Rsoyighar (रसोईघर)

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रसोईघर

आज रसोईघर की खिड़की,
मुन्ना-मुन्नी खोल रहे हैं।
अंदर देखा, चकला-बेलन,
चाकू, छलनी बोल रहे हैं।
मैं चाकू सब्जी-फल काटूँ,
टुकड़ा-टुकड़ा सबको बाटूँ।
गाजर-मूली, प्याज-टमाटर
छीलो काटो रखो सजाकर। गोल चाँद-सी हूँ मैं थाली,
बज सकती हूँ बनकर ताली।
मुझमें सब्जी-रोटी डाली,
और सभी ने झटपट खाली।