्वेदी |
हमारे आराध्य, साहित्य और जीवन |
| लक्ष्मीकांत वर्मा |
नए प्रतिमान : पुराने निकष |
| कृष्ण बिहारी |
बेहया का जंगल |
| विजयदेव नारायण साही |
लघुमानव के बहाने हिंदी कविता पर बहस, शमशेर की काव्यानुभूति की बनावट |